जागरूक किसान नहीं जला रहे पराली, सुपर सीडर मशीन से कर रहे हैं गेहूं की बिजाई
किसानों द्वारा गेहूं की फसल बोने के लिए खेत तैयार किया जाएगा। किसानों द्वारा धान कटाई के बाद बचे अवशेष पराली को जलाने की बजाय सीधे सुपर सीडर मशीन द्वारा गेहूं की बिजाई करने में जुटे हुए हैं। बेलर मशीन द्वारा पराली की गांठें बनाने में लगे हुए हैं।
बड़ागुढ़ा/सिरसा, जेएनएन। बड़ागुढ़ा खंड क्षेत्र में दैनिक जागरण द्वारा चलाई जा रही मुहिम पराली नहीं जलाएंगे पर्यावरण बचाएंगे और कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा ग्रामीण आंचल में किसानों को पराली न जलाने के लिए जागरूक किए जाने पर प्रगतिशील किसान अमल करने लगे हैं। गांव झिड़ी के प्रगतिशील किसान बेअंत ङ्क्षसह, बिकर ङ्क्षसह, बलतेज ङ्क्षसह, गुरलाभ ङ्क्षसह ने बताया कि उन्होंने पीबी 1 धान की किस्म बोई थी जिसे लेबर की सहायता से कटवाया। उसके बाद थ्रेसर मशीन द्वारा निकाला। वही कुछ किसानों द्वारा धान की अन्य किस्म बोई गई थी जिसे कंबाइन मशीन द्वारा काटा गया।
उसके बाद बचे अवशेष पराली को जलाने की बजाय अन्य तरीके अपनाकर पर्यावरण संरक्षण में सहयोग कर रहे हैं। किसानों द्वारा गेहूं की फसल बोने के लिए खेत तैयार किया जाएगा। इस तरह से जागरूक किसानों द्वारा धान कटाई के बाद बचे अवशेष पराली को जलाने की बजाय सीधे सुपर सीडर मशीन द्वारा गेहूं की बिजाई करने में जुटे हुए हैं। वही किसानों द्वारा बेलर मशीन द्वारा पराली की गांठें बनाने में लगे हुए हैं। कोई किसान ट्रैक्टर की सहायता से कटर द्वारा धान कटाई के बचे अवशेष को काट कर जमीन में बिछा दिया जाता है।
उसके बाद ट्रैक्टर की सहायता से रैंक द्वारा पराली की लाइनें बना जाती है। तत्पश्चात बेलर मशीन द्वारा पराली की गांठें बनाने जाती है। इस तरह से किसानों को काफी मेहनत करनी पड़ती है। किसान सौरभ ङ्क्षसह, काला ङ्क्षसह, युवराज ङ्क्षसह, अमृत पाल , जरनैल ङ्क्षसह, गुरप्रीत ङ्क्षसह आदि ने बताया कि उन्होंने धान कटाई के बाद बचे अवशेष पराली को जलाने की बजाय अन्य तरीके अपनाकर आगामी गेहूं की फसल बोने के लिए खेत की तैयारी कर रहे हैं।
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जागरूकता का असर दिखने लगा है
खंड कृषि अधिकारी बड़ागुढ़ा प्यारे लाल, एटीएम गुरप्रीत ङ्क्षसह, सुधीर कुमार आदि ने बताया कि क्षेत्र में जागरूकता का असर देखने को मिल रहा है। फील्ड में अकसर देखने को मिल रहा है कि जागरूक किसान सुपर सीडर मशीन द्वारा सीधे बिजाई कर रहे हैं। वही कुछ किसानों द्वारा बेलर मशीन द्वारा पराली की गांठें बनाने का कार्य जारी है। जागरूक किसानों द्वारा पराली को जलाने की बजाय अन्य तरीके अपनाकर पर्यावरण संरक्षण में सहयोग करना सराहनीय योगदान है। उन्होंने कहा कि अन्य किसानों को भी पराली प्रबंधन पर बल देकर पर्यावरण संरक्षण में सहयोग करना चाहिए ताकि हमारा वातावरण स्वच्छ रहे।