गजब तरह की जांच, हिसार में भाई की मौत के बाद बयान दर्ज करने वाले युवक को रिपोर्ट में दिखा दिया मृत
नारनौंद के माजरा गांव निवासी दिनेश ने उसके भाई की मौत के बाद पुलिस पर आरोपितों से मिलीभगत कर उसके जाली हस्ताक्षर करके मन मुताबिक बयान दर्ज करने का आरोप लगाया है। मामले में दिनेश ने आइजी और एसपी को पुलिस को शिकायत दी है।
जागरण संवाददाता, हिसार: हिसार जिले के नारनौंद क्षेत्र के माजरा गांव में एक अलग तरह की ही पुलिस जांच का मामला सामने आया है। माजरा गांव निवासी दिनेश ने पुलिस पर आरोप लगाया है कि उसके भाई की मौत के बाद पुलिस ने आरोपितों से मिलीभगत कर उसके जाली हस्ताक्षर करवा लिए। हस्ताक्षतर ही नहीं बल्कि अपने अनुकूल बयान भी दर्ज कर लिए, ताकि आरोपितों को बचाया जा सके।
इस मामले में पीडि़त ने आइजी और एसपी को पुलिस को शिकायत दी है। शिकायत में बताया कि वह माजरा में ही शमशेर नामक व्यक्ति के खेत में काम करता है। माजरा निवासी विनोद शर्मा का खेत शमशेर के खेत से करीब दो किलोमीटर की दूरी पर है। दिनेश ने बताया की चार अगस्त को उसके भाई सुभाष की विनोद शर्मा के खेत में बिजली का करंट लगने से मौत हो गई थी।
दिनेश ने बताया कि जिस दिन उसके भाई की मौत हुई थी, उस दिन वह खेत में नहीं गया था। उस दौरान उसके गांव का ही संजय और दिनेश अपने माेटरसाइलकिल पर सवार होकर उसके पास शमशेर के खेत में आए थे। जहां पर वह काम करता था उसे बताया कि उसके भाई सुभाष को करंट लग गया है तथा संजय उसे नारनौंद के सरकारी अस्पताल में मोटरसाइकिल पर बिठा कर ले गया है। नारनौंद अस्पताल में उसे पता चला कि उसके भाई सुभाष की मौत हो चुकी है व विनोद शर्मा के खेत में जो कि बिजली बोर्ड की बिना अनुमति के लकड़ी की बल्लियों पर तारों का जाल बिछाया हुआ है।
उन तारों पर फसकर उसके भाई सुभाष की मौत हुई है। पुलिस ने उसके भाई की मृत्यु रिपोर्ट पर जो उसके बयान व हस्ताक्षर दिखाए है। वह भी उसके नहीं है वह जाली किए गए है। पीड़ित ने बताया कि जो शिकायत पुलिस को दी गई है, उसमें उसने अपने हस्ताक्षर किए है। आधार कार्ड भी जमा करवाया है। जिसमें उसके हस्ताक्षर बयान में दर्ज हस्ताक्षर से मेल नहीं खा रहे। एक अक्टूबर को उसे पता चला कि उसके जाली हस्ताक्षर करके उसके नाम से फर्जी बयान दर्ज किए गए है।
लेकिन वास्तविकता में वह उसके हस्ताक्षर नहीं है। आरोप है पुलिस ने उसके फर्जी अथवा जाली हस्ताक्षर करके जो बयान दर्ज किए है वे भी उसने दर्ज नहीं करवाए है। मामले में डीएसपी जुगल किशाेर ने बताया कि शिकायतकर्ता का एक जगह क्लेरिकल गलती की वजह से नाम आ गया था, जिसे ठीक कर दिया था। जो आरोप लगाए है ऐसा नहीं है। ना ही उसके जाली हस्ताक्षर किए गए है।