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Ayodhya Ram mandir bhumi pujan: जब पलटा घुमाकर अयोध्या में जाम की थी ट्रेन, चेन पुलिंग सिस्‍टम हो गया था बंद

Ayodhya Ram mandir bhumi pujan रोहतक के कार सेवकों ने सरकार के आदेश पर नॉन स्टाप चलने वाली रेलगाड़ी को अयोध्या में रोक दिया था और कार सेवक अयोध्या में एंट्री करने में कामयाब रहे।

By Manoj KumarEdited By: Published: Wed, 05 Aug 2020 03:12 PM (IST)Updated: Wed, 05 Aug 2020 03:12 PM (IST)
Ayodhya Ram mandir bhumi pujan: जब पलटा घुमाकर अयोध्या में जाम की थी ट्रेन, चेन पुलिंग सिस्‍टम हो गया था बंद
Ayodhya Ram mandir bhumi pujan: जब पलटा घुमाकर अयोध्या में जाम की थी ट्रेन, चेन पुलिंग सिस्‍टम हो गया था बंद

रोहतक [अरुण शर्मा] राम मंदिर आंदोलन को खड़ा करने के लिए सुनियोजित रणनीति काम आई थी। रणनीतिकारों ने एक-एक बिंदु पर गहन मंथन किया था। राष्ट्रीय स्वयं संघ की रणनीति इस तरह बुनी गई कि उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मुलायम सिंह यादव की सरकार भी उलझकर रह गई थी। कार सेवकों के संकल्प के आगे मुलायम सरकार के इंतजाम भी बौने साबित हो गए थे। रोहतक के कार सेवकों ने सरकार के आदेश पर नॉन स्टाप चलने वाली रेलगाड़ी को अयोध्या में रोक दिया था और कार सेवक अयोध्या में एंट्री करने में कामयाब रहे।

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विकास नगर निवासी एवं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के जिला संपर्क प्रमुख रमेश सचदेवा ने बताया है कि 1990 में कार सेवा शुरू हुई। रोहतक से टोली के साथ निकले तो मां शिवरानी ने तिलक लगाकर रवाना किया। उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद के टूंडला रेलवे स्टेशन पर ज्यादातर लोग गिरफ्तार कर लिए। फिर भी 17 में से चार लोग गुलशन, कलानौर के राजकुमार व संदीप वहां से निकलने में कामयाब रहे। बाद में कानपुर गिरफ्तार कर लिया। वहां बाड़ेनुमा अस्थाई जेल में रखा। किसी के सहयोग से वहां से वेश बदलकर लखनऊ तक पहुंच गए।

वहां किसी तरह लखनऊ से इलाहाबाद तक सरकार के आदेश पर नॉन स्टाप संचालित ट्रेन में बैठे। अयोध्या से तीन किमी पहले ही 30 अक्टूबर 1990 में चेन पुलिंग की कोशिश की। फिर भी ट्रेन का संचालन बंद नहीं हुआ। सरकार के आदेश पर रेलवे ने चेन पुलिंग सिस्टम बंद कर दिया था। दूसरे राज्यों से आए कुछ कार सेवकों ने चलती ट्रेन का पलटा घुमाकर ट्रेन को जाम कर दिया था। जय श्रीराम के जयकारे लगे और अयोध्या तक हजारों कार सेवक पहुंचने में कामयाब रहे। 1992 में फिर से अयोध्या में पहुंचे और करीब एक सप्ताह बाद वापस लौटे।

छह माह तक अफसरों के भेष में भूमिगत रहे, गांव-गांव खड़ा किया आंदोलन

संघ के उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में प्रचारक रहे रोहतक स्थित गांधी कैंप निवासी सतीश सिंधवानी ने उन रणनीतियों को साझा किया, जो उस दौरान प्रचार-प्रसार के साधन बेहद कम थे। गांव-गांव लोगों के बीच पहुंचकर उन्हें आंदोलन के लिए प्रेरित करना सबसे बड़ी चुनौती था। गिरफ्तारी से बचने के लिए छह माह तक अफसरों के भेष में भूमिगत रहे। संघ के प्रचारक रहे सिंधवानी ने बताया है कि वह उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर, अलीगढ़, लखनऊ, उत्तराखंड आदि स्थानों पर प्रचारक रहे।

गांव-गांव से जेल में पहुंचता था भोजन : तिलकराज

विश्व हिंदू परिषद के प्रांत धर्माचार्य संपर्क प्रमुख तिलराज ने पुराने किस्से सुनाए। रोहतक से सोनीपत ट्रेन के माध्यम से 32 लोग अयोध्या के लिए रवाना हुए। लखनऊ में गिरफ्तार कर लिया। उन्नाव स्थित अस्थाई जेल में रहे। 1990 में आंदोलन का ही असर कहेंगे कि जेल तक गांव-गांव से भोजन तैयार होकर आता था। 24 दिन बाद सरकार ने रिहा किया। वहीं, बड़ा बाजार के धेबी गेट निवासी गुलशन शर्मा ने बताया है कि शहर के प्रमुख सभी मंदिरों में शिला पूजन हुए।


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