गांवों में कोरोना : बहादुरगढ़ के आसौदा गांव में अब कम हुआ संक्रमण, मौत का सिलसिला भी रुका
बहादुरगढ़ में संक्रमण की चपेट में आए दो पंचायतों वाले गांव आसौदा में स्वास्थ्य विभाग की ओर से तीन दिन पहले लिए गए 41 सैंपलाें की रिपोर्ट आ गई है। इनमें से एक पॉजिटिव मिला है। यहां पर अब बुखार के केस काफी कम हो गए हैं।
बहादुरगढ़, जेएनएन। शहरों के साथ अब कोरोना के केस गांवों में भी कम होने लगे हैं। जबकि इससे पहले हातात बुरी तरह से बिगड़ चले थे। इन्हीं में से एक गांव असौदा भी था जिसमें कई लोगों की मौतें हो चुकी थी। बहादुरगढ़ में संक्रमण की चपेट में आए दो पंचायतों वाले गांव आसौदा में स्वास्थ्य विभाग की ओर से तीन दिन पहले लिए गए 41 सैंपलाें की रिपोर्ट आ गई है। इनमें से एक पॉजिटिव मिला है। यहां पर अब बुखार के केस काफी कम हो गए हैं। मौत का सिलसिला भी रुक गया है। पिछले दिनों प्रशासन की ओर से गांव के दो स्कूल भवनों में अलग-अलग पंचायतों के लिए 20 व 25 बेड के आइसोलेशन सेंटर बनाए गए थे। उसके बाद कोरोना जांच के लिए स्पेशल कैंप भी लगाया गया। इसमें 41 सैंपल लिए गए।
गांव में घर-घर जाकर सर्वे भी किया गया। इसमें यह पता किया गया कि किस घर में कितने सदस्य है और कौन बीमार है। बाकायदा आधार कार्ड के आधार पर पूरी जानकारी एकत्रित की गई। यहां पर सामाजिक कार्यकर्ता भी संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए जुटे रहे। ग्रामीणों के मुताबिक अब बुखार के केस काफी कम हो गए हैं। नए मरीज न के बराबर हैं। मौत का सिलसिला भी लगभग दो सप्ताह से थम गया है।
एक महीने तक गांव में हुआ हवन-यज्ञ, पूर्णिमा पर समापन :
शहर में पर्यावरण को लेकर काम करने वाली क्लीन एवं ग्रीन एसोसिएशन की स्पेशल-26 टीम द्वारा संवेदनशील गांवों के लिए मास्क और दवाइयां भेंट की गई हैं। आसौदा में इन दवाइयों और मास्क का सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा गांव में वितरण किया गया था। दूसरी ओर गांव के कमल योगाचार्य, रवि, संदीप शास्त्री, रोहतास कोच, सुनील आर्य व अन्य द्वारा अप्रैल के आखिरी सप्ताह में गांव में नियमित रूप से रोजाना हवन-यज्ञ की धूनी फैलाई गई, ताकि वातावरण शुद्ध रहे और लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़े। बुधवार को पूर्णिमा पर इसका समापन किया गया। आसौदा के युवाओं द्वारा इस महामारी से गांव को सुरक्षित करने के लिए काफी प्रयास किए जा रहे हैैं। सुनील आर्य ने बताया कि गांव के प्रत्येक युवा को पेड़ लगाने का भी संकल्प दिलवाया गया है ताकि भविष्य में आक्सीजन की कमी न हो।