RTA का एक और फर्जीवाड़ा, बसों की बजाय सांठगांठ कर डंपर और हाईवा में लगा दी CNG किट
रोहतक आरटीए कार्यालय में मिलीभगत कर सीएनजी किट को पास करा दिया गया। सीएम फ्लाइंग ने जांच के बाद शिवाजी कालोनी थाने में केस दर्ज कराया है।
रोहतक, जेएनएन। ओवरलोडिंग घोटाले के बाद आरटीए (क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण) कार्यालय से जुड़ा एक और बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। दिल्ली की एक फर्म को केवल बसों में सीएनजी किट लगाने की अनुमति थी, लेकिन फर्म ने सर्टिफिकेट में छेड़छाड़ कर लोडिड वाहन डंपर और हाईवा आदि में भी अवैध रूप से सीएनजी किट लगा दी। इतना ही नहीं कार्यालय से मिलीभगत कर पास भी करा दिया। जांच के बाद अब सीएम फ्लाइंग के एसआइ की तरफ से शिवाजी कालोनी थाने में फर्म के खिलाफ केस दर्ज कराया गया है।
सीएम फ्लाइंग के एसआइ कृष्ण कुमार की ओर से दर्ज कराई शिकायत में बताया गया कि दिल्ली के प्रेम नगर स्थित जियोलैट ऑटो गैस इंडस्ट्री का नई दिल्ली स्थित अलीपुर में वर्कशॉप है। इस फर्म को पास टाटा-1512टीसी और एम-3 बसों में सीएनजी किट लगाने के लिए सर्टिफिकेट जारी किया गया था। फर्म ने धोखाधड़ी की नीयत से इस सर्टिफिकेट में छेड़छाड़ की। जिसके बाद लोडिड वाहन डंपर और हाईवा आदि में भी अवैध रूप से सीएनजी गैस किट लगानी शुरू कर दी गई। फर्म ने आरटीए ऑफिस में मिलीभगत कर दलालों के माध्यम से उन्हें पास भी करा दिया। सीएम फ्लाइंग की तरफ से रोहतक स्थित क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण कार्यालय से जनवरी 2016 से अप्रैल 2018 तक का रिकार्ड मांगा गया था।
इस रिकार्ड के अनुसार, प्राथमिक तौर पर ऐसे पांच वाहन मिले हैं, जिसमें अवैध रूप से सीएनजी किट लगाकर उन्हें पास कराया गया था। जांच के बाद वाहनों की संख्या और भी बढ़ सकती है। खास बात यह है कि प्रत्येक वाहन को डीजल से सीएनजी में बदलने के लिए आइसीएटी (इंटरनेशनल सेंटर फॉर ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी) सर्टिफिकेट की जरूरत होती है। जो निर्धारित फीस भरने के लिए लिया जाता है। जांच में यह सामने आया कि फर्म ने इस सर्टिफिकेट की फीस बचाने के लिए गलत तरीके से लोडिड वाहनों में सीएनजी किट लगाई है। जबकि फर्म के पास सिर्फ बस में ही सीएनजी किट लगाने का सर्टिफिकेट था। शिवाजी कालोनी थाना पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है।
पहले भी सुर्खियों में रहा आरटीए
आरटीए कार्यालय पहले भी विवादों में रह चुका है। पिछले साल ओवरलोड वाहनों से वसूली का मामला सामने आया था, जो काफी सुर्खियों में रहा। उस मामले में चरखी दादरी आरटीए के अधिकारी समेत कई अन्य लोगों को गिरफ्तार किया गया था। मामला फिलहाल कोर्ट में विचाराधीन है। उस मामले में रोहतक आरटीए कार्यालय के कर्मचारियों का भी नाम उछला था, लेकिन बाद में मामले को दबा दिया गया। अब जिस तरीके से फर्म ने अवैध रूप से वाहनों में सीएनजी किट लगवाई और उसे आरटीए कार्यालय से पास भी करा दिया उसमें कर्मचारी भी शक के दायरे में आ गए हैं। हालांकि यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा कि इस खेल के पीछे आखिर कौन-कौन हैं।