बहादुरगढ़ के वाट्सएप ग्रुप में हैं रक्तदानी फरिश्ते, कोरोना संकट के बीच एक फोन पर दौड़ पड़ते जिंदगी बचाने
वाट्सएप ग्रुप से जुड़ा हर एक सदस्य रक्तदानी फरिश्ता है। महज एक फोन आते ही इस ग्रुप के सदस्य इस संकट के बीच भी जिंदगी बचाने दौड़ पड़ते हैं। हाल के दो महीनों में इस ग्रुप के सदस्यों ने करीब 50 यूनिट रक्तदान करके काफी लोगों की जिंदगी बचाई है।
बहादुरगढ़, जेएनएन। कोरोना महामारी के बीच बहादुरगढ़ का एक रक्तदाता ग्रुप संकट मोचक बना हुआ है। इस वाट्सएप ग्रुप से जुड़ा हर एक सदस्य रक्तदानी फरिश्ता है। महज एक फोन आते ही इस ग्रुप के सदस्य इस संकट के बीच भी जिंदगी बचाने दौड़ पड़ते हैं। हाल के दो महीनों में इस ग्रुप के सदस्यों ने करीब 50 यूनिट रक्तदान करके काफी लोगों की जिंदगी बचाई है। हर राेज कहीं न कहीं गैर कोरोना मरीजों को रक्त की जरूरत पड़ रही है। ऐसे में बहादुरगढ़ में इस ग्रुप से जुड़े युवाओं का जज्बा इन जरूरतमंदों की मदद कर रहा है।
वैसे तो इस ग्रुप के सदस्य पिछले करीब चार साल से इस तरह की मदद कर रहे हैं, लेकिन जब कोरोना संकट चल रहा है और हर कोई खुद को सुरक्षित रखने की जद्दोजहद में लगा है, तब इस ग्रुप से जुड़े युवाओं का यह जुनून और भी ज्यादा महत्वपूर्ण है, क्योंकि कैंप फिलहाल आयोजित नहीं हो पा रहे। ऐसे में रक्त की कमी हर जगह है।
परिचित हो या अंजान, सबके लिए बनते हैं मददगार
बहादुरगढ़ के युवा इसलिए भी फरिश्ते कहला रहे हैं, क्योंकि ये सिर्फ परिचित के लिए नहीं बल्कि किसी भी अंजान की मदद के लिए भी दौड़ पड़ते हैं। शहर ही नहीं दिल्ली और आसपास के एरिया में जब भी किसी मरीज को रक्त की जरूरत होती है और वह नहीं मिलता तो कोई न कोई व्यक्ति बहादुरगढ़ के इन युवाओं तक ही संदेश पहुंचाता है। एक बार जब किसी जरूरतमंद का संदेश वाट्सएप ग्रुप में आता है तो संबंधित ब्लड ग्रुप के युवा बिना देरी के मदद के लिए पहुुंच जाते हैं। पिछले साल जब लॉकडाउन था तब भी ये युवा इसी तरह जुटे थे।
इस बार कोरोना का कहर कहीं ज्यादा है, तो भी इन युवाओं को कोई झिझक नहीं है। साल 2020 में इस ग्रुप के युवाओं ने विभिन्न अस्पतालों में अप्रैल से लेकर दिसंबर तक 150 यूनिट रक्तदान किया था। वाट्सएप ग्रुप के एडमिन रमन शर्मा बताते हैं कि शनिवार को ही बहादुरगढ़ रक्तदाता ग्रुप के लिए एक ऐतिहासिक दिन रहा। सुबह से लेकर रात तक रक्तसेवा चली। दो कॉल दिल्ली से आई। इस पर रक्तदाता सतपाल सिंह और विनोद शर्मा ने तुरंत ब्लड बैंक पहुंचकर सेवा दी। ग्रुप सदस्य प्रदीप मलिक की दादी को रक्त की जरूरत थी।
उनकी डायलिसिस होनी थी। इसके लिए जोगेंद्र राठी (टोनी) पहुंचे। शाम को मिशन अस्पताल में भर्ती डेढ़ साल की बच्ची आरुषि के लिए बेहद आपात स्थिति में प्लेटलेट्स की दरकार आई। उसका जो ब्लड ग्रुप है, बहुत कम मिलता है। मैसेज आते ही ग्रुप में साझा किया तो हर वक्त तैयार रहने वाले प्रिंस धनखड़ मात्र 10 मिनट में ब्लड बैंक पहुंच गए। सभी ग्रुप सदस्यों ने प्रिंस धनखड़ के जज्बे की तारीफ की। यह एक बानगी भर है। जिंदगी बचाने की इस तरह की चुनौतियों से ये युवा हर रोज जूझते हैं।
दो ग्रुप में हैं 362 सदस्य, 2017 से जुटे :
एडमिन रमन शर्मा ने बताया कि वाट्सएप पर रक्तदाता नाम से दो ग्रुप बना रखे हैं। नवंबर 2017 से इसकी शुरूआत हुई। एक ग्रुप में 161 और दूसरे में 201 सदस्य हैं। कुल मिलाकर 362 में से हर सदस्य रक्तदान कर चुका है। कुल मिलाकर अब तक 600 यूनिट से ज्यादा रक्तदान किया है।