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एक मरीज से 13 काे फैल सकता है काला पीलिया, 80 फीसद को बीमारी का पता चलने तक डैमेज हो चुका होता है लीवर

विश्व हैपहेटाइटिस दिवस हैपेटाइटिस ऐसी बीमारी जिसमें इंसान का लीवर खराब होने लगता है। रोग की अनदेखी करने पर परेशानी कैंसर का लाइलाज रूप ले लेती है। यह एक तरह से लीवर का संक्रमण है। एक मरीज से 13 स्वस्थ लोगों को चपेट में ले सकता है।

By Manoj KumarEdited By: Published: Wed, 28 Jul 2021 11:35 AM (IST)Updated: Wed, 28 Jul 2021 11:35 AM (IST)
एक मरीज से 13 काे फैल सकता है काला पीलिया, 80 फीसद को बीमारी का पता चलने तक डैमेज हो चुका होता है लीवर
कोविड-19 पर काला पीलिया की दवा असरदार, इन दवाओं का सेवन करने वालों में मृत्यु दर बेहद कम

विक्रम बनेटा, रोहतक : काला पीलिया यानि हैपेटाइटिस। ऐसी बीमारी जिसमें इंसान का लीवर खराब होने लगता है। रोग की अनदेखी करने पर परेशानी कैंसर का लाइलाज रूप ले लेती है। यह एक तरह से लीवर का संक्रमण है। एक मरीज से 13 स्वस्थ लोगों को चपेट में ले सकता है। 80 फीसद को बीमारी का पता चलने तक लीवर ही डैमेज हो चुका होता है। रोग की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार ने नियंत्रण के लिए निशुल्क इलाज की पहल की। शिविर व अन्य कार्यक्रमों के जरिए लोगों को काला पीलिया के प्रति जागरूक किया जा रहा है। राज्य सरकार की सार्थक योजना को देखते हुए केंद्र सरकार ने भी काला पीलिया के इलाज की फ्री स्कीम बनाई है। काला पीलिया की दवाओं का असर कोरोना संक्रमण पर भी बताया जा रहा है।

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पीजीआइ के गेस्ट्रोएंट्रोलोजी विभाग के अध्यक्ष व प्रदेश के माडल ट्रीटमेंट सेंटर के इंचार्ज डा. प्रवीण मल्होत्रा काला पीलिया के नोडल अधिकारी हैं। वह बताते हैं कि प्रदेश सरकार की योजना के अनुसार एक विजिट पर मरीज को तीन माह की दवाईयां दी जाती है। किसी कारणवश यदि मरीज स्वयं नहीं आ पाता है तो उसका कोई भी रिश्तेदार आकर दवाई ले जा सकता है। यही नहीं, मानिटरिंग इतनी सख्त है कि दवाओं को कुरियर से भी भेजा जाता है। इलाज का पूरा खर्च सरकार वहन करती है। प्रत्येक जिले में एक चिकित्सक को काला पीलिया का नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। सरकार की योजना आने के बाद काला पीलिया के मरीजों का सही पता चल पा रहा है। लोगों में जागरूकता बढ़ी है। नए रोगी मिलना सार्थक कदम है। इससे रोग का नियंत्रण ज्यादा अच्छे से हो सकेगा। यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति काे फैल सकता है, बेहतर है कि थोड़ी समस्या होने पर ही रोगी चिकित्सक से परामर्श लें।

-शिविर में रक्तदान से भी रोगियों का चल रहा पता

डा. मल्होत्रा बताते हैं कि शिविर में रक्तदान करने से भी काला पीलिया का पता चल जाता है। रक्त का पहले टेस्ट किया जाता है, किसी प्रकार की कमी या अन्य समस्या होने पर व्यक्ति को सूचना दी जाती है। यदि काला पीलिया की समस्या हो तो मरीज को फ्री स्कीम की जानकारी दी जाती है। इससे हमारे पास मरीज पहुंचता है। सही समय पर इलाज शुरू होने पर व्यक्ति की सेहत में सुधार भी तेजी से होता है। शुरूआत में ज्यादा समस्या नहीं होती, लेकिन यह लीवर को भी डैमेज कर देता है।

-तीन हजार रोगियों में से महज 11 को हुआ कोरोना संक्रमण

काला पीलिया की दवाएं कोरोना संक्रमण में असरदार हैं। डा. प्रवीण मल्होत्रा ने बताया कि मार्च से जून 2020 तक हैपेटाइटिस-सी और हैपेटाइटिस-बी की दवाओं का सेवन करने वाले तीन हजार रोगियों की निगरानी की गई। हैपेटाइटिस-सी के पांच और हैपेटाइटिस-बी के सिर्फ छह मरीज ही कोरोना संक्रमण की चपेट में आए। रिकवरी रेट काफी अच्छी रही। सात से 10 दिनों में सभी स्वस्थ हो गए। किसी की मृत्यु नहीं हुई।


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