कोर्ट : जघन्य अपराध में 16 से 18 की उम्र के बीच का दोषी बालिग माफी योग्य नहीं, उम्रकैद सुनाई
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश राजेंद्र पाल गोयल ने तीन वर्ष पूर्व पंजाब निवासी कार चालक से लिफ्ट लेकर हत्या करने के दोषी को उम्रकैद की सजा सुनाई। साथ ही आरोपित पर जुर्माना भी लगाया।
रोहतक, जेएनएन। दुष्कर्म और हत्या जैसे जघन्य अपराध में यदि दोषी की उम्र 16 से 18 वर्ष के बीच है तो उसे नाबालिग नहीं समझा जा सकता। आरोपित को किसी भी हाल में माफी नहीं दी जानी चाहिए। उक्त टिप्पणी करते हुए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश राजेंद्र पाल गोयल ने तीन वर्ष पूर्व पंजाब निवासी कार चालक से लिफ्ट लेकर हत्या करने के दोषी को उम्रकैद की सजा सुनाई। साथ ही आरोपित पर चार हजार रुपये जुर्माना भी लगाया।
पंजाब के भठिंडा जिले के तलवंडी निवासी रामकिशन पुत्र शमशेर सिंह ने पुलिस को शिकायत देकर बताया था कि वह तीन भाई हैं। उसका छोटा भाई प्राइवेट कंपनी में कार चालक है। 25 जुलाई 2016 को छोटा भाई चरणजीत कंपनी की कार लेकर असिस्टेंट मैनेजर को दिल्ली एयरपोर्ट छोडऩे गया था। वह दो दिनों तक घर नहीं पहुंचा तो उसकी खोजबीन शुरू की। कंपनी के अधिकारियों से संपर्क किया तो पाया कि उसका फोन स्विच ऑफ है और कार की लोकेशन भी नहीं ट्रेस हो रही है।
इसके बाद आखिरी लोकेशन 27 जुलाई 2016 की शाम करीब सवा सात बजे आसौदा टोल टैक्स से रोहतक की ओर मिली। जांच पड़ताल करने पर पता चला कि उस दिन चरणजीत खाना खाने के लिए एक ढाबे पर रुका था। इसके बाद पुलिस को शिकायत दी गई। पुलिस ने जांच में पाया कि ढाबे से ही एक युवक ने चरणजीत से लिफ्ट ली थी। इसके बाद देर रात करीब साढ़े नौ बजे कार की लोकेशन गोहाना रोड मकड़ोली टोल प्लाजा पर मिली। उस समय कार कोई अन्य व्यक्ति चला रहा था। इससे पहले पुलिस ने सांघी से खिड़वाली रोड पर अज्ञात व्यक्ति का शव बरामद करते हुए उसे पीजीआइ के शवगृह में रखवाया था। परिजन शव की शिनाख्त के लिए पीजीआइ पहुंचेतो वह चरणजीत पुत्र शमशेर का शव निकला।
इसके बाद पुलिस ने जांच की तो झज्जर जिले के डीघल गांव निवासी कपिल के बारे में जानकारी हुई। पुलिस ने आरोपित के कब्जे से कार और अन्य सामान बरामद की। आरोपित ने चरणजीत की अपने ही परना से हत्या करने की बात कुबूल की थी।
कम सजा की मांग पर जज ने दिया सुप्रीम कोर्ट का हवाला
दोषी पक्ष के अधिवक्ता ने उम्र कैद की सजा कम करने की मांग करते हुए कहा कि घटना को अंजाम देने के दौरान आरोपित की उम्र 16 वर्ष सात दिन थी। इस पर न्यायाधीश आरपी गोयल ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए कहा कि जघन्य अपराध की दशा में 16 से 18 वर्ष की आयु के आरोपित को बालिग ही माना जाता है। साथ ही ऐसे दोषी किसी भी हाल में माफी के काबिल नहीं होते हैं।
अब खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस, डाउनलोड करें जागरण एप