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साइकिल के पार्ट बनाने से शुरू किया था कारोबार, अब अग्नि-ब्रह्मोस्त्र तक में हमारे यहां के नट-बोल्ट

पंजाब के लुधियाना में थीं नट-बोल्ट की फैक्टरी। 1966 में विमल प्रसाद जैन ने लगाया यहां पहला प्लांट। 1958 से 1965 तक यहां साइकिल के पार्ट और रेफ्रीजेरेटर में उपयोगी कम्प्रेशर के पार्ट बनाने शुरू किए। 1966 में हिसार रोड पर नव भारत कंपनी शुरू की।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Mon, 27 Jun 2022 08:36 PM (IST)Updated: Mon, 27 Jun 2022 08:36 PM (IST)
साइकिल के पार्ट बनाने से शुरू किया था कारोबार, अब अग्नि-ब्रह्मोस्त्र तक में हमारे यहां के नट-बोल्ट
एलपीएस बोसार्ड कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर(एमडी) राजेश जैन।

रोहतक, जागरण संवाददाता। साइकिल के पार्ट बनाने का काम शुरू किया था, आज देश की तीनों सेनाओं के रक्षा प्रोजेक्ट से लेकर मिसाइल परीक्षण तक में रोहतक में बने नट-बोल्ट का इस्तेमाल होता है। नट-बोल्ट बनाने में रोहतक की बड़ी पहचान हो चुकी है। नींव 1958 में ही महज 15 कर्मचारियों के साथ स्वर्गीय विमल प्रसाद जैन ने रखी थी, जिसे उनके पुत्र राजेश जैन आगे बढ़ा रहे हैं।

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1975 में जबलपुर में सेना के वाहनों के लिए नट-बोल्ट निर्मित करने लगे। फिर कानपुर स्थित हथियारों की कंपनी के लिए नट-बोल्ट तैयार होने लगे। अब देश के मिसाइल प्रोजेक्ट जैसे अग्नि, पृथ्वी, त्रिशूल, ब्रह्मोस्त्र, आकाश तक में हमारे यहां के नट-बोल्ट का उपयोग होता है।

रेलवे रोड पर थी साइकिल की दुकान

एलपीएस बोसार्ड कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर(एमडी) राजेश जैन ने रोहतक में पहली नट-बोल्ट की कंपनी की शुरूआत के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि उस समय रेलवे रोड पर हमारा पुश्तैनी आवास व साइकिल की दुकान थी। उस दौरान पिता विमल प्रसाद को साइकिल की दुकान के लिए नट-बोल्ट पंजाब के लुधियाना से लाने पड़ते थे। इसलिए कुछ साइकिल के पार्ट यहीं बनाना शुरू कर दिए। जब बेहतर परिणाम आए तो 1965 तक रेफ्रीजेरेटर में उपयोग होने वाले कम्प्रेशर के पार्ट का भी उत्पादन शुरू किया।

1966 में हिसार में लगाया था प्लांट

1966 में हिसार रोड पर नट-बोल्ट निर्मित करने के लिए नव भारत का प्लांट लगाया। राजेश जैन के मुताबिक, लुधियाना के बाद उत्तर भारत का यह पहला प्लांट माना जाता है। उस दौरान प्लांट की शुरूआत महज 40-50 कर्मचारियों से की गई। यहां से दूसरे जिलों व कई प्रदेश में माल भेजने लगे। इसलिए जरूरत को देखते हुए 1969 में एलपीएस कंपनी स्थापित की। इससे ट्रैक्टर की कंपनियों, आटोमोबाइल सेक्टर के लिए भी माल तैयार करना शुरू किया। फिलहाल एलपीएस कंपनी में एक हजार से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं।

बीस साल से और मजबूत हुई हिस्सेदारी

एमडी राजेश जैन कहते हैं कि पिता विमल प्रसाद का 1990 में ही निधन हो गया था। उसके बाद हमने कारोबार को आगे बढ़ाया। अनुभव बताते हुए कहा कि पहले हमारे यहां से सेना के वाहनों व छोटे प्रोजेक्ट में ही नट-बोल्ट उपयोग होते थे। बाद में करार होते गए। रक्षा उपकरणों से लेकर मिसाइल, अंतरिक्षयानों तक में नट-बोल्ट उपयोग हुए। फिलहाल मेडिकल, टेक्नोलाजी, कृषि, मेट्रो, रेलवे, दुनिया के कई देशों के विकास परक प्रोजेक्ट में भी यहां से तैयार नट-बोल्ट उपयोग हो रहे हैं।

इसरो से लेकर अमेरिका, इजराइल तक की सेनाओं को किया मजबूत

रोहतक में फिलहाल छोटी-बड़ी करीब दो हजार इकाईयां लगी हैं। प्रमुख इकाईयों से नट-बोल्ट का कारोबार 58 देशों तक फैला हुआ है। आटोमोबाइल-कृषि सेक्टर में रोहतक की हिस्सेदारी ७० प्रतिशत तक है। रक्षा मंत्रालय, देश-दुनिया के बड़े प्रोजेक्ट के अलावा इसरो(भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) में भी हमारे यहां से तैयार नट-बोल्ट उपयोग होते हैं। मंगलयान में भी हमारे यहां से तैयार नट-बोल्ट का उपयोग हुआ था। अमेरिका, रूस, इजराइल तक की सेनाओं के रक्षा सौदों में हमारी साझीदारी है।

समाजसेवा में भी आगे रहते हैं राजेश जैन

एलपीएस बोसार्ड के एमडी राजेश जैन की उद्योगपति से ज्यादा पहचान समाज सेवा में है। कोरोना महामारी में इनके योगदान को कोई भुला नहीं सकता है। इसके अलावा स्वास्थ्य के क्षेत्र में निःशुल्क एंबुलेंस सेवा, फ्री क्लीनिकल कैंप, धार्मिक व सामाजिक संस्थाओं में अनुदान देने में कभी पीछे नहीं रहते हैं।

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