नमो देव्यै महा देव्यै : नवजातों के लिए सुरक्षा कवच बनी थी स्टॉफ नर्स अनिता, खुद के बेटे को छोड़, दूसरों को संभाला
अनिता ने परिवार की परवाह किए बिना ड्यूटी की। गांव एमपी माजरा निवासी स्टॉफ नर्स अनिता ने बताया कि कोरोना महामारी के दौरान उनकी ड्यूटी बच्चों की नर्सरी में लगी हुई थी। जहां पर उन्होंने नवजात बच्चों को संभाला और उनके लिए सुरक्षा कवच बनने का काम किया।
झज्जर, जेएनएन। कोरोना महामारी से जंग में चिकित्सकों के साथ-साथ स्टॉफ नर्स, आशा वर्कर व एनएनएम आदि ने भी कंधे से कंधा मिलकर अहम भूमिका निभाई थी। कुछ इसी अंदाज में जिला अस्पताल की स्टॉफ नर्स अनिता ने परिवार की परवाह किए बिना ड्यूटी की। गांव एमपी माजरा निवासी स्टॉफ नर्स अनिता ने बताया कि कोरोना महामारी के दौरान उनकी ड्यूटी बच्चों की नर्सरी (जहां पर नवजात बच्चों को रखा जाता है) में लगी हुई थी।
जहां पर उन्होंने नवजात बच्चों को संभाला और उनके लिए सुरक्षा कवच बनने का काम किया। नवजात बच्चों को कोरोना संक्रमण फैलने का अधिक खतरा रहता है। इसलिए वे अधिक सावधानी बरतती, ताकि कोई भी बच्चा कोरोना संक्रमित ना हो। कोरोना महामारी को देखते हुए छुट्टी भी रद की हुई थी। इसलिए वे निरंतर अपनी ड्यूटी को निभाने के साथ-साथ नवजात बच्चों को सुरक्षित रखने में जुटी रही।
स्टॉफ नर्स अनिता ने बताया कि उनको एक 10 वर्ष का बेटा भी है। कोरोना महामारी में जब वे ड्यूटी करने आती तो खुद के बेटे को भी संक्रमण से सुरक्षित रखना जरूरी था। इसलिए घर में जाने से पहले पूरी व्यवस्था करती। परिवार वालों को भी कोरोना संक्रमण ना फैले इसके लिए घर जाने से पहले स्नान करने का रूटीन बनाया। यहां तक कि चप्पल-जूते भी बाहर के अलग व घर के अलग रखे। जिस स्कूटी पर जाती थी, उसे भी धूप में रखती। स्नान व कपड़े धोने के बाद ही घर में प्रवेश करती थी।
यहां तक कि अस्पताल में ड्यूटी होने व हर रोज आना-जाना होने के कारण लोग भी दूरी बना रहे थे। सभी में डर था, कहीं कोरोना की चपेट में ना आ जाएं। अनिता ने बताया कि उन्होंने अपनी ड्यूटी तो की, साथ ही कभी भी कोरोना संक्रमित नहीं हुई। इसी तरह अस्पताल में ड्यूटी के दौरान भी कोरोना संक्रमण से बचाव के साथ-साथ नवजात बच्चों को संभाला। हालांकि अब वे कोरोना वैक्सीन टीकाकरण में ड्यूटी दे रही हैं।