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एनसीआर में प्रदूषण से राहत के लिए बड़ा फैसला, अब बायोगैस के बिना स्थापित नहीं हो सकेंगी नई इंडस्ट्री

बोर्ड ने दिल्ली राजस्थान यूपी व हरियाणा के राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैनों को पत्र लिखकर इस संबंध में 30 दिन में एक्शन टेकन रिपोर्ट (एटीआर) मांगी है। सीपीसीबी चेयरमैन के आदेश अनुसार वायु प्रदूषण फैलाने वाली इंडस्ट्री इन आदेशों के दायरे में आएंगी।

By Umesh KdhyaniEdited By: Published: Fri, 04 Dec 2020 01:39 PM (IST)Updated: Fri, 04 Dec 2020 01:39 PM (IST)
एनसीआर में प्रदूषण से राहत के लिए बड़ा फैसला, अब बायोगैस के बिना स्थापित नहीं हो सकेंगी नई इंडस्ट्री
वायु प्रदूषण फैलाने वाली सात इकाइयों में से इंडस्ट्री भी एक अहम इकाई है।

 हिसार/बहादुरगढ़, जेएनएन। दिल्ली-एनसीआर के 24 जिलों में ब्वायलर व भट्ठी आदि में क्लीयर फ्यूल का प्रयोग न करने वाली नई इंडस्ट्री अब स्थापित नहीं हो पाएंगी। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कोयले व अन्य अवैध ईंधनों का प्रयोग करने वाली नई औद्योगिक इकाइयों को अनुमति न देने के आदेश दिए हैं। 

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बोर्ड ने दिल्ली, राजस्थान, यूपी व हरियाणा के राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैनों को पत्र लिखकर इस संबंध में 30 दिन में एक्शन टेकन रिपोर्ट (एटीआर) मांगी है। सीपीसीबी चेयरमैन के आदेश अनुसार वायु प्रदूषण फैलाने वाली इंडस्ट्री इन आदेशों के दायरे में आएंगी। एनसीआर में अब वायु प्रदूषण से संबंधित सिर्फ वहीं इंडस्ट्री स्थापित हो सकेगी जो क्लीयर फ्यूल यानी एलपीजी, पीएनजी, सीएनजी, प्रोपेन, ब्यूटेन व बायोगैस का प्रयोग करेंगी। इन आदेशों के बाद बहादुरगढ़ व रोहतक में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय ने क्लीयर फ्यूल का प्रयोग न मिलने पर इस तरह की 10 इंडस्ट्री को अनुमति देने से इन्कार कर दिया है। 


वर्धमान कौशिक वर्सेज यूनियन ऑफ इंडिया केस का दिया हवाला

सीपीसीबी के चेयरमैन ने अपने पत्र में हवाला दिया है कि वर्धमान कौशिक वर्सेज यूनियन ऑफ इंडिया के नाम से लगाए गए केस में एनजीटी ने साफ तौर पर कहा है कि स्वच्छ हवा में सांस लेना मौलिक अधिकार है। लेकिन इंडस्ट्री और थर्मल पावर स्टेशनों के कारण वातावरण में काफी प्रदूषण फैल रहा है। वायु प्रदूषण फैलाने वाली सात इकाइयों में से इंडस्ट्री भी एक अहम इकाई है।


तीन बार उद्योग को पीएनजी में शिफ्ट करने के दिए गए आदेश

सीपीसीबी की उच्च स्तरीय टास्क फोर्स ने 2018 से लेकर 2019 तक कोयले व अन्य अवैध ईंधनों पर आधारित इंडस्ट्री को पीएनजी में शिफ्ट करने के आदेश तीन बार जारी किए। मगर कई स्थानों पर पीएनजी की अनुपलब्धता के कारण औद्योगिक इकाइयां पीएनजी कनेक्शन नहीं ले सकीं। साथ ही उद्यमी एसोसिएशन की ओर से बार-बार मांग के कारण यह मामला ठप हो गया। ऐसे में सीपीसीबी ने एयर क्वालिटी सुधारने के लिए फैसला लिया कि एनसीआर में सिर्फ उस नई इंडस्ट्री को स्थापित करने की अनुमति दी जाए जो क्लीयर फ्यूल यानी पीएनजी, सीएनजी, एलपीजी, प्रोपेन, ब्यूटेन व बायोगैस का प्रयोग करती हों। 

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 10 आवेदन किए रद्द

हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड बहादुरगढ़ के क्षेत्रीय अधिकारी संदीप सिंह ने बताया कि हमारे पास वायु प्रदूषण से संबंधित 10 आवेदन नई इंडस्ट्री स्थापित करने के लिए अनुमति लेने को आए हुए थे। सीपीसीबी के आदेश मिलते ही हमने इन नई इंडस्ट्री को अनुमति देने से इन्कार कर दिया है। अगर इन इकाइयों की ओर से सीपीसीबी के आदेशों अनुसार क्लीयर फ्यूल का प्रयोग किया जाता है तो अनुमति दे दी जाएगी, वरना नहीं। 


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