DAP Crisis: फतेहाबाद में गेहूं की पछेती बिजाई शुरू, अभी ढाई लाख कम पहुंचे डीएपी बैग, संकट गहराया
फतेहाबाद में 5 लाख 50 हजार एकड़ जमीन में खेती की जाती हैं। इनमें से 3 लाख 75 हजार एकड़ से अधिक में गेहूं की बिजाई की जाती है। जो इस बार अब तक करीब 1 लाख 25 हजार एकड़ में हुई है।
फतेहाबाद, जागरण संवाददाता। फतेहाबाद में गेहूं की बिजाई का पीक समय चल रहा है। यू कहे कि अभी 15 नवंबर बाद पछेती गेहूं की बिजाई शुरू हो जाएगी। लेकिन जिले में डीएपी का संकट अभी दूर नहीं हुआ। यूं कहे की आने वाले दिनों में ये संकट बढ़ने वाला है। इसकी वजह है कि डीएपी की किल्लत के चलते अभी तक 30 फीसद रकबे में भी गेहूं की बिजाई नहीं हुई। ऐसे में आगामी सप्ताह में डीएपी के लिए अधिक मारामारी रहेगी।
किसानों को नहीं मिल रही डीएपी
व्यवस्था की विडंबना यह है कि किसान को सरकारी केंद्रों से डीएपी नहीं मिल रही। जबकि निजी दुकानदारों पर लगातार डीएपी का स्टाक आ रहा हैं। शनिवार को भी 6 हजार से अधिक का स्टाक दुकानदारों के पास आया। लेकिन ये दुकानदार किसानों को तभी डीएपी मुहैया करवा रहे है। जब इनको अधिकारी, राजनेता या आढ़ती कहें। इसके अलावा किसानों से इनसे डीएपी लेनी है तो डीएपी के साथ गेहूं का बीज, जिंक खाद, खरपतवार नाशक की स्प्रे खरीदनी होती। अन्यथा डीएपी किसान को सरकारी रेट पर मुहैया नहीं करवा रहे है।
डीएपी को लेकर किसान परेशान
दरअसल, जिले में 5 लाख 50 हजार एकड़ जमीन में खेती की जाती हैं। इनमें से 3 लाख 75 हजार एकड़ से अधिक में गेहूं की बिजाई की जाती है। जो इस बार अब तक करीब 1 लाख 25 हजार एकड़ में हुई है। अभी भी गेहूं की बिजाई के लिए 2 लाख 50 हजार एकड़ खाली हैं। ऐसे में कम से कम इतने बैग डीएपी की जरूरत है। जबकि पूरे सीजन में जिले को 2 लाख 60 हजार बैग ही आए हैं। ऐसे में डीएपी खाद को लेकर अधिक परेशानी आने वाली है।
रेट न बढ़ने के चक्कर में आई अधिक परेशानी
अनाज मंडी में डीएपी बेच रहे व्यापारियों का कहना हैं कि डीएपी की किल्लत महज सरकारी रेट कम करने से हुई। लागत बढ़ने से कंपनियों ने डीएपी के रेट बढ़ गए। लेकिन सरकार ने न तो डीएपी के रेट बढ़ाए थे न ही अनुदान। ऐसे में परेशानी आई। सरकार डीएपी का रेट न बढ़ाकर यूरिया की तरह इसका वजन कम कर देती तो भी परेशानी नहीं आती। जब सीजन शुरू हुआ तो अब सरकार ने एक बैग पर 1200 रुपये से अनुदान बढ़ाकर 1400 रुपये से अधिक कर दिया। फिर भी समाधान एकदम नहीं हो रहा। डीएपी के अभाव में किसान बड़े परेशान हुए। जो लोग वास्तव में खेती ही करते है। जिनकी किसी प्रकार की अधिकारियों व राजनेताओं तक पहुंच नहीं। उनको एक डीएपी का बैग 1500 रुपये में मिला।
डीएपी का विकल्प एनपीके व एसएसपी, लेकिन सरकारी दुकानों पर उपलब्ध नहीं
कृषि अधिकारी किसानों को डीएपी के विकल्प के तौर पर गेहूं की बिजाई के लिए एनपीके व सिंगल सुपर फास्फेट का सुझाव दे रहे है। अधिकारियों का कहना है कि प्रति एकड़ किसान डीएपी की जगह एक एनपीके बैग के साथ एक बैग यूरिया दे सकते है। इसके अलावा तीन सिंगल सुपर फास्फेट के बैग के साथ एक बैग यूरिया की बिजाई कर सकते है। जो डीएपी से अधिक फायदेमंद होंगे। लेकिन अब सरकारी खरीद केंद्रों पर न एपीके है तो न ही सिंगल सुपर फास्फेट। जो गत सप्ताह 12 हजार बैग थे वो भी किसान ले गए।
फोन आए बंद
जब इस बारे में संबंधित कृषि अधिकारियों व इफको के अधिकारियों से बात करने की कोशिश की तो उनके मोबाइल बंद आए।