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सावधान! गाय-भैंस में भी हो रहा Cancer, बिना उबाले दूध पिया तो आप भी हो सकते हैं शिकार

लुवास ने हाल ही में अपने यहां आने वाले जानवरों का अल्ट्रासाउंड से डाटाबेस तैयार किया है जिसमें सामने आया कि भैंस या गाय में कैंसर के मामले कम नहीं है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sat, 09 Nov 2019 08:23 PM (IST)Updated: Tue, 12 Nov 2019 10:12 AM (IST)
सावधान! गाय-भैंस में भी हो रहा Cancer, बिना उबाले दूध पिया तो आप भी हो सकते हैं शिकार
सावधान! गाय-भैंस में भी हो रहा Cancer, बिना उबाले दूध पिया तो आप भी हो सकते हैं शिकार

हिसार [वैभव शर्मा]। अगर आप यह सोच रहे हैं कि तंबाकू का सेवन करने से ही आपको कैंसर हो सकता है तो आप गलत हैं। दूध पीने से भी यह बीमारी हो सकती है। यह बात हम नहीं लुवास की रिपोर्ट कहती है। लुवास ने हाल ही में अपने यहां आने वाले जानवरों का अल्ट्रासाउंड से डाटाबेस तैयार किया है, जिसमें सामने आया कि भैंस या गाय में कैंसर के मामले कम नहीं है। वैज्ञानिक अब तक मानते थे कि घोड़ियों में ही कैंसर पाया जाता है। मगर पिछले कुछ समय में दुधारू पशुओं में भी कैंसर के तत्व पाए जा रहे हैं।

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पशु विज्ञानी बताते हैं कि अगर इन दुधारू पशुओं का दूध बिना उबाले पिया तो कैंसर आपको भी हो सकता है। हालांकि, भारत में खास बात है कि यहां लोग दो से तीन बार दूध उबाल कर पीते हैं। इस कारण दूध में मौजूद कैंसर फैलाने वाले तत्व समाप्त हो जाते हैं। वैज्ञानिक बताते हैं कि दूध पीने से पहले उसे दो से तीन बार धीमी आग पर कम से कम तीन बार जरूर उबालें।

भैंस और गाय के गर्भाशय में कैंसर के आ रहे मामले

लुवास के गायनोकोलॉजी डिपार्टमेंट में पशु वैज्ञानिक डॉ. आरके चंदोलिया बताते हैं कि हमारे पास जो भी पशु आए, उनका डाइग्नोज किया, जिसमें पाया कि भैंस और गाय के गर्भाशय में कैंसर के कई केस हैं। अगर समय पर पता चल जाता है कि इस केस में उनके गर्भाशय को निकालकर ही उपचार किया जा रहा है। अल्ट्रासाउंड की सुविधा से यह संभव हो सकता है।

ऐसे पशुओं में फैल रहा कैंसर

पशुओं को जो चारा दिया जा रहा है, उनमें रासायनिक दवाओं का प्रयोग होता है। फसलों में रासायनिक दवाओं के प्रयोग के बाद बारिश के पानी में यह दवाएं मिल जाती हैं। इसके बाद किसी जलाशय से पशु जब पानी पी लेते हैं तो उनमें कैंसर की पूरी-पूरी संभावना रहती है। पशु वैज्ञानिक डॉ. चंदोलिया बताते हैं कि पशु विज्ञान में विदेशों में काफी काम हो चुका है, भारत में अब इस पर काम में तेजी आई है। हम कोशिश कर रहे हैं कि मनुष्यों की तर्ज पर पशुओं की हर बीमारी को डाइग्नोज किया जाए।

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