लॉकडाउन में फंसे ब्राजील के प्रो. पाेकास रोहतक से अपने वतन पहुंचे, बोले- थैंक्यू इंडिया
ब्राजील के प्रो. पोकास अक्टूबर 2019 में बतौर विजिटिंग प्रोफेसर पहुंचे थे एमडीयू लॉकडाउन की वजह से यहीं फंस गए थे। संक्रमण से बचाव के लिए भारत सरकार के फैसले को भी पोकास ने सराहा
रोहतक [केएस मोबिन] भारत की मेजबानी जीवनभर याद रहेगी। खासकर कोविड-19 के ग्लोबल क्रॉसिस में जिस तरह महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (एमडीयू) प्रबंधन ने ख्याल रखा। करीब एक महीने के तनाव भरे समय के बाद घर पहुंचा हूं। शुक्रगुजार हूं भारत के लोगों का, एमडीयू के साथियों का जिन्होंने मुश्किल भरे समय में साथ दिया। एमडीयू के पहले विजिङ्क्षटग प्रोफेसर डा. मार्सियो पोकास महामारी के चलते कार्यकाल समाप्त होने के बावजूद एमडीयू में फंस गए थे। करीब सात महीने बाद अपने वतन ब्राजील पहुंचे। फिलहाल, कैपिटल सिटी ब्रासिलिया में अपने फ्लैट में 14 दिन के लिए क्वारंटीन में हैं। स्काइप के जरिए प्रो. मार्सियो पोकास ने जागरण के साथ खास बातचीत की।
एमडीयू के माइक्रोबाइलॉजी विभाग के अध्यक्ष प्रो. प्रत्युष शुक्ला के आग्रह पर अक्टूबर 2019 में छह महीने के लिए विजिङ्क्षटग प्रोफेसर की भूमिका में भारत आया। इससे पहले दो-तीन बार एमडीयू के इंटरनेशनल कान्फ्रेंस में की-नोट स्पीकर की भूमिका में शरीक हो चुका था। इस बार लंबी अवधि के लिए साइंस प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए शामिल हुआ। यहां के विद्यार्थियों में सीखने की ललक ने बहुत प्रभावित किया है। एमडीयू की लैब बेहतरीन हैं, यहां अच्छा काम हो सकता है और हो भी रहा है। जिन शोधार्थियों के साथ काम करने का मौका मिला उनकी क्षमता भी अंतरराष्ट्रीय स्तर के वैज्ञानिकों जैसी है। मौका मिलता है तो एमडीयू में एक बार फिर काम करने की इच्छा है।
अक्टूबर 2019 में छह महीने के लिए पहुंचे थे एमडीयू
डा. मार्सियो पोकास अक्टूबर 2019 में बतौर विजिङ्क्षटग प्रोफेसर छह माह के लिए एमडीयू पहुंचे थे। मार्च 2020 तक माइक्रोबायोलॉजी विभाग के साथ कई साइंस प्रोजेक्ट पर उन्होंने काम किया। इसी वर्ष मार्च माह में उन्हें स्वदेश लौटना था। हालांकि, 11 मार्च को वल्र्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से कोरोना वायरस, महामारी घोषित होने पर एमडीयू में ही फंस गए। एमडीयू के प्रयासों से ही 14 अप्रैल को रिपेटरिएशन फ्लाइट के जरिए स्वदेश वापसी हुई। डा. पोकास की करीब 27 घंटे लंबी फ्लाइट के बाद स्वदेश वापसी हुई। उन्होंने बताया कि 14 अप्रैल को एमडीयू की गाड़ी से दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचे। वहां से मुंबई ले जाया गया। जहां पहले से कुछ और ब्राजिलियन नागरिक ठहरे हुए थे। करीब 25 घंटे बाद साउ पालो में फ्लाइट ने लैंङ्क्षडग की। यहां से एक और फ्लाइट के जरिए करीब दो घंटे बाद ब्रसिलिया में अपने घर पहुंचा।
कोरोना से निपटने को भारत के प्रयासों को सराहा
यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रासिलिया के डिपार्टमेंट ऑफ जेनेटिक्स एंड मोरफोलॉजी के एसोसिएट प्रोफसर डा. मार्सियो पोकास ने भारत सरकार के कोवड-19 से निपटने के कदमों की सराहना की। उन्होंने कहा कोरोना वायरस संक्रमण के बेहद कम मरीज होने के बावजूद लॉकडाउन का फैसला सहासिक था। प्रधानमंत्री ने सही समय पर निर्णय लिया जोकि दुनिया के कई विकसित देश भी नहीं कर पाए थे। जनता कफ्र्यू के दिन कोरोना योद्धाओं के सम्मान में प्रो. पोकास ने घंटी बजाई थी।
गले में पहनते हैं भगवान गणेश का पेंडेंट
प्रो. पोकास की भगवान गणेश में विशेष आस्था हैं। उन्होंने बताया कि जन्म से वह रोमन कैथोलिक हैं लेकिन, सभी धर्माें का आदर करते हैं। चर्च के साथ ही मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारों में भी जाते हैं। कई सालों पहले भारत में ही एक यात्रा के दौरान भगवान गणेश के बारे में पता चला था। तभी से गणेश का एक पेंडेंट गले में पहनते हैं।