पहाड़ी क्षेत्रों तक आसानी से पहुंचाए जा सकेंगे सेना के घोड़े
भारतीय सेना द्वारा संचालित अश्व प्रजनन केंद्र से अच्छी नस्ल के घोड़ों को जम्मू कश्मीर हिमाचल प्रदेश और उत्तर-पूर्वी जैसे उच्च ऊंचाई वाले सामरिक महत्व के क्षेत्रों तक आसानी से पहुंचाना सुनिश्चित हो सकेगा। इन्हें हवाई मार्ग से दिल्ली-चंडीगढ़ एयरपोर्ट तक पहुंचाकर वहां से एयरलिफ्ट किया जा सकेगा।
जागरण संवाददाता, हिसार : हिसार में बनने वाले कार्गो एयरपोर्ट का सामरिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण हो गया है। यहां से पहाड़ी क्षेत्रों में आसानी ने एयरलिफ्ट के जरिए पशुओं को पहुंचाया जा सकेगा। खासकर भारतीय सेना द्वारा संचालित अश्व प्रजनन केंद्र से अच्छी नस्ल के घोड़ों को जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तर-पूर्वी जैसे उच्च ऊंचाई वाले सामरिक महत्व के क्षेत्रों तक आसानी से पहुंचाना सुनिश्चित हो सकेगा। इन्हें हवाई मार्ग से दिल्ली-चंडीगढ़ एयरपोर्ट तक पहुंचाकर वहां से एयरलिफ्ट किया जा सकेगा।
गौरतलब है कि हिसार में भारतीय सेना द्वारा संचालित ब्रीडिग स्टड फार्म, राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान संस्थान, केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान, ट्रैक्टर ट्रेनिग इंस्टीट्यूट, बीएसएफ यूनिट, राजकीय पशुधन फार्म, फ्रोजन सीमन स्टेशन, वेटरनरी वैक्सीन इंस्टीट्यूट, हरियाणा वेटरनरी ट्रेनिग इंस्टीट्यूट तथा क्षेत्रीय गेहूं अनुसंधान संस्थान जैसे राज्य व राष्ट्रीय स्तर के कृषि तथा पशुपालन से जुड़े संस्थान संचालित हैं।
इस बारे में लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (लुवास) ने हिसार एयरपोर्ट के भावी परिप्रेक्ष्य में एक रिपोर्ट तैयार की है। इसमें पशुधन को अंतरराष्ट्रीय पहचान, सेना को मिलने वाले सामरिक लाभ, मुर्राह नस्ल की अन्य देशों में त्वरित पहुंच, नस्ल सुधार से जुड़ी प्रयोगशालाओं के सुदृढ़ीकरण, दूध व दुग्ध उत्पादों की अंतरराष्ट्रीय पहुंच सुनिश्चित होने के संबंध में विस्तृत जानकारी मिलती है।
पशुपालकों को ऐसे मिलेगा फायदा
लुवास के पशु विशेषज्ञ डा. नीलेश सिधु ने बताया कि हिसार जिले की सड़क व रेलमार्ग के माध्यम से तो देश के विभिन्न हिस्सों से बेहतर कनेक्टिविटी है, लेकिन यहां कार्गो एयरपोर्ट बनने से यह कनेक्टिीविटी राष्ट्रीय ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहज सुलभ हो जाएगी, जिसका सीधा फायदा प्रदेश के लोगों विशेषकर पशुपालकों को मिलेगा। उन्होंने बताया कि हरियाणा, कृषि के साथ-साथ पशुपालन में भी विशेष पहचान रखता है।
लंबे सफर के कारण पशुओं की हो जाती है मौत
हिसार व साथ लगते जिले जींद, भिवानी व कैथल भारत का काला सोना कही जाने वाली मुर्राह नस्ल की भैंसों का हब हैं। आंध्रप्रदेश, मध्य प्रदेश व तमिलनाडु जैसे राज्यों के पशु व्यापारी इन जिलों से भैंस खरीदकर ले जाते हैं। सड़क मार्ग से ले जाने के कारण पशुओं को काफी परेशानी होती है। लंबे सफर के चलते कई बार तो पशुओं की मौत भी हो जाती है। कार्गो एयरपोर्ट से पशुधन को दूरदराज के राज्यों में पहुंचाना आसान होगा।
उपकरणों को लाने में होगी आसानी
नस्ल सुधार के लिए जहां बेहतर लैब सुविधाएं उपलब्ध हो सकेंगी वहीं विदेशों से नस्ल सुधार से जुड़े उपकरणों को हिसार लाने में आसानी होगी। उन्होंने कहा कि मुर्राह भैंस व हरधेनु गाय के कारण हरियाणा में दूध की उपलब्धता बहुत अच्छी है। दूध व दूध से बनने वाले उत्पादों को बनाकर दूरदराज के राज्यों के साथ-साथ अन्य देशों को एक्सपोर्ट करने की भी सुविधा कार्गो एयरपोर्ट के कारण उपलब्ध होगी।