हरियाणा के गांवाें में कोरोना जांच कैंप और प्रशासनिक निगरानी की दरकार, बढ़ रहा संक्रमण का दायरा
लॉकडाउन में भी 10 फीसद लोग बचाव नियमों को लेकर लापरवाही बरत रहे हैं। गांवों में हवन-यज्ञ हो रहे हैं। ऐसा मंजर पहले किसी ने नहीं देखा। इन हालातों में अब गांवाें में कोरोना जांच कैंपों की दरकार बढ़ रही है।
बहादुरगढ़, जेएनएन। कोरोना की दूसरी लहर के निशाने पर ग्रामीण अंचल ज्यादा है। पिछले साल काफी हद तक इस महामारी से बचे रहे गांवों में इस बार कोरोना का खतरनाक स्ट्रेन कहर बरपा रहा है। घर-घर में बीमार लोग हैं। बुखार के अलावा दूसरे कारणों से भी मौतें हो रही हैं। लोग एक दूसरे का दुख भी बांट नहीं पा रहे हैं। लॉकडाउन में भी 10 फीसद लोग बचाव नियमों को लेकर लापरवाही बरत रहे हैं। गांवों में हवन-यज्ञ हो रहे हैं। ऐसा मंजर पहले किसी ने नहीं देखा। इन हालातों में अब गांवाें में कोरोना जांच कैंपों की दरकार बढ़ रही है।
शहर में तो सिविल अस्पताल में कोरोना टेस्ट के लिए सैंपल लिए जा रहे हैं और वहां पर बड़ी संख्या में लोग पहुंच भी रहे हैं। मगर गांवों के लोग टेस्टिंग को अनदेखा कर रहे हैं या फिर यू कहें कि सभी गांवों में फिलहाल कोरोना जांच के लिए सैंपल लेने की व्यवस्था न होने के कारण भी यह स्थिति बनी हुई है। अप्रैल के दूसरे सप्ताह से कोरोना के केस अचानक बढ़ने शुरू हुए और महीने के आखिर तक आते-आते हालत विकट हो गए। अब रोजाना जिले में जितने केस सामने आ रहे हैं, लगभग उतने ही डिस्चार्ज भी हो रहे हैं, मगर इस बार यह महामारी ज्यादा जानलेवा बन रही है।
पिछले साल भी मई में केस सामने आए मगर उनमें से ज्यादातर एसिंप्टोमेटिक थे। बहुत से संक्रमित लोगों को तो बुखार भी नहीं आया था, लेकिन इस बार तो वायरस की चपेट में आते ही स्वास्थ्य बदतर हो जाता है। गांवाें में अब पुलिस-प्रशासन की निगरानी की दरकार बढ़ रही है, ताकि लापरवाही रुके। साथ ही जो बीमार है, उनकी जांच भी हो। ताकि दूसरे लोगों को इससे बचाया जा सके।