कई दिन से बना रखा था आत्महत्या का मन, परिवार-रिश्तेदारों ने समझाया, आखिर में दे दी जान
मृतक धनंजय नोएडा की कंपनी में करीब 50 हजार की नौकरी करते थे। साथ में परिवार का अलग से टाफी-बिस्कुट सप्लाई का काम शुरू किया था। लाइनपार के सुभाषनगर में 50 गज जमीन खरीदकर खुद का मकान बनाया था। इसके लिए लाेन भी लिया।

बहादुरगढ़, जागरण संवाददाता। बहादुरगढ़ में कमेटी डालने के चक्कर में फंसने के बाद मजबूर होकर फांसी लगाने वाले उत्तर प्रदेश के देवरिया के 45 वर्षीय धनंजय ने कई दिनों से आत्महत्या का मन बना रखा था। इंटरनेट मीडिया पर स्टेटस भी डाल रहे थे। परिवार-रिश्तेदारों काे पता लगा तो सभी ने समझाया भी। फिर भी एक दिन पहले अपने खाली मकान में दीवार पर सुसाइड नोट लिखकर तारीख डाल दी थी और मंगलवार को जान दे दी। घटना से परिवार सदमे में है।
एक महीने तक नए घर में रहा परिवार, फिर वापस किराये पर आया
धनंजय नोएडा की कंपनी में करीब 50 हजार की नौकरी करते थे। साथ में परिवार का अलग से टाफी-बिस्कुट सप्लाई का काम शुरू किया था। लाइनपार के सुभाषनगर में 50 गज जमीन खरीदकर खुद का मकान बनाया था। इसके लिए लाेन भी लिया। एक महीने तक किराये का मकान छोड़कर यहां पर रहने के लिए आए। मगर वहां से बच्चों का स्कूल दूर पड़ता था। ऐसे में परिवार दोबारा से बसंत विहार में किराये के मकान में आ गया। नए मकान को बेचने के लिए निकाल दिया। परिचित साहिल से सौदा भी हो गया। अग्रिम राशि भी ले ली। इस बीच धनंजय ने परिवार और परिचितों को बताया कि विजय के पास कमेटी डाली थी। साढ़े 19 लाख लेने हैं, मगर वह नहीं दे रहा। धमकी भी दे रहा है। इससे वे परेशान हो गए थे।
दीवार पर लिखा सुसाइड नोट
परिवार और परिचितों ने खूब समझाया। उनका मकान खरीदने वाले साहिल ने बताया कि सोमवार की शाम को धनंजय, उनकी पत्नी और बेटा अपने मकान पर आए थे। वहां से धनंजय को वे अपने घर ले गए। वहां पर उन्होंने विजय के साथ बातचीत की चार मोबाइल काल रिकार्डिंग सुनाई। तब उन्होंने बैठकर मामला सुलझाने के लिए कहा था। मंगलवार को मिलने का समय भी रखा था। उससे पहले धनंजय को अपनी पत्नी के हाथ पर बंधा प्लास्टर कटवाने जाना था। मगर धनंजय ने कुछ और ही कदम उठा लिया। इधर, धनंजय की पत्नी पुष्पांजलि ने बताया कि उनके पति ने बताया था कि विजय ओहलान व एक महिला ने उसे बुरी तरह फंसा रखा है। इससे वे कर्ज में डूब गए हैं। इन दोनों से इतना तंग आ चुका हूं कि कभी भी मर सकता हूं। मंगलवार सुबह साढ़े आठ बजे उनके पति नए घर में जाने के लिए निकले थे। काफी इंतजार के बाद जब नहीं आए तो उन्होंने फोन किया। फाेन नहीं उठाया तो उनका बेटा उत्कर्ष वहां पहुंचा। गेट बंद था। अंदर पहुंचा तो वहां छत में मोखे से बंधी रस्सी पर उसके पति ने फांसी लगा रखी थी। उनकी मौत हो चुकी थी। दीवार पर सुसाइड नोट लिखा था।
ये है सुसाइड नोट का मजमून
सेवा में माननीय मोदी जी, योगी जी, मनोहर लाल खटर। मैं धनंजय परिवार सहित 10 साल पहले हरियाणा आया था। यूपी से परिवार के साथ पांच साल ट्रक ड्राइवर बना। फिर एक अच्छी नौकरी मिली नोएडा कि कंपनी में 48,125 रुपये तनख्वाह मिली। अच्छी जिंदगी चल निकली। पत्नी के नाम से एक बिजनेस भी डाल दिया। परिवार अच्छा चलने लगा। पर मेरे परिवार के ऊपर विजय ओहलान निवासी बराही रोड ने ऐसी नजर डाली और इतना ब्लैकमेल किया कि आज मैं कर्ज में आ गया। आज ये मुझे इतना टार्चर करता है कि मैं आत्महत्या करने पर मजबूर हूं। इसके साथ जहां मेरा आफिस और गोदाम है, उसकी मालकिन महिला भी शामिल है।
इन लोगों की होनी चाहिए जांच
ये हरियाणा के लोग हम यूपी वालों को कुछ नही समझते। मेरी 19 लाख 50 हजार कि कमेटी विजय लूटने के प्रयास में है। 10 महीने तक मैं इधर-उधर से लेकर किश्त भरता रहा। अब कमेटी मुझे मिलनी है तो मना कर रहा है, कि पैसे नहीं है। अब मेरी इज्जत कैसे बचेगी और विजय यहां का निवासी होने के कारण मुझे धमका भी रहा है। यह घर मेरा सपना है। मैं किसी और को कैसे बैच दूं। केवल विजय ओहलान और वह महिला (सुसाइड नोट में नाम है) पीजी की मालकिन के झांसे में पड़कर मैं फंस गया हूं। इसके चलते मैं आत्महत्या कर रहा हैं। कृपया करके मेरे परिवार को सुरक्षित यूपी भेज दिया जाए। मेरे परिवार कि जान खतरे में है। मैं मरना नही चाहता पर मजबूरी है। ये मुझे जीने नही देंगे। गाड़ी बिकवा दी और मैं वीडियो भी बना दूंगा। इन लोगों की जांच हो। मैं अपने परिवार का अकेला कमाने वाला था, लेकिन इन लोगों ने एक चक्कर में फंसाकर सब कुछ ले लिया। सो मैं जिंदगी खत्म कर रहा हूं और विजय ओहलान मेरे पैसे दे दो जो मैंने 10 किश्त एक लाख 50 हजार महीना भर रखी हैं। कमेटी के नाम पर तुमने मुझे बर्बाद कर दिया। वरना पूरा हरियाणा में मेरा स्वभाव पूछ लो, जहां भी मेरे डिस्ट्रीब्यूटर हैं।
जांच अधिकारी के अनुसार
घटना को लेकर केस दर्ज किया गया है और गहनता से जांच की जा रही है।
Edited By Naveen Dalal