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सफेद सच: भाई तो भाई ही होता है, पढ़ें हरियाणा की राजनीति से जुड़ी रोचक खबरें

राजनीति में कई ऐसी चुटीली खबरें होती हैं जो अक्सर सुर्खियां नहीं बन पाती। हरियाणा के साप्ताहिक कालम सफेद सच के जरिए आइए राज्य की कुछ ऐसी ही रोचक व चुटीली राजनीतिक खबरों पर निगाह दौड़ाते हैं ।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Tue, 01 Dec 2020 01:55 PM (IST)Updated: Tue, 01 Dec 2020 01:55 PM (IST)
सफेद सच: भाई तो भाई ही होता है, पढ़ें हरियाणा की राजनीति से जुड़ी रोचक खबरें
ओमप्रकाश चौटाला, रणजीत चौटाला व चौटाला परिवार के अन्य सदस्य। जागरण

हिसार [जगदीश त्रिपाठी]। बड़ा भाई बचपन में छोटे का हाथ पकड़कर चलना सिखाता है। वक्त आने पर छोटा बड़े को सहारा देता है, लेकिन कई बार राजनीतिक मजबूरियां दोनों में दूरियां पैदा कर देती है। देश के उपप्रधानमंत्री रहे चौधरी देवीलाल के पुत्रों पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला और उनके छोटे भाई प्रदेश की मौजूदा सरकार में बिजली मंत्री चौधरी रणजीत सिंह के साथ भी ऐसा है। लगभग तीन दशक से दोनों भाइयों में राजनीतिक दूरी बनी हुई है। इधर, कई दिनों से अभय चौटाला के बेटे कर्ण और अर्जुन चौटाला के परिणय संस्कार के कारण घर में जश्न का माहौल है। सो, रोज आयोजन होते रहते हैं। इनमें दोनों बुजुर्ग भाई मिलते हैं तो दोनों के बीच स्नेह देखते ही बनता है। ऐसे ही एक फोटो सेशन में मौजूद लोगों की आंखें तब भर आईं जब ओमप्रकाश चौटाला छोटे भाई के बगल में खड़े हुए और रणजीत ने उनका हाथ पकड़कर सहारा दिया।

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सुरजेवाला से कष्ट, शर्मा जी से आनंद

बिहार चुनाव में कांग्रेस की तरफ से प्रभारी रहे हमारे हरियाणा के तेजस्वी नेता रणदीप सुरजेवाला वहां से कांग्रेस को उन्नीस सीटें जिताकर लौटने के बाद लगातार प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल पर हमलावर हैं। यहां तक कि प्रधानमंत्री पर भी । वह उन बातों पर ध्यान ही नहीं देते कि कांग्रेस बिहार में बुरी तरह पिट गई। और क्यों ध्यान दें? भाजपाई तो कहते हैं कि यह सुरजेवाला का ही प्रताप है कि कांग्रेस ने बिहार में उन्नीस सीटें जीत लीं और हमारी सरकार बन गई। दूसरी तरफ कांग्रेस के नेता ही उनको भाव नहीं देते। सुरजेवाला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में कहा कि वह आंदोलनकारी किसानों के साथ बात करने के बजाय कोविड वैक्सीन की लैब में जा रहे हैं, लेकिन अगले ही दिन कांग्रेस के राष्ट्रीय स्तर के हिमाचली नेता आनंद शर्मा ने प्रधानमंत्री की प्रशंसा कर दी कि उनके दौरे से विज्ञानियों का उत्साहवर्धन होगा।

किसान आंदोलन से मिली हुड्डा को राहत

किसान संगठनों के आंदोलन में कितने किसान हैं और कितने बिन बुलाए मेहमान, यह अलग विषय है लेकिन इस आंदोलन ने बयानों में ही सही कांग्रेसियों को एक स्वर में बोलने को तो विवश कर ही दिया। यह नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा के लिए राहत की बात है, अन्यथा गुलाम नबी आजाद के बयान के बाद कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन के लिए चिट्ठी लिखने वाले नेताओं के खिलाफ कानों ही कानों में चर्चा होने लगी थी। कुछ आजाद के खिलाफ मुखर हो गए तो कुछ चिट्ठी लिखने वाले सभी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई के लिए कहने लगे। इन चिट्ठी लिखने वालों 23 नेताओं में हरियाणा से एकमात्र हुड्डा ही शामिल थे, लेकिन किसान आंदोलन को देखते हुए उनके विरोधियों ने मौन रहना उचित समझा। वैसे भी कांग्रेस शायद ही हुड्डा पर नजरें टेढ़ी करती, क्योंकि बरोदा की सीट वह अपने प्रताप से कांग्रेस की झोली में डाल चुके हैं।

जवाहर की बाउंड्री

किसान आंदोलन को लेकर प्रदेश कांग्रेस के नेता हरियाणा सरकार की आलोचना में जुटे हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल उनका जवाब दे रहे हैं। वैसे तो अपने स्तर से हर भाजपा नेता कांग्रेस पर पलटवार कर रहा है। लेकिन सबसे सटीक वार किया है जवाहर यादव ने। उन्होंने कांग्रेस पर प्रहार करते हुए कहा कि हरियाणा में बाजरा 2150 रुपये में, कपास 4000, सरसों 4650, चना 5100 में और मूंगफली 5300 में प्रदेश सरकार खरीद रही है। पंजाब और राजस्थान की कांग्रेस सरकारें इन फसलों को खरीदती ही नहीं। केवल गेहूं और धान की खरीद करती हैं, जिसका पैसा केंद्र की भाजपा सरकार देती है। इसमें उनका कोई योगदान नहीं। फिर भी किसान विरोधी भाजपा सरकारेंं हैं। जवाहर के इन आरोपों पर कांग्रेसी नेता मौन हैं। अब उत्तर दें भी कैसे जवाहर ने तो सीधे गेंद उछालकर बाउंड्री से बाहर भेज दी है, कैच का कोई चांस ही नहीं।


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