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भिवानी का प्रापर्टी डीलर नरेंद्र प्रभाकर हत्याकांड, पूर्व सरपंच सहित तीन लोगों को उम्र कैद

भिवानी में 9 दिसंबर 2015 को जमीन के विवाद में अपहरण कर प्रापर्टी डीलर नरेंद्र प्रभाकर की हत्या की गई थी। शव को गांव पुर के खेतों में जलाकर सबूत मिटाने प्रयास किया गया था। 6 साल इंतजार के बाद परिवार को न्याय मिला।

By Umesh KdhyaniEdited By: Published: Mon, 23 Aug 2021 08:22 PM (IST)Updated: Mon, 23 Aug 2021 08:22 PM (IST)
भिवानी का प्रापर्टी डीलर नरेंद्र प्रभाकर हत्याकांड, पूर्व सरपंच सहित तीन लोगों को उम्र कैद
परिवार ने कहा, देर से ही सही, पर न्याय मिला है।

जागरण संवाददाता, भिवानी। छह साल पहले हुए शहर के नामी प्रापर्टी डीलर एवं सर्राफा व्यापारी नरेंद्र प्रभाकर के चर्चित हत्याकांड मामले में जिला एवं सत्र न्यायाधीश रजनी यादव की कोर्ट ने सोमवार को सजा सुना दी। इसमें कस्बा मुंढाल के पूर्व सरपंच सोरण सहित तीन व्यक्तियों को उम्र कैद एवं डेढ़ लाख रुपये जुर्माने लगाया गया है। अदालत ने जुर्माना राशि अदा ना किए जाने पर दोषियों को अतिरिक्त सजा भुगतने के भी आदेश दिए है।

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अदालत में चले अभियाेग के अनुसार पंचायत भवन के समीप स्थित मेडी होम निजी अस्पताल में दाखिल अपने पिता सुग्रीव आर्य की देखभाल करने के लिए गए हुए शिव नगर कालोनी निवासी नामी प्रोपर्टी डीलर नरेंद्र प्रभाकर का 19 दिसंबर 2015 की रात को अपहरण हो गया था। कस्बा मुंढाल निवासी पूर्व सरपंच सोरण, उसके भतीजे सुनील व गांव के ही खन्नी उर्फ हंसराज पर उस समय आरोप लगे थे। आरोपित उसे कार में डालकर ले गए और रस्सी से गला दबाकर हत्या कर दी। बाद में शव को गांव पुर के खेतों में ले गए और पेट्रोल डालकर झाड़ियों में जला डाला था, ताकि कोई उसकी पहचान न कर पाए।

खेतों में मिला था जला हुआ शव

घटना के एक दिन बाद खेतों में जला हुआ शव मिला था, जिसके हाथ में पहने गए कड़े व अन्य सामान से बेटे प्रशांत प्रभाकर ने अपने पिता नरेंद्र प्रभाकर की पहचान की थी। सीसीटीवी फुटेज से हत्याकांड के आरोपितों का राज खुल पाया था। नरेंद्र प्रभाकर प्रमुख समाजसेवी, सर्राफा व्यापारी व बाल सेवा आश्रम भिवानी के सचिव भी थे।

इन धाराओं में सुनाई गई सजा

जिला एवं सत्र न्यायाधीश रजनी यादव की कोर्ट ने सोमवार को इस मामले में पूर्व सरपंच सोरण, उसके भतीजे सुनील व साथी खन्नी उर्फ हंसराज को धारा 302 के तहत उम्र कैद एवं 50 हजार रुपये की सजा सुनाई है। जुर्माना ना देने पर तीन साल की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। तीनों को धारा 364 के तहत दस साल कैद एवं 50 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। यह जुर्माना भी ना देने पर तीन साल की अतिरिक्त सजा के आदेश दिए हैं। धारा 201 के तहत सात साल व दस हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माना ना देने पर दो साल अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। धारा 120बी के तहत दोषियों को उम्र कैद एवं 40 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माना ना देने पर तीन साल की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। ये सभी सजाए साथ चलेगी।

प्रापर्टी के लेन-देन के विवाद में की थी हत्या

सुनील व उसके साथियों ने यह वारदात प्रभाकर के साथ पैसों व प्राेपर्टी के लेन-देन को लेकर की थी। नरेंद्र प्रभाकर ने सोरण के खिलाफ जमीन की खरीद-फरोख्त को लेकर धोखाधड़ी का मामला दर्ज करवा रखा था। उन्होंने बताया कि पुलिस ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए इस मामले का पर्दाफाश कर दिया था।

बेटे ने कहा- देर से ही सही, पर न्याय मिला 

मृतक के पुत्र प्रशांत प्रभाकर ने कहा कि बेशक इस संबंध में करीब छह साल बाद फैसला आया हो, लेकिन उन्हें न्याय जरूर मिला है। दोषियों को उम्र कैद की सजा हुई है। इससे परिवार ही नहीं समाज का भी न्याय पालिका पर भरोसा कायम हुआ है।

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