कोर्ट ने कहा- दुष्कर्म केस में गवाह मुकरे तो क्या, सुबूत नजरअंदाज नहीं हो सकते, सात साल सजा
रोहतक में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश आरपी गोयल ने दुष्कर्म के दोषी को सात साल की सजा सुनाई है। कोर्ट ने 164 के बयान और मेडिकल रिपोर्ट डीएनए जांच को अहम सुबूत बनाया
रोहतक [पुनीत शर्मा] 'यदि किसी व्यक्ति के साथ गलत हुआ है और केस में गवाह मुकर जाते हैं। आरोपित के खिलाफ पर्याप्त सुबूत मिलते हैं तो इससे आरोपित के बचने की संभावना कम नहीं हो जाती।' उक्त टिप्पणी बुधवार को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश आरपी गोयल ने युवती से दुष्कर्म के दोषी को सजा सुनाते हुए की। प्रकरण में दोषी के दबाव में आकर गवाह कोर्ट में अपने बयान से मुकर गए थे, लेकिन अन्य सुबूतों के आधार पर कोर्ट ने उसे सात वर्ष कैद और 2100 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है।
अभियोजन पक्ष के अनुसार 24 अक्तूबर 2018 को महम क्षेत्र में एक युवती के साथ गांव के ही एक युवक ने दुष्कर्म किया था। पीडि़ता ने पुलिस को बताया कि करीब 9.30 बजे वह अपने घेर में भैंसों के चारे-पानी के लिए गई थी। इसी दौरान आरोपित मौके पर आया और उसे धक्का देकर गिरा दिया। इसके बाद आरोपित ने उसके साथ दुष्कर्म किया था। शोर मचाने पर आरोपित मौके से फरार हो गया था। पुलिस ने केस दर्ज कर पीडि़ता का मेडिकल कराया। केस कोर्ट में पहुंचा तो गवाह भी अपने बयानों से मुकर गए थे।
फैसला सुनाते हुए न्यायाधीश ने कहा कि प्रकरण में गवाह अपने बयानों से मुकर गए थे, लेकिन धारा 164 के बयान, मेडिकल रिपोर्ट में पीडि़ता के साथ दुष्कर्म की पुष्टि और डीएनए जांच रिपोर्ट में पुष्टि होना ही आरोपित को सजा सुनाने के लिए पर्याप्त हैं। साथ ही ऐसे गवाहों को भी फटकार लगाई जो अपने बयानों से मुकर जाते हैं।