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Ram mandir News: ताले में बंद थे रामलला, फिर शुरू हुआ आंदोलन, रोहतक में आचार्य ने बताए अनुभव

Ayodhya Ram mandir News राम मंदिर को लेकर अयोध्या निवासी एवं रोहतक में जींद रोड स्थित आदर्श गुरुकुल सिंघपुरा में तैनात आचार्य शंभू मित्र शास्त्री ने दैनिक जागरण से खास बातचीत की।

By Manoj KumarEdited By: Published: Mon, 03 Aug 2020 11:39 AM (IST)Updated: Mon, 03 Aug 2020 11:39 AM (IST)
Ram mandir News: ताले में बंद थे रामलला, फिर शुरू हुआ आंदोलन, रोहतक में आचार्य ने बताए अनुभव
Ram mandir News: ताले में बंद थे रामलला, फिर शुरू हुआ आंदोलन, रोहतक में आचार्य ने बताए अनुभव

रोहतक [अरुण शर्मा] राम मंदिर निर्माण के लिए देश-दुनिया के रामभक्तों ने एकजुटता दिखाई थी। अयोध्या के रहने वाले लोगों ने भी त्याग और सेवा का अनूठा पाठ पढ़ाया था। जब कार सेवकों पर लाठियां-गोलियां बरसाईं गईं थीं तब भी अयोध्या के लोगों के हौसलें टूटे नहीं। सेवाभाव तमाम बाधाओं के बावजूद बढ़ता ही गया। मूल रूप से अयोध्या के रहने वाले आचार्य शंभू मित्र शास्त्री ने तमाम अनुभव साझा किए।

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आचार्य शंभू का कहना है कि रामलला ताले में बंद थे। विश्व हिंदू परिषद के आह्वान पर देश-विदेश में भी ताला खुलवाने के लिए आंदोलन शुरू हुआ। अयोध्या से जन-जन की भागीदारी से मशाल जुलूस निकाला गया। रोहतक के जींद रोड स्थित आदर्श गुरुकुल सिंघपुरा में वेद, संस्कृत और साहित्य पढ़ाने वाले आचार्य शंभू कहते हैं कि भगवान के हम वंशज हैं। इसलिए स्मारक, स्मृति और उनकी पहचान को जिंदा रखना सभी की जिम्मेदारी थी।

52 वर्षीय आचार्य शंभू ने बताया है कि अयोध्या में संतों के सम्मेलन के साथ ही आंदोलन का विधिवत आगाज हो गया। उसी दौरान पूरे आंदोलन की रूपरेखा तय होते ही पंचकोशी परिक्रमा क्षेत्र के रहने वाले लोगों ने सीधे तौर से आंदोलन में सहयोग करने का फैसला लिया। भोजन व्यवस्था से लोगों के ठहरने व दूसरी सेवाओं का जिम्मा उठाया।

सुरक्षा के लिए लगाए बैरियर तक उखाड़ दिए

आचार्य शंभू ने आर्यसमाजी नेता एवं भूतपूर्व लोकसभा सांसद राम गोपाल शाल वाले के नेतृत्व में आर्य समाज ने भी राम जन्मभूमि आंदोलन में भाग लिया था। उन्होंने अपने कारसेवा के अनुभव बताते हुए कहा कि सुरक्षा के लिए अयोध्या में लगाए गए बैरियर तोड़ दिए गए। रामभक्तों के हौसलों के सामने पुलिस की लाठियां और गोलियां भी बौनी साबित हो रहीं थीं। अब पांच अगस्त को प्रधाना मुहल्ले में घर-घर दीपक जलाए जाएंगे। रविवार को हवन यज्ञ भी किया गया।

सरयू से एक मुट्ठी बालू व बोतल जल लेकर गए भक्त

पंचकोशी परिक्रमा क्षेत्र स्थित शाहजहांपुर गांव निवासी आचार्य शंभू 1995 से रोहतक में रह कर गए हैं। आचार्य शंभू ने बताया है कि विश्व हिंदू परिषद के आह्वान पर आंदोलन शुरू हुआ। शिला पूजन के साथ ही आंदोलन तेज होने लगा था। उसी दौरान विश्व हिंदू परिषद के आह्वान पर घर-घर सुंदरकांड किए गए। कार सेवकों पर हुए अयोध्या में गोली और लाठियां बरसाईं गईं। सरयू नदी के नया घाट और टेड़ी बाजार पर लाशें देखीं। सरयू नदी के पुल पर भगदढ़ के चलते कार सेवकों की चप्पल-जूते, कपड़े, थैले ही बिखरे पड़े थे। दो युवकों ने शहादत दी। परिजनों की पहचान के बाद पता चला कि कोठारी बंधु हैं। आंदोलन के दौरान बड़े नेताओं ने आह्वान किया था कि विवादित ढांचे पर एक मुट्ठी बालू रखें। इसके साथ ही एक मुट्ठी बालू व एक बोतल जल अपने साथ ले जाएं। इस तरह भक्त आते और जाते रहे।


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