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कोरोना संक्रमित होने के बावजूद स्‍वस्‍थ बच्‍चों को जन्‍म दे रहीं महिलाएं, नवजातों का ऐसे रख रहे ख्‍याल

कोराेना संक्रमित मां स्वस्थ बच्चों को जन्म दे रहे हैं। ट्रामा सेंटर में हर रोज किसी न किसी बच्चे की किलकारी गूंजती है तो वहां का स्टाफ भी तनाव भूल सुखद अनुभव करता है। पीजीआइ में हर रोज दस से अधिक गर्भवती महिलाएं डिलीवरी के लिए पहुंचती हैं।

By Manoj KumarEdited By: Published: Wed, 19 Jan 2022 03:30 PM (IST)Updated: Wed, 19 Jan 2022 03:30 PM (IST)
कोरोना संक्रमित होने के बावजूद स्‍वस्‍थ बच्‍चों को जन्‍म दे रहीं महिलाएं, नवजातों का ऐसे रख रहे ख्‍याल
कोरोना की तीसरी लहर में वायरस गर्भव‍ती महिलाओं को बहुत ज्‍यादा प्रभावित नहीं कर पा रहा है

विक्रम बनेटा, रोहतक : कोविड-19 की तीसरी लहर के बीच सुखद है कि कोराेना संक्रमित माएं स्वस्थ बच्चों को जन्म दे रहे हैं। ट्रामा सेंटर में हर रोज किसी न किसी बच्चे की किलकारी गूंजती है तो वहां का स्टाफ भी तनाव भूल सुखद अनुभव करता है। पीजीआइ में हर रोज दस से अधिक गर्भवती महिलाएं डिलीवरी के लिए पहुंचती हैं। ये प्रदेश भर से इसलिए रेफर होकर यहां आती हैं क्योंकि इनमें से किसी मेंं खून की कमी तो किसी का बीपी हाई या कम रहने की समस्या होती है।

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वर्तमान में पीजीआइ पहुंच रही ऐसी महिलाएं आए दिन जांच में कोरोना संक्रमित निकल रही हैं। कोरोना संक्रमित मिलने पर पीजीआइ की ओर से केवल सिजेरियन डिलीवरी का विकल्प लिया गया है। छह दिन के दौरान आठ महिलाओं की सिजेरियन डिलीवरी ट्रामा सेंटर में करवाई गई है। सुखद यह है कि सभी के बच्चे स्वस्थ हैं।

-एनआइसीयू में शिफ्ट कर दिए जाते हैं नवजात

नवजातों को संक्रमण से बचाने के लिए जन्म के तुरंत बाद एनआइसीयू में शिफ्ट कर दिया जाता है। वहीं उनकी माताओं को ब्लाक चार में भेज दिया जाता है। दो महिलाओं ने तो डिलीवरी के मात्र दो दिन बाद ही कोरोना को हरा दिया। संक्रमित पाई गई गर्भवती महिलाओं में अभी तक ओमिक्रोन वैरिएंट के लक्षण पाए गए हैं।

-कोरोना संक्रमित नवजात बच्चों की माताओं के अनुभव

केस-एक : महेंद्रगढ़ जिले के बलाना गांव निवासी 22 वर्षीय ज्योति (बदला हुआ नाम) ने बताया कि 12 जनवरी को खून की कमी के कारण पीजीआइ आए थे। 16 फरवरी को कोरोना संक्रमित होने का पता लगा तो ट्रामा में लेकर गए। वो पहले तो घबरा गई थी लेकिन 17 जनवरी को बेटी को जन्म दिया। बेटी स्वस्थ है तो उसका भी भय निकल गया। ट्रामा सेंटर का स्टाफ उसे दिलासा देता रहा, जिसके चलते उसका कभी हौंसला कमजोर नहीं हुआ।

केस- दो -डिलीवरी के बाद हराया कोरोना

झज्जर जिले के खरहर गांव निवासी 20 वर्षीय कविता (बदला हुआ नाम) ने बताया कि 14 जनवरी को डिलीवरी के समय ब्लड प्रेशर बढ़़ने के कारण पीजीआइ लाया गया था। 15 को कोरोना संक्रमित मिली तो ट्रामा में शिफ्ट हुई, वहां पर उसी दिन बेटे को जन्म दिया। 17 को रिपोर्ट निगेटिव भी आ गई। उसे केवल हल्का बुखार महसूस हो रहा था, उसे कभी लगा ही नहीं कि कोरोना हो सकता है।


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