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Ayodhya Ram mandir bhumi pujan: राम जन्मभूमि आंदोलन में लगाई जवानी, अब हसरत होगी पूरी

Ayodhya Ram mandir bhumi pujan राम मंदिर निर्माण आंदोलनों में खरावड़ गांव निवासी इंद्रजीत भारद्वाज की भूमिका रही। गंगाजल हाथ में लेकर कसम खाई थी और रामजी के लिए जीवन समर्पित किया

By Manoj KumarEdited By: Published: Wed, 05 Aug 2020 02:58 PM (IST)Updated: Wed, 05 Aug 2020 02:58 PM (IST)
Ayodhya Ram mandir bhumi pujan: राम जन्मभूमि आंदोलन में लगाई जवानी, अब हसरत होगी पूरी
Ayodhya Ram mandir bhumi pujan: राम जन्मभूमि आंदोलन में लगाई जवानी, अब हसरत होगी पूरी

रोहतक [रतन चंदेल] Ayodhya Ram mandir bhumi pujan अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए 5 अगस्त को होने वाले शिलान्यास एवं भूमिपूजन कार्यक्रम को लेकर पूरा देश उत्साहित है। रोहताश की नगरी में भी दीप जलाकर खुशियां मनाने की तैयारियां चल रही हैं। मंदिर निर्माण के आंदोलन में अपनी जवानी लगा देने वाले अनेक रामभक्त ऐसे हैं, जिनकी हसरत अब पूरी होगी। ऐसे ही एक रामभक्त रोहतक के खरावड़ गांव निवासी इंद्रजीत भारद्वाज हैं। जिन्होंने रामजी के लिए जीवन समर्पित किया हुआ है।

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रामसेतु मुद्दा, अमरनाथ यात्रा बंद करने, मंदिर अधिग्रहण का मुद्दा, हज यात्रा पर सब्सिडी देने व रामजी के दर्शन करने पर प्रतिबंध लगाने जैसे अनेक मुद्दों पर वे 33 साल में अब तक 55 बार धारा 144 का देशहित में उल्लंघन कर चुके हैं। गोहत्या पर प्रतिबंध लगवाने के लिए दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना देने वाले अशोक ङ्क्षसगल, प्रवीन तोगडिय़ा, साध्वी ऋतंभरा, उमा भारती आदि के साथ अनेक बार धरनों में भी शामिल रहे हैं। राम मंदिर निर्माण के चलाए अलग-अलग आंदोलनों के दौरान वे कई बार जेलों में भी रहे हैं। वे वर्तमान में विश्व ङ्क्षहदू परिषद के सामाजिक समरसता आयाम के रोहतक विभागाध्यक्ष हैं।

84 कोसी परिक्रमा करते 2013 में हुए गिरफ्तार

उनका कहना है कि श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए किए आंदोलनों में पुलिस ने कई बार गिरफ्तार, लेकिन राम भक्तों के हौंसले बुलंद रहे। एक वाकया बताते हुए उन्होंने कहा कि राम मंदिर की 84 कोसी परिक्रमा पर सरकार ने 2013 में प्रतिबंध लगाया था। लेकिन श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए समर्पित विश्व ङ्क्षहदू परिषद के सदस्यों व साधु-संतों ने 84 कोसी परिक्रमा शुरू की। जिसमें वे भी शामिल रहे। उन सभी ने जंगल के कच्चे रास्तों से 32 किलोमीटर की परिक्रमा पूरी कर ली थी। एक दिन गोंडा जिले के काशगंज स्थान पर जब सुबह चायपान कर रहे थे तो पुलिस ने सभी को गिरफ्तार कर लिया। दो कमरों के स्कूल में ही रोके रखा। रात को अधिकारी आए और जेल भेजने का आदेश देकर चले गए। पुलिस ने उनको रात को ही गोंडा जेल भेज दिया। वहां पर कैदियों को एकत्रित कर अनशन व हड़ताल की चेतावनी दी और आठ दिन बाद उनको जेल से रिहा कर दिया गया।

रोहतक में फूलमालाओं से हुआ स्वागत

विहिप के सदस्य उनको अयोध्या लेकर गए। इस दौरान खरावड़ गांव के ही रामकंवार मलिक, राजेंद्र पांचाल, अस्थल बोहर से स्वामी धर्मानंद, भिवानी से नरेश शर्मा, चंद्रपाल सांगवान, संत राजनाथ व संत शीलनाथ के अलावा जींद से भालङ्क्षसह शर्मा और स्वामी यज्ञानंद भी साथ रहे। जिसके बाद वे रोहतक रेलवे स्टेशन पर पहुंचे तो यहां पर फूलमालाओं से उनको स्वागत किया गया।

आजीवन ब्रह्मचारी रहने की कसम

2002 में अयोध्या में हुए मूर्ति कला परीक्षण कार्यक्रम में उन्होंने हरियाणा का प्रतिनिधित्व किया था। धर्म संसद अर्ध कुंभ हरिद्वार में 2003 में उन्होंने गंगाजल हाथ में लेकर कसम खाई थी कि मंदिर बनने तक आजीवन ब्रह्मचारी रहेंगे। इससे पहले राजस्थान के चिढ़ावा में 1992 में हनुमान गुप्ता की देखरेख में शाखा लगाते थे। वहां से शाखा के युवा सदस्य अयोध्या में कारसेवा के लिए जा रहे थे। लेकिन गाजियाबाद के बार्डर पर ही उनको रोक लिया गया था।


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