माउंट ल्होट्से चोटी के बिल्कुल करीब से तीसरी बार वापस लौटी अनिता कुंडू, लिखा भावुक पोस्ट
अनिता का खराब मौसम ने तीसरी बार रास्ता रोक लिया है। अनिता का मुंह होंठ बुरी तरह से ठंड में गल गए हैं। चेहरा काला पड़ चुका है। अनिता ने दुखी मन से सोशल मीडिया पर लिखा है कि मैंने मेरी तरफ से 100 फीसदी प्रयास किया है।
हिसार/बालसमंद, जेएनएन। विश्व विख्यात हिसार के फरीदपुर गांव की बेटी पर्वतारोही अनिता कुंडू माउंट ल्होट्से चोटी से बेस कैंप में लौट आई हैं। तीसरी बार अनिता का खराब मौसम ने रास्ता रोक लिया है। अनिता का मुंह, होंठ बुरी तरह से ठंड में गल गए हैं। चेहरा काला पड़ चुका है। अनिता ने दुखी मन से सोशल मीडिया पर लिखा है कि मैंने मेरी तरफ से 100 फीसदी प्रयास किया है। लेकिन लहोत्से के बिलकुल पास से मौसम खराब होने के कारण वापस आना पड़ा है।
आज फिर मौसम की मार ने रास्ता रोका और कुछ अन्य कारण भी रहे है। आज टूट चुकी हूं, फिर उठूंगी, चलूंगी और सफर पर चलूंगी। अनिता के हौंसले अब भी बुलंद है। अनिता के सहयोगी रमेश ने बताया कि तीन बार मौसम की मार के कारण चोटी के करीब से वापस आना पड़ रहा है। मौसम बहुत ज्यादा खराब है। पिछली बार भी खराब मौसम में उनकी जान जा सकती थी, मगर अभी वो सुरक्षित हैं। अभी अनिता बेस कैंप में है। मौसम साफ होने का इंतजार है। जैसे ही मौसम साफ होगा अनिता अपने सफर पर निकल पड़ेगी।
बता दें कि पहले प्रयास में अनिता कुंडू माउंट ल्होट्से के बहुत करीब पहुंच गई थी, पर अचानक हुए खराब मौसम ने उनका रास्ता रोक लिया था। उन्हें पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया। वे वापस कैंप नंबर चार में आई। लेकिन बेस कैंप में पहुंचना बाकी था। उनके साथ कुछ भी हो सकता था। वे मुश्किल से अपनी जान बचा पाई हैं। अनिता का परिवार उनकी पूरी टीम लगातार कंपनी से संपर्क बनाएं हुए था, उनकी अनिता से बात भी नहीं हो रही थी। मगर शुक्रवार को मिले संदेश के बाद सभी ने राहत की सांस ली है। अनिता के परिवार जनों ने बताया की एवरेस्ट और ल्होट्से में 8000 मीटर तक समान रूप से कैंप लगते हैं। जब मौसम खराब हुआ अनिता 8200 मीटर पर थी।
अगर मौसम ने साथ दिया होता तो वह शिखर पर होती। मगर खराब मौसम ने उनकी मुसीबतों को बढ़ा दिया और उनको वापस थोड़ा नीचे आना पड़ा। अनिता 10 अप्रैल को नेपाल गई थी, कुछ दिन के बाद उन्होंने 21 अप्रैल को नेपाल की 6119 मीटर ऊंची चोटी माउंट लोबुचे को फतह किया था। वहां से नीचे आने के बाद दूसरी तरफ एवरेस्ट/ल्होट्से के बेस कैंप में पहुंची थी। जिसकी ऊंचाई 5400 मीटर है। यहां से अनिता ने सफल रोटेशन किया और वे 7300 मीटर तक जाके वापस बेस कैंप आई थी। अभी अनिता 9 अप्रैल को रात 12 बजे बेस कैंप से निकले थे। अगर मौसम साथ देता तो 13 अप्रैल को अपना राष्ट्रीय ध्वज शिखर में लहराता। अनिता ने फिर से चढ़ाई शुरू की मगर वापस लौटना पड़ा। अब तीसरी बार प्रयास किया मगर अब भी वहीं हुआ। मंगलवार को उन्होंने भावुक पोस्ट लिखा।
माउंट एवरेस्ट को दोनों और से फतह कर चुकी हैं अनिता
अनिता 12 साल से पर्वतारोहण के साहसिक खेल को खेल रही है। उन्होंने हिंदुस्तान की अनेकों चोटियों को फतह करते हुए दुनियां की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को कुल तीन बार फतह किया है। वे नेपाल और चीन दोनों ही रास्तों से माउंट एवरेस्ट को फतह करने वाली हिंदुस्तान की प्रथम बेटी है। उन्होंने सभी महाद्वीपों के ऊंचे शिखरों को भी फतह किया है। अंटार्कटिका की सबसे ऊंची चोटी विनसन मासिफ, अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी किलिमंजारो, यूरोप के सबसे ऊंचे शिखर एल्बर्स, दक्षिण अमेरिका की एकोनकागुआ, ऑस्ट्रेलिया की कार्सटेंस पिरामिड शिखर को भी फतह किया। उतरी अमेरिका की देनाली पर भी उन्होंने संघर्ष किया। माउंट एवरेस्ट के समान ही माउंट मनास्लू को भी अनिता ने फतह किया है।