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Coronavirus: कोविड की पहली-दूसरी लहर के दौरान ऐसे भी मौके आए जब कांप जाते थे हाथ

रोहतक नगर निगम में तैनात सफाई कर्मचारी एवं श्मशान घाटों में अंतिम संस्कार कराने वाली टीम के नोडल अधिकारी नरेंद्र यादव हर रोज भगवान से दुआ करते हैं कि तीसरी लहर अब कभी न आए। पहली और दूसरी लहर के दौरान अंतिम संस्कार वाली यादों को भुलना चाहते हैं।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Tue, 21 Sep 2021 09:57 AM (IST)Updated: Tue, 21 Sep 2021 10:09 AM (IST)
Coronavirus: कोविड की पहली-दूसरी लहर के दौरान ऐसे भी मौके आए जब कांप जाते थे हाथ
नगर निगम रोहतक में तैनात नरेंद्र यादव ने कोरोना काल में अपनी टीम के साथ मिलकर कराए 1300 अंतिम संस्कार।

अरुण शर्मा, रोहतक। कोविड-2019 की संभावित तीसरी लहर आने की चर्चाएं हैं। नगर निगम में तैनात सफाई कर्मचारी एवं श्मशान घाटों में अंतिम संस्कार कराने वाली टीम के नोडल अधिकारी नरेंद्र यादव हर रोज भगवान से दुआ करते हैं कि तीसरी लहर अब कभी न आए। पहली और दूसरी लहर के दौरान अंतिम संस्कार वाली यादों को अपने जेहन से भुला देना चाहते हैं। नरेंद्र कहते हैं कि पहली और दूसरी लहर के दौरान करीब 1300 संस्कार कराए।

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कई मौके पर कांपे हाथ 

कई मौके ऐसे भी आए जब संस्कार के दौरान हाथ कांप जाते थे और आंखों से आंसुओं की धार बहने लगती थी कुछ किस्से सुनाए। कहा कि सात-आठ बच्चों का अंतिम संस्कार कराया। इसमें जुड़वा बच्चे भी शामिल थे। एक घटना का जिक्र करते हुए कहा कि 13 साल की एक बच्ची का निधन हो गया। स्वजनों से संपर्क किया तो उन्होंने आने में असमर्थता जता दी। इसी तरह से सोनीपत की एक 15 वर्षीय बच्ची का निधन हो गया। उनके मां-पिता से संपर्क किया तो उन्होंने यहां आने से साफ इन्कार ही कर दिया। मजबूरी में संस्कार कराए। उस दौरान हाथ कांप जाते थे। इसलिए कहते हैं कि ऐसा दौर दोबारा से न आए।

खान-पान का रखना पड़ा था विशेष ख्याल

नरेंद्र कहते हैं कि अंतिम संस्कार कराने वाली जिम्मेदारी को निभाने से हर कोई पीछे हट रहा था। इसलिए बाद में मुझे जिम्मेदारी दी गई तो बखूबी ड्यूटी निभाई। यह भी बताया कि उस दौरान विशेष ख्याल भी रखना पड़ा। तला-भुना पूरी तरह से खाना छोड़ दिया। तुलसी वाली चाय पीते। चिकन भी खाते। बाहरी खाना तो पूरी तरह से खाना ही छोड़ दिया। कुल 18 कर्मचारियों की टीम थी। यह भी कहा कि पूरी रात फोन आते रहते। सुबह आठ बजे से कई बार देर रात 10-11 बजे तक अंतिम संस्कार कराते।

कुंडों पर पानी डालकर दूसरे कराए जाते संस्कार

नरेंद्र कहते हैं कि पहली से अधिक दूसरी लहर में अंतिम संस्कार हुए। यहां कई बार इतने हालात खराब हुए कि कुंडों पर पानी डालकर दूसरे अंतिम संस्कार कराए जाते। यह भी कहा कि जिन लोगों के स्वजन नहीं आते उनके अंतिम संस्कार का वहन भी निगम उठाता। प्रत्येक अंतिम संस्कार में 3100 रुपये तक का खर्चा निगम ने ही किया। यह भी कहा कि जींद रोड स्थित श्मशान घाट और वैश्य कालेज के निकट श्मशान घाट में अंतिम संस्कार किए जाते थे। दिन के साथ ही रात में संस्कार कराए।

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