Move to Jagran APP

अतीत के आइने से : राजनीति के धुरंधर देवीलाल को जब एक अन्‍जान नेता ने दे दी मात

रोहतक सीट पर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव में उतरे भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने 241235 वोट पाकर जीत हासिल की। दूसरे नंबर पर रहे जनता दल के प्रत्याशी चौधरी देवीलाल को 38.43 फीसद वोट मिले।

By manoj kumarEdited By: Published: Thu, 11 Apr 2019 05:48 PM (IST)Updated: Sat, 13 Apr 2019 02:24 PM (IST)
अतीत के आइने से : राजनीति के धुरंधर देवीलाल को जब एक अन्‍जान नेता ने दे दी मात
अतीत के आइने से : राजनीति के धुरंधर देवीलाल को जब एक अन्‍जान नेता ने दे दी मात

हिसार [गौरव त्रिपाठी] केंद्र की चंद्रशेखर सरकार गिरने के बाद 1991 में देश में 10वें आम चुनाव की घोषणा हुई। उस समय राम मंदिर निर्माण का मुद्दा देशभर में छाया हुआ था। राजीव गांधी की हत्या के कारण लोगों की संवेदनाएं एक बार फिर कांग्रेस से जुड़ गईं। इस चुनाव में राजनीति के महारथी पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल को उस समय नए लड़ाके भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने रोहतक सीट से हरा दिया था। इससे पहले 1980 के चुनाव में चौधरी देवीलाल रोहतक के अलावा राजस्थान के सीकर और पंजाब के फिरोजपुर से चुनाव लड़े थे।

loksabha election banner

चुनाव जीतने के बाद चौधरी देवीलाल ने रोहतक सीट से इस्तीफा दे दिया था और सीकर संसदीय सीट का प्रतिनिधित्व किया था। इससे रोहतक की जनता नाराज हो गई और फिर लगातार तीन चुनावों में देवीलाल को रोहतक सीट से हार का सामना करना पड़ा। इस चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल ने हरियाणा विकास पार्टी के बैनर तले अपने प्रत्याशी उतारे थे।

रोहतक : हुड्डा ने चौधरी देवीलाल को 30573 वोटों से हराया

रोहतक लोकसभा से 26 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे थे। इसमें 21 निर्दलीय थे। 919868 मतदाताओं में से 61.41 फीसद यानी 564886 लोगों ने वोट डाला था। इनमें से 16663 मत रद कर दिए गए। इस सीट पर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव में उतरे भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने 241235 वोट पाकर जीत हासिल की। दूसरे नंबर पर रहे जनता दल के प्रत्याशी चौधरी देवीलाल को 38.43 फीसद वोट मिले। इसके अलावा अन्य सभी 24 प्रत्याशियों को आठ फीसद या इससे कम मत मिले थे।

भिवानी : बंसीलाल के सैनिक जंगबीर पहुंचे लोकसभा

पूर्व मुख्यमंत्री के गढ़ भिवानी लोकसभा क्षेत्र से 35 निर्दलियों समेत 40 प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरे थे। इस चुनाव में 949440 मतदाताओं में से 62.81 फीसद यानी 596369 ने वोट डाला था। इनमें से 16852 वोट चुनाव आयोग ने रद कर दिए थे। हरियाणा विकास पार्टी के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे जंगबीर सिंह 36.25 फीसद वोट लेकर संसद पहुंचे। उन्हें 210090 मत मिले थे। 30.98 फीसद यानी 179525 वोट पाकर कांग्रेस के जय नारायण दूसरे नंबर पर रहे। जनता पार्टी के प्रत्याशी हुकुम सिंह 17.31 फीसद यानी 100288 वोट हासिल कर तीसरे नंबर पर रहे। भाजपा के उम्मीदवार रमेश चंद्र को 8.38 फीसद वोट मिले यानी 48570 वोट। बाकी सभी प्रत्याशियों को एक फीसद से भी कम वोट मिले थे।

हिसार : कांग्रेस के नारायण ने जेपी को हराया

हिसार लोकसभा सीट पर कांग्रेस और जनता पार्टी के उम्मीदवार में कांटे का मुकाबला हुआ था। इस सीट पर 17 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे थे। इनमें से 12 आजाद उम्मीदवार थे। इस सीट पर 919440 मतदाताओं में से 68.20 फीसद यानी 627037 लोगों ने वोट डाला था। 19797 वोट रद हो गए थे। कांग्रेस प्रत्याशी नारायण सिंह 38.37 फीसद यानी 233012 वोट हासिल कर विजयी रहे थे। दूसरे नंबर पर रहे जनता पार्टी उम्मीदवार जयप्रकाश (जेपी) को 268018 वोट मिले थे। जनता दल के परमानंद को 85241 वोट यानी 14.04 फीसद मत मिले थे।

सिरसा : सैलजा ने संभाली पिता की विरासत

सिरसा आरक्षित सीट से चार बार के सांसद और केंद्रीय मंत्री रहे चौधरी दलबीर की बेटी कुमारी सैलजा कांग्रेस की टिकट पर चुनाव मैदान में उतरी थीं। उनके खिलाफ नौ निर्दलियों समेत 14 उम्मीदवार चुनावी जंग थे। सिरसा के 991095 मतदाताओं में से 69.65 फीसद यानी 690275 लोगों ने वोट डाला था। इनमें से 19448 वोट रद हो गए। कुमारी सैलजा 287827 वोट हासिल कर संसद पहुंची थीं। दूसरे नंबर पर रहे जनता पार्टी के हेतराम को 28.15 फीसद यानी 188829 वोट मिले थे। जनता दल प्रत्याशी सखीराम को 9.19 फीसद वोट मिले। यानी कुल 61665 वोट। बाकी सभी प्रत्याशियों को सात फीसद से भी कम वोट मिले थे।

रोहतक और भिवानी से लड़े थे धरती पकड़

इस चुनाव में रोहतक और भिवानी सीट से धरतीपकड़ के नाम से मशहूर काका जोगिंदर सिंह निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़े थे। 1918 में गुजरांवाला (वर्तमान में पाकिस्तान में) में जन्मे काका जोगिंदर सिंह देश के बंटवारे के बाद उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में बस गए थे। वहां उनकी कपड़े की दुकान थी। उन्होंने 1962 में राजनीति में कदम रखा और निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर देश के 14 राज्यों में 300 से अधिक चुनाव लड़े। इसमें राष्ट्रपति का चुनाव भी शामिल है। काका ने अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, चौधरी देवीलाल, राजेश खन्ना, राज बब्बर जैसी बड़ी शख्सियतों के खिलाफ चुनाव लड़ा। काका ने 1992 में राष्ट्रपति का चुनाव लड़ा, जिसमें उन्हें 1135 वोट मिले और वे चौथे स्थान पर रहे थे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.