कम खतरनाक हुआ कोरोना तो उठने लगी दुकानों को 6 बजे के बाद भी खोले रखने देने की मांग
कोरोना के नए वैरिएंट के कारण लोग संक्रमित भी हो रहे हैं तो बहुत कम लोगों को अस्पताल में भर्ती करने की स्थिति पैदा हो रही है। जो अस्पताल में भर्ती है उन्हें भी आक्सीजन की कमी अथवा अन्य परेशानी नहीं आ रही। ऐसे में मार्केट खोलने की मांग उठी
जागरण संवाददाता, सिरसा : जिले में कोरोना संक्रमण के केस लगातार बढ़ रहे हैं। एक्टिव मरीजों की तादाद भी 1157 तक पहुंच चुकी है। इसके बावजूद लोगों में कोरोना का डर नहीं है। कोरोना के नए वैरिएंट के कारण लोग संक्रमित भी हो रहे हैं तो बहुत कम लोगों को अस्पताल में भर्ती करने की स्थिति पैदा हो रही है। जो अस्पताल में भर्ती है उन्हें भी आक्सीजन की कमी अथवा अन्य परेशानी नहीं आ रही। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग ने राहत की सांस ली है। आमजन यह सोचने लगा है कि जब कोरोना संक्रमण खतरनाक नहीं है तो शाम छह बजे के बाद बाजार बंद करने सहीं नहीं है। स्कूल बंद होने के कारण बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है। बच्चों के अभिभावक व स्कूल संचालक भी स्कूल खोलने की मांग कर रहे हैं।
आम लोगों का तर्क ठंड के कारण बढ़े सर्दी जुकाम के मामले
कोरोना महामारी के बीच लोगों में सर्दी जुकाम के मामले बढ़ रहे हैं। बड़ी तादाद में लोग जुकाम, बुखार, खांसी, गले का दर्द इत्यादि बीमारियों से पीड़ित हो रहे हैं। निजी अस्पतालों व गली मुहल्लों में स्थित क्लीनिक पर भी मरीजों की भरमार है। आमजन का कहना है कि कोरोना की चपेट में सभी आ रहे हैं जो लोग सैंपल करवा रहे हैं वे पाजिटिव करार दिये जा रहे हैं और जो नहीं करवाते वे कुछ दिन खुद ही ठीक हो रहे हैं।
व्यापार मंडल भी कर चुका है दुकानें खोलने की मांग
व्यापार मंडल द्वारा शाम छह बजे के बाद बाजारों को बंद करने के आदेश वापस लेने की मांग की गई है। व्यापारी नेता बजरंग दास गर्ग से व्यापारियों ने मांग की है कि बाजारों को खोलने की अवधि को रात आठ बजे तक किया जाए। दुकानदारों का तर्क है कि ठंड, बरसात के कारण कामकाज ठप है। शाम छह बजे के बाद पुलिस कर्मी दुकानें बंद करवाने आ जाते हैं, ऐसे में उनके काम धंधे प्रभावित हो गए है। रोड़ी बाजार निवासी लोकेश, केवल कृष्ण, पंकज, सुनील इत्यादि दुकानदारों का कहना है कि कोरोना संक्रमण अब खतरनाक नहीं है। अधिकतर लोगों ने वैक्सीन भी लगवाई हुई है, ऐसे में अब बाजार बंद करने से अर्थव्यवस्था प्रभावित हो रही है। काम धंधे चौपट है। स्थिति यह हो चुकी है कि किराया निकालना भी मुश्किल है, उपर से दुकान में कर्मचारियों का खर्चा, बिजली बिल इत्यादि अलग है।