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किसानों की आय को दोगुना करने में मदद करेगा डेयरी फार्मिंग व्यवसाय, ऐसे करें काम शुरू

डेयरी फार्मिंग का प्रशिक्षण चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में उपलब्ध कराया गया। सायना नेहवाल कृषि प्रौद्योगिकी प्रशिक्षण एवं शिक्षण संस्थान में आयोजित इस प्रशिक्षण में दूध से उत्पाद बनाना दही श्रीखंड तैयार करने जैसे कार्य को किसानों ने सीखा।

By Manoj KumarEdited By: Published: Mon, 02 Aug 2021 12:39 PM (IST)Updated: Mon, 02 Aug 2021 12:54 PM (IST)
किसानों की आय को दोगुना करने में मदद करेगा डेयरी फार्मिंग व्यवसाय, ऐसे करें काम शुरू
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में किसानों ने लिया प्रशिक्षण

जागरण संवाददाता, हिसार। कृषि के साथ किसान डेयरी फार्मिंग का कार्य करें तो उनकी आय निश्चित ही दोगुनी होगी। डेयरी फार्मिंग को लेकर किसानों को दरअसल प्रशिक्षण की दरकार है। इस बार डेयरी फार्मिंग का प्रशिक्षण भी चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में उपलब्ध कराया गया।

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सायना नेहवाल कृषि प्रौद्योगिकी प्रशिक्षण एवं शिक्षण संस्थान में आयोजित इस प्रशिक्षण में दूध से उत्पाद बनाना, दही, श्रीखंड तैयार करने जैसे कार्य को किसानों ने सीखा। तीन दिन तक यह प्रशिक्षण चलता रहा। खास बात है कि इसमें प्रदेश में विभिन्न क्षेत्रों से 100 किसान उपस्थित रहे।

डा. तजीन्द्र ने क्लीन दूध उत्पादन करने, क्लीन दूध उत्पादन के समय व उसके भंडारण दौरान सावधानी बरतने के बारे में बताया ताकि किसान दूध ज्यादा समय तक भंडारण कर सकें। डा. सुमन बिशनोई ने पनीर, खोया उत्पादन करने के तरीके व उसे अच्छा व स्वादिष्ट बनाने के बारे में बताया। डॉ. महावीर ने गर्भस्थ पशु व शिशु की देखभाल और थनेला रोग के लक्षण व उनके निदानों की जानकारी दी।

अधिक मुनाफा हासिल करने के तरीके बताए

सह-निदेशक (प्रशिक्षण) डा. अशोक गोदारा ने बताया कि इस प्रशिक्षण के माध्यम से प्रदेश के किसानों व पशुपालकों को डेयरी फार्मिंग व्यवसाय के लिए प्रशिक्षित किया गया ताकि इस व्यवसाय से वे अधिक से अधिक मुनाफा हासिल कर सकें। डा. विजय सनसनवाल ने डेयरी यूनिट लगाने की हरियाणा सरकार के पशु पालन विभाग की ओर से चलाई जा रही विभिन्न स्कीमों के बारे में जानकारी दी।

बीमारियों से कराया रूबरू

डा. अमित पूनियां ने पशुपालकों को सामान्य बीमारियों के सन्दर्भ में गाय व भैंस की शारीरिक सरंचना की जानकारी देते हुए उन्हें पशु के बाहरी लक्षण देख कर समय पर निदान करने के बारे में बताया। डॉ. नीलेश ने पशुओं की बीमारियों और उनका निदान के बारे में बताया। डा. सत्यवान व डा. रवीश ने चारे वाली फसलों का प्रबंध व साइलेज व हे बनाने के तरीके बताए ताकि किसान जब चारे की कमी होती है उस समय खिला कर चारे की कमी को पूरा कर सकें।

डेयरी के लिए बैंक लोन की दी जानकारी

डा. सतीश जांगड़ा ने बैंक का माडल प्रोजेक्ट करने व डेयरी यूनिट आसानी से लगाने की प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी। डा. संदीप ने दूध के उत्पाद बना कर इसका मूल्य सवर्धन करने की सलाह दी जिससे किसान अपनी आमदनी में इजाफा कर सकें। डा. शालिनी ने दूध के किंडवन करके दही, लस्सी व श्रीखंड को तैयार करने व उनकी महत्ता से अवगत कराया।


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