पारंपरिक तकनीक से तैयार की जा रही को-वैक्सीन, वायरस के म्यूटेट होने पर भी होगी कारगर
पीजीआई रोहतक में तीसरे व अंतिम फेज का ट्रायल चल रहा है। इसी सप्ताह वैक्सीन का ड्राइ रन यानि रिहर्सल भी होना है। वैक्सीन को लेकर लोगों में तरह-तरह के सवाल हैं। पीजीआइएमएस में को-वैक्सीन की प्रिंसिपल इंवेस्टिगेटर डा. सविता वर्मा से वैक्सीन पर दैनिक जागरण ने खास बातचीत की।
रोहतक [केएस मोबिन] कोरोना वैक्सीन (को-वैक्सीन) के इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिलने के बाद आम जन के साथ चिकित्सक भी गदगद हैं। भारत बायोटेक और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) की ओर से स्वदेशी वैक्सीन तैयार की जा रही है। रोहतक पीजीआइएमएस में तीसरे व अंतिम फेज का ट्रायल चल रहा है। अभी तक 450 से ज्यादा वालंटियर डोज ले चुके हैं। इसी सप्ताह वैक्सीन का ड्राइ रन यानि रिहर्सल भी होना है। वैक्सीन को लेकर लोगों में तरह-तरह के सवाल हैं। पीजीआइएमएस रोहतक में को-वैक्सीन की प्रिंसिपल इंवेस्टिगेटर डा. सविता वर्मा से वैक्सीन को लेकर दैनिक जागरण ने खास बातचीत की।
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सवाल : वैक्सीन का ट्रायल पूरा नहीं हुआ है, लेकिन इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिली है। इसे कैसे देखती हैं?
जवाब : वैक्सीन के अंतिम फेज का ट्रायल चल रहा है। हमारे यहां पहले दो फेज के ट्रायल भी हुए। किसी प्रकार की समस्या वालंटियर को नहीं आई। डब्ल्यूएचओ के अनुसार 50 फीसद प्रभावकारी वैक्सीन का इस्तेमाल किया जा सकता है। हमारे यहां तो इससे बेहतर परिणाम आए हैं।
सवाल : पीजीआइ रोहतक तीनों फेज के ट्रायल में शामिल रहा, कितनी बड़ी उपलब्धि या चुनौती रही?
जवाब : यह हमारे लिए गर्व की बात है कि इतनी बड़ी जिम्मेदारी के लिए संस्थान पर भरोसा जताया गया। यह सभी चिकित्सक व कर्मचारियों के सामूहिक प्रयासों का नतीजा है कि आशाओं पर खरा उतर पाए। को-वैक्सीन के पहले और दूसरे फेज के ट्रायल को समय से पूरा किया गया।
सवाल : अभी तक के ट्रायल के नतीजे कितने सकारात्मक रहें?
जवाब : पहले दो फेज के ट्रायल में 780 वालंटियर को डोज दी गई। दूसरे फेज में सभी 375 वालंटियर को वैक्सीन लगाई गई, इसमें सिर्फ एक वालंटियर को कोरोना के एसिम्पटोमेटिक लक्षण आए। वह भी पूरी तरह से स्वस्थ हैं। हालांकि, डेटा का विश्लेषण चल रहा है।
सवाल : दो वक्सीन के इस्तेमाल की मंजूरी दी गई है। यह अन्य से किस तरह अलग है?
जवाब : पारंपरिक तरीके से को-वैक्सीन को तैयार किया जा रहा है। यह किल्ड वैक्सीन है, इसके साइड इफेक्ट न के बराबर होते हैं। दूसरा, वैक्सीन की डोज से भी कोरोना नहीं हो सकता। इस तरह से तैयार वैक्सीन वायरस के म्यूटेट होने पर भी कारगर रहेगी।
सवाल : तीसरे फेज के ट्रायल में 25800 वालंटियर शामिल किए जा रहे हैं। यह नंबर कैसे तय किया गया?
जवाब : यह एक तकनीक पर आधारित है। एक तरह से गणितीय मॉडल है। रोग के प्रभाव, क्षेत्र, जन-जीवन आदि के अनुसार नंबर निकाले जाते हैं। किसी भी वैक्सीन को तैयार करने के लिए वालंटियर के नंबर इसी तरह तय किए जाते हैं।
सवाल : क्या एक्टिव कोविड के मरीज को भी वैक्सीन दी जाएगी?
जवाब : नहीं, एक एक्टिव कोविड मरीज में यह किस तरह से काम करेगी कहा नहीं जा सकता। गाइडलाइन में भी शामिल नहीं किए गए हैं। वैक्सीन का काम शरीर में एंटीबॉडी तैयार करना है। कोविड से रिकवर हुए मरीज वैक्सीन की डोज ले सकते हैं।
सवाल : कैंसर, डायबिटिज या अन्य गंभीर बीमारी वाले मरीज जोकि पहले ही मेडिकेशन पर हैं उन्हें वैक्सीन दी जा सकती है?
जवाब : ऐसे मरीजों को वैक्सीन के लिए खुद आगे आना चाहिए। डोज लगने बाद भी अपनी दवाईयां जारी रख सकते हैं। इस तरह के मरीज को कोविड से ज्यादा परेशानी हो सकती है। हालांकि, व्यक्ति को खुद ही पहल करनी है।
सवाल : तीसरे फेज के ट्रायल के लिए एक हजार वालंटियर का आंकड़ा अभी काफी दूर है?
जवाब : देशभर में 25 सेंटर पर ट्रायल चल रहा है। किसी भी सेंटर पर कोई आंकड़ा तय नहीं किया गया है। जैसे ही 25800 का आंकड़ा छू लेंगे, वालंटियर शामिल करने की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।
सवाल : संकट के समय बड़ी जिम्मेदारी निभा रही हैं। घर और चिकित्सीय जीवन को कैसे मैनेज कर रहीं हैं?
जवाब : पीजीआइएमएस मेरे लिए घर की तरह है। यहीं से एमबीबीएस और पीजी की। नौकरी करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। करीब 25 सालों का रिश्ता है। पति भी चिकित्सक हैं। संकट जरूर गंभीर है, लेकिन आपसी समझबूझ से निपट रहे हैं।