सिरसा में ट्यूबवेलों पर घटिया केबल लगाने का मामला, आठ फर्मों पर एफआइआर
सिरसा में ट्यूबवेलों पर घटिया केबल लगाने का मामला सामने आया है। पुलिस ने मामले में आठ फर्मों पर एफआइआर दर्ज की है। एसडीओ पूनिया की शिकायत पर शहर थाना पुलिस ने कार्रवाई की। फिनोलेक्स लिमिटेड ने इस तार की जांच की तो वह नमूना फेल हो गया।
जागरण संवाददाता, सिरसा। शहर में ट्यूबवेलों पर स्पेसीफिकेशन को दरकिनार कर घटिया मेटेरियल लगाने के लिए आठ ठेकेदार व फर्मों के विरुद्ध शहर थाना पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है। पुलिस की यह कार्रवाई कष्ट निवारण समिति की बैठक में एफआइआर संबंधी निर्देश होने के बाद विभाग के एसडीओ बलवंत पूनिया की शिकायत पर हुई है। जिसमें उनके उपमंडल में लगाए गए ट्यूबवेलों के संबंध में विवरण दिया गया है।
शहर थाना पुलिस को दी शिकायत में गली नंबर दस शांतिनगर कांडा कालोनी, बीएंडआर कालोनी, आटो मार्केट, गली नंबर एक कल्याणनगर, शमशाबादपट्टी, रेडक्रास भवन व सीएचसी हास्पीटल रानियां में ट्यूबवेल लगाए जाने की जानकारी दी है। इनमें से चार ट्यूबवेल एचएस कांट्रेक्टर, गणेश कंस्ट्रक्शन कंपनी, ठेकेदार हरमीत सिंह, सुखविंद्र सिंह व रणधीर सिंह द्वारा लगाए गए हैं।
सात ट्यूबवेल अंबाला मैकेनिकल डिविजन ने लगवाए
विभागीय अधिकारियों के अनुसार जन स्वास्थ्य विभाग की डिविजन नंबर तीन की ओर से आठ ट्यूबवेलों पर मेटेरियल लगाया गया था जबकि सात ट्यूबवेल अंबाला स्थित मैकेनिकल डिविजन की ओर से लगाए गए थे जिनका कार्यालय फतेहाबाद में है।
ये थी शिकायत
शिकायतकर्ता नोहरिया बाजार निवासी नीटू कुमार ने बताया कि सिरसा शहर में पेयजल आपूर्ति के लिए 15 से अधिक ट्यूबवेल लगाए गए थे जिनमें टेंडर के अनुसार दिए गए मानकों के हिसाब से सामग्री नहीं लगाई गई। पाइप, बिजली केबल व नट बोल्ट तक घटिया सामग्री लगाई गई और बोगस जीएसटी बिल तैयार किए गए। उनकी शिकायत के बाद एक साइट से तार का नमूना 24 अगस्त 2021 को लिया गया। फिनोलेक्स लिमिटेड ने इस तार की जांच की तो वह नमूना फेल हो गया। इसके बाद तार बदलवाई गई।
कष्ट निवारण समिति की बैठक में हुए थे जांच के आदेश
यह मामला कष्ट निवारण समिति की बैठक में रखा गया था। जिसकी अध्यक्षता करते हुए गृहमंत्री अनिल विज ने एफआइआर दर्ज करने के निर्देश दिए थे। जिसके बाद जनस्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग ने इस मामले में संबंधित फर्मों के बारे में पुलिस को जानकारी दी है और इसी आधार पर केस दर्ज किया गया है। जनस्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार इस मामले की जांच अब पुलिस करेगी। उन्होंने फर्मों के नाम उपलब्ध करवा दिए हैं।