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खून की कमी से जूझ रहे शहर के सरकारी स्कूलों के बच्चे, हर तीन में एक एनीमिया से पीड़ित

आजादी के 70 साल बाद भी बेहतर खानपान के अभाव और आर्थिक तंगी का ही दुष्प्रभाव है कि बच्चे कुपोषण और खून की कमी (एनीमिया) जैसे गंभीर बीमारी से अब तक जूझ रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 26 May 2018 01:24 PM (IST)Updated: Sat, 26 May 2018 02:26 PM (IST)
खून की कमी से जूझ रहे शहर के सरकारी स्कूलों के बच्चे, हर तीन में एक एनीमिया से पीड़ित
खून की कमी से जूझ रहे शहर के सरकारी स्कूलों के बच्चे, हर तीन में एक एनीमिया से पीड़ित

पंकज कुमार पांडेय, हिसार : आजादी के 70 साल बाद भी बेहतर खानपान के अभाव और आर्थिक तंगी का ही दुष्प्रभाव है कि बच्चे कुपोषण और खून की कमी (एनीमिया) जैसे गंभीर बीमारी से अब तक जूझ रहे हैं। हिसार शहरी क्षेत्र के सरकारी स्कूलों में हर तीन बच्चों में से एक बच्चा एनीमिया से पीड़ित है। इस बीमारी की चपेट में आकर बच्चों की मानसिक एवं शारीरिक विकास तो प्रभावित हो ही रहा है, साथ ही उनकी स्मरण शक्ति भी कम होती जा रही है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के रिपोर्ट के अनुसार खून की कमी के कारण होने वाली बीमारी एनीमिया से जूझ रहे बच्चों की संख्या साल दर साल बढ़ती ही जा रही है। पिछले वर्ष की तुलना में इस साल चार फीसद अधिक बच्चे इस बीमारी के गिरफ्त में पाए गए है। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2017-18 में हिसार के शहरी क्षेत्र के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 0 से 18 वर्ष की आयु के 17,417 बच्चों का स्वास्थ्य जांचा गया। जिसमें से 4,778 बच्चों में एनीमिया बीमारी पाई गई। जबकि 14 बच्चे दिल की बीमारी एवं 1,225 बच्चे चर्म रोग से पीड़ित मिले। वहीं पूरे हिसार जिले के सरकारी स्कूलों में करीब 14 फीसद बच्चे इस बीमारी से पीड़ित है।

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जिले के सरकारी स्कूलों में करीब दो लाख बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया, जिसमें 25,635 बच्चों में एनीमिया बीमारी पाई गई। जबकि वर्ष 2017-16 की रिपोर्ट में कुल 2,27,251 बच्चों की जांच की गई थी, जिसमें से 42,179 बच्चे एनीमिया के शिकार पाए गए थे।

ये कहते हैं डाक्टर

डिप्टी सीएमओ डाक्टर अर्चना सहगल बताती हैं कि बड़ों के मुकाबले बच्चों में एनीमिया होने की संभावना अधिक होती है। जिन बच्चों के खून में हीमोग्लोबिन का स्तर उनकी उम्र और शारीरिक बनावट की तुलना में कम होता है, ज्यादातर वे बच्चे ही इससे पीड़ित होते हैं। उन्होंने बताया कि बच्चों को शारीरिक विकास के अनुपात पौष्टिक खानपान नहीं मिल पाने के कारण उनके शरीर में खून की कमी होने लगती है, जिससे वे इस बीमारी की चपेट में आ जाते हैं। इससे निजात पाने के लिए सरकारी कार्यक्रमों के तहत स्कूलों में बच्चों को आयरन की गोली निशुल्क दी जाती है, लेकिन ब'चे नियम से इसका सेवन नहीं कर पाते है। जिससे वे इस बीमारी से पीड़ित हो जा रहे है। जागरुकता की है कमी : फार्मासिस्ट

नागरिक अस्पताल के फार्मासिस्ट राजन वर्मा ने कहा कि ग्रामीण इलाके के बच्चों में शहरी बच्चों की तुलना एनीमिया बीमारी अधिक पाया जाता है। हालांकि वर्तमान में आई रिपोर्ट के अनुसार अब एनीमिया हर क्षेत्र के बच्चों में पाया जाने लगा है। इसका मुख्य कारण है शहरी व अभिजात वर्ग के बच्चे द्वारा बाजार के खाने को अधिक पसंद किया जाना। इससे उनके शरीर को पौष्टिक पदार्थ पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाता है और वे इस रोग से ग्रस्त हो जाते हैं। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति और जागरुकता की कमी के कारण ब'चे इस बीमारी से पीड़ित हो जा रहे हैं।

एनीमिया के लक्षण

- शरीर में थकान

- शरीर में सुस्ती आना

- सांस फूलना

- मुंह में छाले पड़ जाना

- धड़कन तेज हो जाना

- सिर में तेज दर्द होना ये है कारण

- शरीर में आयरन की कमी

- वजन कम होना

- पेट में इंफेक्शन

- पौष्टिक भोजन न मिलना

- धुम्रपान का सेवन

- ओवर वेट अपने खाने में प्रॉपर बैलेंस डाइट को शामिल करके ही एनीमिया से पीछा छोड़ाया जा सकता है। दवाइयों से इससे कुछ समय के लिए राहत मिल सकती है, लेकिन पूरी तरह छुटकारा पाने के लिए प्रोपर बैलेंस डाइट ही सटीक उपाए हैं।

- डा. अर्चना सहगल, डिप्टी सीएमओ।


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