कोरोना टेस्ट घोटाला : बिना इजाजत भिवानी में प्राइवेट लैब से करवाए 5416 सैंपल जांच, सरकार को 45.70 लाख का चूना
कोरोना टेस्ट करवाने के लिए सीएमओ कार्यालय की तरफ से बिना इजाजत के गुरुग्राम की एक प्राइवेट लैब से 5416 टेस्ट करवा दिए। इससे सरकार को 45 लाख 70 हजार 608 रुपये का चूना लग गया। यह पूरा मामला शिकायत के बाद हुई जांच में सामने आया।
अमित धवन, भिवानी। कोरोना महामारी सभी के लिए परेशानी वाली बनी। स्वास्थ्य विभाग में कोरोना टेस्ट करने के नाम पर ही बड़ी गड़बड़ी हुई। कोरोना टेस्ट करवाने के लिए सीएमओ कार्यालय की तरफ से बिना इजाजत के गुरुग्राम की एक प्राइवेट लैब से 5416 टेस्ट करवा दिए। इससे सरकार को 45 लाख 70 हजार 608 रुपये का चूना लग गया। यह पूरा मामला शिकायत के बाद हुई जांच में सामने आया। जांच भी हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के सचिव के नेतृत्व में बनी सात सदस्य कमेटी ने की। अब उपायुक्त जयबीर सिंह आर्य ने इस मामले में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को पत्र लिखकर सीएमओ के तबादले, मामले की जांच विजिलेंस से करवाने, सख्त कार्रवाई करने की बात कहीं है। अभी इस मामले में कोई बड़ा एक्शन विभाग की तरफ से नहीं हुआ है।
कोरोना महामारी में सरकार की तरफ से तेजी से सैंपलिंग करने के आदेश दिए थे। स्वास्थ्य विभाग ने उस पर काम शुरू किया तो चार अप्रैल 2020 से लेकर 23 दिसंबर 2020 तक हजारों सैंपल लिए गए। इसमें काफी सैंपल सरकारी लैब में जांच के लिए भेजे गए। लेकिन 5416 सैंपल ऐसे थे जिनको विभाग ने बिना किसी की इजाजत के गुरुग्राम की लैब में भेज दिया। यहां तक की उन सैंपल की जांच का 45 लाख 70 हजार 608 रुपये भी जारी करवा दिया। हालात देखे कि पंचाकूला से उच्च अधिकारियों ने भी न इसकी जांच करवाई न ही देखा। पैसा जारी कर दिया गया।
सरकारी लैब से लेनी होती है एनओसी
नियमानुसार सरकार ने कोविड-19 शुरू होने के बाद प्राइवेट लैब से जांच करवाने की इजाजत दी थी। लेकिन उसमें स्पष्ट था कि पहले सरकारी लैब से उनको एनओसी लेनी होगी। उस आदेश में स्पष्ट है कि सरकारी लैब यदि क्षमता अनुसार टेस्ट कर चुकी है तो उसको एनओसी मिलेगी। लेकिन इस केस में किसी से न एनओसी ली गई न ही किसी से इजाजत। यहां तक की जिला प्रशासन के उच्च अधिकारियों को भी नहीं पता था।
16367 सैंपल का विवरण हुआ गायब
स्वास्थ्य विभाग की तरफ से एक जनवरी से लेकर 30 अप्रैल तक हजारों सैंपल किए। उपायुक्त को विभाग की तरफ से 33 हजार 803 सैंपल की रिपोर्ट भेजी गई। जांच में सामने आया कि 17 हजार 436 सैंपल की रिपोर्ट तो मिल गई। लेकिन 16 हजार 367 सैंपल का विवारण ही वह प्रस्तुत नहीं कर पाए। इसमें एक जनवरी 2021 से 30 अप्रैल 2021 तक के सैंपल की जानकारी ही उपलब्ध नहीं करवाई गई।
भुगतान रोकने की अपील
डीसी की तरफ से लिखे गए पत्र में उस पैसे को रोकने के लिए कहा गया जिसको अभी जारी नहीं किया गया है। पत्र में स्पष्ट है कि इसमें घोटाला हो सकता हैं। इसकी यदि विजिलेंस से जांच की जाए तो यह अन्य जिलों की जानकारी भी स्पष्ट हो जाएगी। इससे अन्य लोगों की संलिप्त का भी पता लगाया जा सकेगा।
एक दिसंबर 2020 को खुली थी लैब
भिवानी के सिविल अस्पताल में सरकार की तरफ से कोरोना सैंपल की जांच की लैब खोली गई थी। जांच में सामने आया कि लैब का प्रयोग उसकी क्षमता के हिसाब से नहीं किया गया। लैब खुलने के बाद भी प्राइवेट लैब में जांच करवाई गई। रिपोर्ट के अनुसार भिवानी की आरटीपीसीआर लैब में 12 हजार 890 सैंपल की जांच हुई। प्राइवेट लैब में 4201 सैंपल की जांच करवाई गई। इसी प्रकार नागरिक अस्पताल पंचकूला से 345 सैंपल की जांच करवाई गई।
..कोरोना सैंपल के टेस्ट में कमेटी की तरफ से जांच रिपोर्ट उनको मिली है। उसमें गड़बड़ी सामने आई है। अब अतिरिक्त मुख्य सचिव को उनकी तरफ से सख्त कार्रवाई और विजिलेंस जांच के लिए लिखा गया है।
- जयबीर सिंह आर्य, उपायुक्त, भिवानी