NRCE की ग्लैंडर्स जांच किट को खरीदेगा ब्राजील, अश्व प्रजाति के जानवरों में फैल रहा है ग्लैंडर्स
वर्तमान में एक निजि कंपनी ग्लैंडर्स जांच तकनीकि पर आधारित किटों का निर्माण कर रही है। देश में अलग-अलग राज्य सरकारों को कंपनी द्वारा किट मुहैया कराई जाती है ताकि अधिक से अधिक ग्लैंडर्स की जांच हो सके।
वैभव शर्मा, हिसार। आत्मनिर्भर भारत अभियान का नारा देकर भारत सरकार ने सभी को प्रेरित करने का काम किया है। अभी तक भारत सरकार ने कोविड वैक्सीन को विकासशील देशों को देकर उनके जीवन की रक्षा की मगर अब ग्लैडर्स बीमारी को लेकर भी कुछ ऐसा ही होने जा रहा है। दरअसल अश्व प्रजाति के जानवरों में ग्लैडर्स खतरनाक संक्रामक बीमारी है। यह जानवरों से मनुष्यों में भी फैल सकती है। इस बीमारी का प्रसार विश्व के कई विकासशील देशों में है। इनमें से कई देशों से आए सैंपलों की जांच भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का हिसार स्थित राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र (एनआरसीई) जांच कर रिपोर्ट देता है। इस जांच तकनीकि को अब ब्राजील ने मांगा है। इसके लिए ब्राजील की एक कंपनी ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पास आवेदन भी कर दिया है।
ग्लैंडर्स जांच तकनीकि पर आधारित किटों का निर्माण
वर्तमान में एक निजि कंपनी ग्लैंडर्स जांच तकनीकि पर आधारित किटों का निर्माण कर रही है। देश में अलग-अलग राज्य सरकारों को कंपनी द्वारा किट मुहैया कराई जाती है ताकि अधिक से अधिक ग्लैंडर्स की जांच हो सके। एनआरसीई के निदेशक डा यशपाल के निर्देशन में एनआरसीई के विज्ञानी पशु चिकित्सकों को ग्लैंडर्स जांच का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इससे पहले लैब एक्सपर्ट को को यह प्रशिक्षण दिया गया था। ताकि हर राज्य में ग्लैंडर्स की मानीटरिंग हो सकी। हिसार में हाल ही में तीन दिवसीय प्रशिक्षण का शुक्रवार को समापन हुआ।
ब्राजील को क्यों ग्लैंडर्स जांच किट की पड़ी जरूरत
एनआरसीई के वरिष्ठ विज्ञानी डा. हरिशंकर सिंघा बताते हैं कि भारत में 5.5 लाख ही अश्व प्रजाति के जानवर शेष रह गए हैं इसके बावजूद ग्लैंडर्स बीमारी पर काबू ठीक से नहीं हो पा रहा है। हर साल ग्लैंडर्स के मामलों में कई राज्यों में इजाफा भी हो रहा है। जबकि ब्राजील में अश्व प्रजाति के जानवर करोड़ों में हैं। इसके साथ ही यहां ग्लैंडर्स संक्रमित पशुओं की संख्या भी बढ़ती जा रही है। इसी कारण से इस बीमारी को डायग्नोज करना जरूरी हो गया है। यही कारण है कि ब्राजील की एक कंपनी ने एनआरसीई द्वारा विकसित की किट को खरीदने की अनुमति मांगी है। डा. सिंघा बताते हैं कि उन्होंने दो किट बनाई हैं। जिसमें एक किट एक प्लेट की और अधिक सैंपल जांच के लिए पांच प्लेटों की किट जाती है। एक प्लेट की कीमत पांच हजार रुपये और पांच प्लेटों वाली जांच किट की कीमत 22500 रुपये की है।
ग्लैंडर्स क्या है
ग्लैंडर्स एक जूनोटिक (पशुओं से इंसानों में फैलना) बीमारी है। जो घाेड़ाें की प्रजातियाें में एक जानलेवा संक्रामक राेग है। इसमें घाेड़े, खच्चर या गधों की नाक से खून बहना, सांस लेने में तकलीफ, शरीर का सूख जाना, पूरे शरीर पर फाेड़े या गाठें अादि लक्षण हैं। यह बीमारी दूसरे पालतू पशुअाें में भी पहुंच सकती है। यह बीमारी बरखाेडेरिया मैलियाई नामक जीवाणु से फैलती है। यह बीमारी हाेने पर घाेड़े काे वैज्ञानिक तरीके से मारना ही पड़ता है। यह बीमारी पशु में मिलने पर उस क्षेत्र के लोगों का स्वास्थ्य, पशुओं की जांच आदि की सर्विलांस की जाती है।