100 रुपये में कैंसर का इलाज, मैग्नेटिक फ्लुअड हाइपर थर्मिया तकनीक से होगा यह कमाल
कैंसर रोगियों के लिए अच्छी खबर है। अब कैंसर रोगियों का इलाज बेहद सस्ते में हो सकेगा। अब महज 100 रुपये में मैग्नेटिक फ्लुअड हाइपर थर्मिया तकनीक से थेरेपी हो सकेगी।
हिसार, [संदीप बिश्नोई]। कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी काे हराने की दिशा में बड़ी कामयाबी मिली है। कैंसर रोगियों को बहुत सस्ता इलाज मिल सकेगा। अब देश के विभिन्न हिस्सों में महामारी का रूप ले चुकी कैंसर के इलाज को सस्ता और सुलभ बनाने के लिए अब मैग्नेटिक फ्लुअड हाइपर थर्मिया तकनीक का इस्तेमाल होगा। यह तकनीक वर्तमान रेडिएशन थेरेपी की बजाय कई गुणा सस्ती होगी। महज 100 रुपये में एक बार की थेरेपी करवाई जा सकेगी।
इससे रेडिएशन थेरेपी जैसा नुकसान भी नहीं होगा। तमिलनाडु के कलपक्कम स्थित इंदिरा गांधी सेंटर ऑफ ऑटोमिक रिसर्च के शोधार्थियों ने इस तकनीक की खोज की है। शोधार्थी बीबी लाहिरी और उनके सुपरवाइजर डाॅ. जॉन फिलिप ने बताया कि इस तकनीक से न केवल कैंसर सैल्स को सीधे खत्म किया जा सकेगा, बल्कि आसपास के सैल्स भी सुरक्षित रहेंगे। वह गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय में भाभा परमाणु केंद्र की ओर से आयोजित 63वें डीएई सॉलिड स्टेट फिजिक्स सिम्पोजियम में भाग लेने पहुंचे थे।
ऐसे काम करेगी तकनीक
नैनो पार्टिकल को पानी में मिलाकर दिया जाएगा इंजेक्शन
बीबी लाहिरी के अनुसार इस तकनीक में पानी में कुछ नैनो पार्टिकल को चीनी की तरह घोल दिया जाता है। इसके बाद इसका इंजेक्शन सीधे कैंसर प्रभावित जगह पर दिया जाता है। इसके बाद रेडियो फ्रिक्वेंसी एसी मैग्नेटिक फ्लुअड द्वारा 126 किलोहार्टज की फिक्वेंसी के माध्यम से कैंसर सेल पर हीट छोड़ी जाती है। यह हीट उस सैल को खत्म कर देगी, जिसमें फ्लुअड का इंजेक्शन लगाया गया था। इस तकनीक से शरीर के किसी अन्य अंग को नुकसान नहीं पहुंचेगा।
रेडिएशन थेरेपी और मैग्नेटिक फ्लुअड हाइपर थर्मिया में है ये अंतर
- रेडियएशन थेरेपी के तहत एक बार थेरेपी करवाने पर तीन से 25 हजार तक खर्च होते हैं, जबकि मैग्नेटिक फ्लुअड हाइपर थर्मिया से एक बार की थेरेपी में केवल 100 रुपये लगेंगे।
- रेडिएशन थेरेपी हमारे डीएनए को डेमेज करती है, जबकि मैग्नेटिक फ्लुअड हाइपर थर्मिया से ऐसा नहीं होगा।
- रेडिएशन थेरेपी से कैंसर ग्रस्त सैल के साथ आसपास के स्वस्थ सैल भी खत्म हो जाते हैं, जबकि मैग्नेटिक फ्लुअड हाइपर थर्मिया तकनीक से केवल कैंसरग्रस्त सैल खत्म होगा।
- मरीज को रेडिएशन थेरेपी कई दिनों तक करवानी पड़ती थी, जिससे इलाज में देरी होती थी, जबकि मैग्नेटिक फ्लुअड हाइपर थर्मिया के तहत जरूरत अनुसार थेरेपी ली जा सकेगी।
- रेडिएशन थेरेपी का गर्भवती और कमजोर लोगों पर बुरा प्रभाव पड़ता है, जबकि नई तकनीक से इन लोगों को कोई खतरा नहीं होगा।