75 साल बाद इटली से विश्वयुद्ध में शहीदों की अस्थियां पहुंचीं अपने गांव, भावुक हुआ माहौल
इटली में द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान शहीद हुए हिसार के नंगथला गांव के पालूराम व नौगांव की अस्थियां करीब 75 सला बाद इटली से उनके गांव लाई गईं। वे 1944 में शहीद हुए थे।
अग्रोहा (हिसार), जेएनएन। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान शहीद हुए हरियाणा के दो जवानों को 75 साल अपने वतन और गांव की मिट्टी नसीब हो गई। 1944 में इटली में शहीद हुए हिसार के गांव नंगथला के पालुराम और झज्जर के नौगांव के हरि सिंह की अस्थियां करीब 75 साल बाद इटली से लाई गईं। इस दौरान दोनों गांव में माहौल बेहद भावुक हो गया। सेना के अफसर व जवान जब दोनों गांव में पहुंचे तो लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। भारत माता की जय के नारे हर ओर सुनाई दे रहे थे।
1944 में इटली में द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान शहीद हुए थे पालूराम व हरी सिंह
पालुराम 19 साल की आयु में 1944 को शहीद हो गए थे। सोमवार को सेना के हिसार छावनी के जेएसओ अर्जुन सिंह सैनिकों के साथ गांव में पालुराम की अस्थियां लेकर पहुंचे। गांव में चक्कर लगाने के बाद परिवार को वह अस्थियां सौंपी गई। अब परिवार की तरफ से पूरे सम्मान और रीति रिवाज के साथ अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। अग्रोहा से करीब नौ किलोमीटर दूर स्थित नंगथला गांव में सुबह ही सेना के जवान अस्थियां लेकर पहुंचे।
एक छोटे बॉक्स में अस्थियां लेकर सेना के जवानों ने जिप्सी में गांव में चक्कर लगाया। ग्रामीण सेना की गाड़ियों के आगे बाइक पर हाथों में तिरंगा लेकर चल रहे थे। उसके बाद सेना के जवान शहीद पालुराम के घर पहुंचे और उनके परिवार को अस्थियां सौंपी। इसके बाद परिवार के लोग अस्थियां लेने के बाद अंतिम संस्कार की पूरी प्रक्रिया पूरे करने में जुट गए। इस दौरान पालुराम के भतीजाे रामजीलाल और चचेरा भाई बुद्धराम सहित काफी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे।
शहीद पालुराम की अस्थियां लेकर पहुंचे सेना के अधिकारी।
इसी तरह झज्जर के नौगांव में शहीद हरि सिंह की अस्थियां लाई गईं। अस्थियां पहले झज्जर के जिला सैनिक बोर्ड कार्यालय लाई गईं और इसके बाद नौगांव ले जाई गईं। झज्जर के जिला सैनिक बोर्ड कार्यालय में हरियाणा के कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ ने शहीद हरि सिंह की अस्थियों पर पुष्पांजलि अर्पित की।
बता दें कि पालु राम और हरि सिंह सिपाही ब्रिटिया सेना की फ्रंटियर फोर्स राइफल में थे। फ्रंटियर फोर्स राइफल ने द्वितीय विश्व युद्ध (वर्ष 1939 से 1945) के दौरान इटली में युद्ध लड़ा था। वह पालुराम के साथ ही 1944 में इटली में शहीद हो गए। उनके शव नहीं मिले थे। दोनों को 13 सितंबर, 1944 को गुमशुदा घोषित कर दिया गया था।
शहीद हरि सिंह की अस्थियों पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हरियाणा के कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़।
हिसार के जिला सैनिक एवं अर्द्ध सैनिक कल्याण अधिकारी कैप्टन प्रदीप बाली ने बताया कि द्वितीय विश्व युद्ध में ब्रिटिश सेना में तैनात हरियाणा के कई वीर जवानों ने अपनी कुर्बानी दी थी। ब्रिटिश सेना में तैनात हिसार जिला के गांव नंगथला निवासी सिपाही पालुराम व झज्जर के नौगांव के हरि सिंह ने इटली के शहर पोगिओं आल्टों में युद्ध के दौरान शहीद हो गए। उस समय पालुराम की आयु 19 वर्ष थी। हरि सिंह की आयु भी पालुराम के आसपास ही थी।
1996 में फ्लोरेंस के नजदीक पोगिओं आल्टों में कंकाल मिले थे। इनकी पहचान बारे में 2010 तक जांच व परीक्षण चला। उन्होंने बताया कि 2012 में डीएनए टेस्ट से पता चला कि वे 20-21 साल के गैर यूरोपियन जवान हैं। कई सबूतों जैसे युद्ध व गायब हुए जवानों की सूची से आखिरकार पता चला कि ये शहीद जवान पालुराम और हरि सिंह थे।
इनके बारे में आर्मी हेडक्वार्टर एजी ब्रांच ने सैनिक एवं अर्द्ध सैनिक कल्याण विभाग के निदेशक के माध्यम से हिसार के जिला सैनिक बोर्ड को अवगत करवाया और शहीद पालुराम के परिवार व वारिसों के बारे में जानकारी मांगी। इटली सरकार ने पिछले साल अक्तूबर में उनकी शहादत की पुष्टि की थी। इसके बाद दोनों का संस्कार इटली में ही कर दिया गया और अब उनकी मिट्टी भारत लाई गई है। कंकालों के रूप में मिले अवशेषों पर परिवार वालों की रजामंदी से पालुराम और हरि सिंह का अंतिम संस्कार इटली में ही करवाया गया था। इसके बाद उनकी अस्थियां यहां लाई गईं।
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