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Exclusive: हरियाणा की महिलाओं में प्रतिभा की कमी नहीं, पढ़े सोनाली फोगाट से खास बातचीत

वे एंकर हैं एक्टर हैं राजनेता है और अब खेती-बाड़ी व बिजनेस भी संभाल रही हैं। जी हम बात कर रहे हैं हरियाणा के हिसार में रहने वाली सोनाली फोगाट की जिन्होंने वाइल्ड कार्ड से बिग बॉस में एंट्री ली वहां राजनीति की शिकार हो बाहर आ गईं...

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 10 Feb 2021 11:11 AM (IST)Updated: Wed, 10 Feb 2021 06:12 PM (IST)
Exclusive: हरियाणा की महिलाओं में प्रतिभा की कमी नहीं, पढ़े सोनाली फोगाट से खास बातचीत
हरियाणा में महिलाओं की स्थिति के बारे में बातें बाहर नहीं आतीं और न ही महिलाएं कुछ कहती हैं।

यशा माथुर। सोनाली फोगाट ग्रामीण पृष्ठभूमि से हैं। उन्होंने शहर के तौर-तरीके सीखे। एक्टिंग के गुर सीखे। राजनीति में लोगों का सामना करना सीखा। दुनिया को समझा और आज वे हर फील्ड को अच्छे से संभाल रही हैं। बिगबॉस ने उन्हें नई पहचान दी है।

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कैसा लगा घर में जाना?

बिग बॉस में जाने का अनुभव अच्छा रहा। वोटिंग कम होने के कारण मुझे उस घर से बाहर आना पड़ा। सब लोगों के साथ अलग-अलग व्यवहार रहा। जब मैं घर में दाखिल हुई तो लग रहा था कि सब बहुत अच्छे हैं। लेकिन यह भी लग रहा था कि सब कुछ सामान्य नहीं रहने वाला। दो हफ्ते तक सब ठीक रहा। किसी न मुझे कुछ नहीं कहा। लेकिन इसके बाद एकदम से सब कुछ बदल गया। कुछ लोगों ने मुझे टारगेट बनाया और मुझसे झगड़ा करने की कोशिश की।

राजनेता या एक्टर, क्या हैं आप?

मुझे एक्टर बनने का शौक था इसलिए मैंने एक्टिंग शुरू की। राजनीति भी साथ-साथ चली। यह अलग बात है कि एक्टिंग को ज्यादा समय नहीं दे पाई क्योंकि राजनीति में ज्यादा समय चला जाता था। एंकर के रूप में हरियाणा दूरदर्शन पर लगातार तीन साल एक कार्यक्रम किया। फिल्में भी की। हरियाणवी वेब सीरीज और शॉर्ट मूवीज भी की हैं। राजनीति में भी जब लोगों से मेरा जुड़ाव हुआ तो यह मेरा पैशन बन गया कि मुझे लोगों के लिए काम करना है। मैं चाहती हूं कि दोनों चीजें साथ-साथ चले। काम के ज्यादा ऑफर आ रहे हैं। तो अब एक्टिंग के काम को भी समय दूंगी। टिकटॉक तो मैंने वैसे ही शौकिया तौर पर शुरू किया था। दो साल किया काम। जब सरकार ने चीनी एप बंद किए तो मैंने भी इसे बंद कर दिया। अब मैं इंस्टाग्राम पर हूं।

टिकटॉक स्टार कैसे बनीं?

मैं स्टेज कलाकार हूं। कलाकार का मन हमेशा कुछ करने का रहता है। मैं जब मुंबई में रवि किशन जी के साथ शूटिंग कर रही थी। तब मुझे थोड़ा खाली समय मिलता था। तब मैंने फेसबुक पर टिकटॉक एप देखा। मैं सोशल मीडिया पर पहले से ही एक्टिव थी। लाइव किया करती थी। मैंने इसे डाउनलोड किया और शूट का वीडियो बना कर अपलोड कर दिया। उसका काफी अच्छा रेस्पांस मिला। मैंने कई सारे वीडियोज बना डाले। मैंने वापस आकर भी इसे जारी रखा। मेरी फॉलोइंग बहुत बढ़ गई थी। जब लोकसभा चुनाव आए तो लोगों ने मुझे कहा कि आप एक नेता होकर इस तरह से गाने गाती हैं, डांस करती हैं तो अच्छा नहीं लगता है। आप इसे बंद कर दीजिए। तब मैंने उनसे कहा कि मैं एक कलाकार हूं और अपनी कला का गला नहीं घोंट सकती। अगर मेरे संगठन को लगेगा कि मैं काबिल हूं तो मुझे टिकट मिलेगा और मैं चुनाव लड़ूंगी। मेरे लाखों फॉलोवर्स हो गए थे। जब मुझे विधानसभा का टिकट मिला तो यह भी लाइमलाइट में आया कि मैं टिकटॉक स्टार हूं। लोगों ने मुझे ज्यादा जाना। मैंने पैसे कमाने पर ध्यान नहीं दिया मैं सिर्फ काम और मनोरंजन के लिए टिकटॉक वीडियोज बनाती थी। जब चाइनीज एप का बहिष्कार करना था तो मैंने इसे खुशी-खुशी छोड़ दिया।

गांव की होने पर कैसी मुश्किलें आईं?

मैं गांव के माहौल से आई। मुझे ज्यादा जानकारी नहीं थी कि शहर के लोग कैसा बर्ताव करते हैं। शादी के बाद मुझे दिल्ली रहने का अवसर मिला। बारहवीं के बाद ही मेरी शादी हो गई थी। मुझे ससुराल के लोग बहुत पढ़े-लिखे और एडवांस मिले लेकिन कहीं न कहीं वे भी चाहते थे कि हमारी बहू बाहर न निकले और घर में ही रहे। मैंने अपनी पढ़ाई की इच्छा पहले ही बता दी थी। हमारे गांव में कोई स्कूल नहीं था। पिता ने कहा कि शादी तो तुम्हें करनी है, पढ़ाई के लिए तुम्हें अकेले बाहर नहीं भेज पाऊंगा। जब तुम्हारे ससुराल वाले कह रहे हैं कि वे तुम्हें पढ़ाएंगे तो तुम वहां पढ़ सकती हो। मैंने पढ़ाई के लालच में और परिवार व पति से मिलकर अच्छा लगने पर शादी के लिए हां कह दी।

क्या पति ने साथ दिया?

मेरे पति चाहते थे कि मैं पढ़ाई करूं लेकिन उसके बाद घर ही बैठूं। जब मैंने पढ़ाई कर ली तो मेरे मन में आया कि मैं काम करूं। उनसे कहा तो उस समय उन्होंने मना कर दिया। उस समय मुझे दूरदर्शन के एक धारावाहिक में लीड रोल मिल रहा था लेकिन वे नहीं माने। फिर मेरी सास ने धीरे-धीरे उन्हें मनाया और शादी के कई साल बाद पति ने कहा कि आप काम कर सकते हो। उन्होंने कहा कि समाजसेवा भी जरूरी है। फिर मैं राजनीति में आई। उन्होंने ही मुझे प्रोत्साहित किया। सारी चीजें सिखाईं कि कैसे आगे बढऩा है। ग्रामीण क्षेत्रों में कैसे काम करना है।

कैसी है हरियाणा में महिलाओं की स्थिति?

हरियाणा में महिलाओं की स्थिति के बारे में बातें बाहर नहीं आतीं और न ही महिलाएं कुछ कहती हैं। वे समझती हैं कि हम जो कर रहे हैं वह हमारा कर्तव्य है। मेरे परिवार और घर में मैंने देखा कि महिलाएं घूंघट करती हैं और पति जैसा कहे वैसा ही करती हैं। यह अलग बात है कि मेरे पति ने मुझे फ्रीडम दी लेकिन मेरी देवरानी-जेठानी घूंघट करती हैं और जैसे पति चलाते हैं वैसे ही चलती हैं चाहे कितने ही बंधन सहन करना पड़ें। मेरा परिवार खुले विचारों का है फिर भी देवरानी-जेठानी सहन करती हैं तो और परिवारों में क्या होता होगा। हरियाणा में महिलाओं को आजादी नहीं है। मुझे ऐसा नहीं लगता कि आने वाले समय में भी उन्हें आजादी मिल पाएगी। कुछ ही परिवार ऐसे हैं जो बेटियों को आगे बढऩे के लिए प्रेरित करते हैं। कई प्रतिभाएं बंधनों के कारण ही बाहर नहीं आ पातीं और सिमट कर रह जाती हैं। आगे नहीं बढ़ पाती जबकि वे बहुत कुछ करना चाहती हैं। वरना मुझसे अच्छा करने वाली बहुत सारी महिलाएं हरियाणा में है।

पति का साथ छूटने पर कैसी दिक्कतें आईं?

मेरे पति को गुजरे चार साल हो गए। एक बेटी है। जब पति गुजरे तब मुझे घर-गृहस्थी संभालने का इतना पता नहीं था। वे ही सब कुछ संभालते थे। वे ही जमीन-जायदाद, परिवार, रिश्ते-नाते देखते। मैं तो राजनीति और एक्टिंग करती थी। बेटी को भी वे ही देखते थे। मेरा ट्रैवल बहुत रहता तो हम दिल्ली रहने लगे। सात-आठ साल तक हम दिल्ली में रहे। वे मेरी ख्वाहिशें पूरी करने के लिए मेरे साथ रहे। मैंने मॉडलिंग भी की। उनके जाने के बाद सब कुछ अचानक बदल गया। मैंने बाहर की दुनिया ऐसे नहीं देखी थी। जब पति का नाम साथ होता है तो यह दुनिया अलग होती है और जब नहीं होता तो बिल्कुल अलग। जब अकेली महिला होती हैं तो लोगों की नजरें ही बदल जाती हैं। दिखाने के लिए सम्मान करते हैं वे। उनके जाने के बाद मुझे बहुत सी चीजों का सामना करना पड़ा और नुकसान झेलना पड़ा। राजनीति में मैं सबसे नहीं मिल पाती थी। जब मेरे पति को हार्ट अटैक हुआ था तो मैं मुबई में थी। कई महीने डिप्रेशन में रही। बड़ी मुश्किल से संभल सकी। परिवार ने मुझे उठाया और काम करने के लिए प्रेरित किया कि तुम्हारे पति भी चाहते थे तुम काम करो। जब बाहर निकलती थी तो लोगों की आंखें अलग होती थीं मेरे लिए। इनका सामना करना और खुद को बचा कर चलना मेरे लिए मुश्किल हो रहा था। बहुत झेलना पड़ा। धीरे-धीरे मैंने सब कुछ सीखा। बिजनेस भी संभाल रही हूं, बेटी भी।

क्या परिवार की मुखिया हैं?

परिवार में महिलाएं ज्यादा हैं और वे बाहर नहीं निकलती हैं। मैं बाहर निकल कर काम कर रही हूं तो मुझे घर का मुखिया भी माना जाता है। मेरी सास मुझे हमेशा हौसला देती हैं कि तुम पर गर्व है हमें। परिवार के साथ से मजबूती आती है। मुझे लगता है कि हरियाणा की महिलाओं को अपने मन की बात बतानी चाहिए और खुलकर अपनी प्रतिभा को सामने लाना चाहिए। वे अच्छा कर सकती हैं। हर किसी को अवसर नहीं मिलता। लेकिन महिलाओं को अपनी सोच को बदलना होगा कि वे किसी से कम नहीं।

बिग बॉस में फिर जाना चाहेंगी?

अगर बिग बॉस में मुझे फिर से बुलाया जाता है तो मैं जरूर जाऊंगी। घर से बाहर आने के बाद मैंने बहुत सी चीजें समझी हैं। जो दिखाया जा रहा है वही सही नहीं है। बहुत सारी चीजें छूट जाती हैं। मैं चाहती हूं कि असलियत सबके सामने आए। मुझे अगर मौका मिले तो मैं घर में जाऊंगी और रुबीना से जवाब मांगूगी कि वे चुप क्यों रहीं? मेरे लिए अलग सोच और दूसरे लोगों के लिए अलग सोच क्यों थी?


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