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अनंतनाग में शहीद हुए झज्‍जर के जांबाज को दी मुखाग्नि, गूंजे भारत माता की जय के नारे

आतंकियों ने सुरक्षाबलों पर हमला कर दिया था। इस हमले में सीआरपीएफ के 5 जवान शहीद हो गए और कई जख्मी हैं। खेड़ी जट्ट गांव के रमेश जनवरी 1990 में CRPF 116 बटालियन में भर्ती हुए थे।

By manoj kumarEdited By: Published: Thu, 13 Jun 2019 12:19 PM (IST)Updated: Fri, 14 Jun 2019 12:38 PM (IST)
अनंतनाग में शहीद हुए झज्‍जर के जांबाज को दी मुखाग्नि, गूंजे भारत माता की जय के नारे

हिसार, जेएनएन। जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में बुधवार को आतंकी हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ के पांच जवानों में से एक झज्‍जर जिले के गांव खेड़ी जट्ट निवासी रमेश कुमार का पार्थिव शरीर उनके गांव पहुंचा। शहीद को सलामी दे उनको दोनों बेटों ने मुखाग्नि दी। इस दौरान हर आंख नम हो गई। इससे पहले गांव के बाहर ही ग्रामीण हाथों में तिरंगा लेकर खड़े हो गए। शव पहुंचते ही यवाओं में जोश भर गया और हर कोई भारत माता की जय के नारे लगाने लगा। हर ओर शहीद अमर रहे की गूंज थी। गांव में उनके पार्थिव शरीर का सुबह से ही इंतजार किया जा रहा था।

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गुरुवार शाम तक शहीद रमेश कुमार का शव उनके गांव पहुंचने की बात कही गई थी। सीआरपीएफ असिस्टेंट कमाटेंडेंट सुनील कुमार की टीम शाहीद एएसआई रमेश कुमार के पार्थिव शरीर को लेकर खेड़ी जट्ट गांव पहुंची। प्रदेश के कृषि एवं कल्याण मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ और अरविंद शर्मा सांसद लोकसभा (रोहतक) भी खेड़ी जट्ट पहुचें हैं।

रमेश के परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है। ग्रामीण उन्‍हें ढांढस बंधा रहे हैं। बता दें कि आतंकियों ने सुरक्षाबलों पर हमला कर दिया था। इस हमले में सीआरपीएफ के 5 जवान शहीद हो गए और कई जख्मी हैं। मुठभेड़ में एक आतंकी भी ढेर हो गया था। शहीद होने वाले पांच जवानों में एक हरियाणा के जिला झज्जर में बादली क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले गांव खेड़ी जट्ट से संबंध रखता है।

जानकारी के अनुसार शहीद रमेश को माथे और सीने में कई गोलियां लगी थी, उन्‍होंने मौके पर ही दम तोड़ दिया। मगर उन्‍होंने आतंकियों से जमकर लोहा लिया।

हर कोई इस पल को कैमरे में कैद कर लेना चाहता था, शहीद का शव जब उनके घर पर लेकर गए तो हर किसी के सब्र का बांध टूट गया और विलाप होने लगा। तभी शहीद अमर रहे के नारे लगे तो परिजनों की भी हिम्‍मत बढ़ गई। बाइक और गाडि़यों के काफीले के साथ शव को लाया गया।


बाएं से दूसरे नंबर पर शहीद रमेश सफेद कुर्ता पजामा व खुली हुई जैकेट पहने हुए हैं। फाइल फोटो।

गांव के सरपंच अभिमन्यु ने बताया कि गांव में शहीद स्‍मारक भी बनवाया जाएगा और शहीद रमेश को सदैव याद रखेगा जाएगा। गांव को गर्व है कि देश काे बचाने के लिए उन्‍होंने अपने प्राणों को न्‍यौछावर कर दिया। वहीं बड़े नेताओं ने भी शहीद के लिए दुख जताया है।

सीएम और पूर्व सीएम ने टवीट कर जताया दुख
रमेश की शहादत पर गर्व तो है मगर लोग गम में डूबे हुए हैं। गांव की गलियों में हर तरफ एक ही चर्चा है। लोगों मेें आतंक को लेकर आक्रोश भी है। इसी कड़ी में हरियाणा के सीएम मनोहर लाल और पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी टवीट करके घटना पर दुख जताया है।

जब तक शहीद का शव गांव पहुंचा युवाओं का जोश बना रहा। युवाओं ने बाइक पर तिरंगा लगाकर अपना देशप्रेम जाहिर किया। पार्थिव शरीर के घर पहुंचते ही हर आंख नम हो गई। आंखों में देशप्रेम और आतंकियों के प्रति आक्रोश साफ तौर पर देखा जा सकता था।


 

इस दौरान सीआरपीएफ बटालियन के हेड ने भी रमेश के बेटों को ढांढस बंधाया। उन्‍होंने कहा कि देश सेवा के लिए प्राण न्‍यौछावर करने वालों के लिए आंसू नहीं बहाने चाहिए। बल्कि यह गर्व करना चाहिए कि वो इतना बड़ा काम कर गए।

रमेश कुमार जनवरी 1990 में सीआरपीएफ 116 बटालियन में भर्ती हुए थे। अभी कुछ माह पहले उन्होंने सब इंस्पेक्टर कोर्स पूरा किया था। फिलहाल वह एएसआई के पद पर थे। फरवरी माह में ही 1 महीने की छुट्टी काट कर रमेश कुमार अनंतनाग लौटे थे।


शहीद रमेश गुलिया। फाइल फोटो

8 फरवरी को भतीजे की शादी में शिकरत करने आए थे। शहीद रमेश के दो बेटे हैं। मोहित बड़ा लडका है जोकि बीएससी कर चुका है। वहीं छोटा बेटा रोहित बीए फाईनल वर्ष में है। पत्नी सुदेश देवी गृहिणी है।

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