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बदल रहे हरियाणा में रीति-रिवाज, भिवानी में दो बेटियों की एक साथ हुई घुड़चढ़ी

हरियाणा में समाज के रीति-रिवाजों में काफी बदलाव हो रहा है। विवाह के रस्‍म भी बदल रहे हैं। भिवानी में दो दुल्‍हनों की घुड़चढ़ी जैसी रस्‍म की गई।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 29 Jan 2020 10:17 AM (IST)Updated: Wed, 29 Jan 2020 02:41 PM (IST)
बदल रहे हरियाणा में रीति-रिवाज, भिवानी में दो बेटियों की एक साथ हुई घुड़चढ़ी
बदल रहे हरियाणा में रीति-रिवाज, भिवानी में दो बेटियों की एक साथ हुई घुड़चढ़ी

भिवानी, जेएनएन। हरियाणवी समाज बदल रहा है। रिवाज बदल रहा है। बेटों को घोडिय़ों पर बैठाकर बनवारा (घुड़चढ़ी) निकाला जाता रहा है, लेकिन यहां अब बेटियों की यह रस्‍म की जा रही है। शहर में दो बेटियों का बनवारा निकाला गया। शहर के हनुमान ढाणी में रहने वाले दो भाइयों की बेटियों कंचन और मोनिका को घोडिय़ों पर बैठाकर बनवारा निकाला गया।

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बता दें कि बनवारा विवाह के पहले घुड़चढी जैसी रस्म होती है। इसमें जिसका विवाह हो रहा है उसे घोड़़ी पर बैठाकर एक दिन पहले मंगलगान गाते हुए गांव व मुहल्ले में जुलूस की शक्ल में परिवार सदस्‍य देवस्थान पर जाते हैं। अपनी बेटियों को घोड़ी पर सवार देख मनोज कुमार और उनके भाई हरिकेश के चेहरे चमक रहे थे। दोनों बेटियों का विवाह राजस्थान के शहर सीकर में हो रहा है। बरात आज आनी है।

दोनों बेटियों का जब बनवारा निकल रहा था तो मंगलगान करते हुए महिलाएं थिरक रही थीं। इनमें पहले तो परिवार और रिश्तेदारियों की महिलाएं और पुरुष शामिल थे, लेकिन जैसे जैसे जुलूस आगे बढ़ते गया, बेटियों के बनवारे में शामिल होने की ललक में अन्य महिलाएं और पुरुष भी थिरकने लगे। भिवानी में इसके पहले भी दो बेटियों का बनवारा निकला है। एक का तो लगभग दस वर्ष पहले और दूसरी का अभी कुछ महीने पहले। दो बेटियों का एक साथ बनवारा देख लोग अभिभूत थे।

कंचन के पिता मनोज कुमार और उनकी मां बबीता देवी, मोनिका के पिता हरिकेश और उनकी मां पुष्पा ने बताया कि हमारी बेटियां बेटों से कम थोड़े ही हैं। हमने बेटे और बेटी में कभी कोई अंतर नहीं समझा। इसलिए हम वे सभी रस्में करेंगे, जो बेटों के विवाह में होती हैं।

दुल्हन बनकर जाने वाली मोनिका और कंचन भी प्रसन्न थीं। कंचन और मोनिका ने बताया कि  हमारी भी इच्छा थी कि बेटों की तरह अपने शादी में घोड़ी पर बैठें। मम्मी पापा ने हमारी इच्छा का ध्यान रखते हुए हमें बेटों की ही तरह घोडिय़ों पर बैठाकर बनवारा निकाला।

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