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Hisar Pollution: प्रदुषित हवा में सांस ले रहे शहरवासी, वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट देखकर आप भी हो जाएंगे हैरान

आईक्यू एयर की वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट 2020 में हिसार में 50 सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल किया गया है। प्रदूषण पर अध्ययन करने वाले विज्ञानी बताते हैं कि उनके शोध में यह दो कारण नजर आए जो साबित करते हैं कि इनसे प्रदूषण हर रोज बढ़ रहा है।

By Naveen DalalEdited By: Published: Sun, 19 Sep 2021 07:25 AM (IST)Updated: Sun, 19 Sep 2021 09:03 AM (IST)
Hisar Pollution: प्रदुषित हवा में सांस ले रहे शहरवासी, वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट देखकर आप भी हो जाएंगे हैरान
हिसार में शहरवासियों के लिए परेशानी कारण बना प्रदुषण।

हिसार, जागरण संवाददाता। आईक्यू एयर की वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट 2020 ने सभी को हैरान कर दिया है। हिसार में 50 सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल किया गया है। हिसार के में बढ़ते प्रदूषण के कई कारण हैं। जिसमें सबसे बड़ा कारण म्युनिसिपल सालिड वेस्ट से निकलने वाला धुंआ यहां की हवा को काफी बड़े स्तर पर प्रदूषित कर रहा है। इसके साथ ही प्रदूषण फैलाने में दूसरा बड़ा कारण वाहन भी हैं।

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प्रदुषण नियंत्रण करना होगा मुश्किल

प्रदूषण पर अध्ययन करने वाले विज्ञानी बताते हैं कि उनके शोध में यह दो कारण नजर आए जो साबित करते हैं कि इनसे प्रदूषण हर रोज बढ़ रहा है। इसके साथ ही तीसरा बड़ा कारण यहां संचालित थर्मल प्लांट भी निकलकर सामने आया है। गुरु जंभेश्वर विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभाग में प्रोफेसर नरसी राम बिश्नाई और उनके साथ कुछ अन्य विशेषज्ञों पर हिसार में प्रदूषण पर शोध किया था तो यह तथ्य सामने आए। इस शोध में पाया गया कि जून के माह में पीएम 2.5 और पीएम 10 काफी बढ़ा हुआ था। विज्ञानी इसका कारण थर्मल प्लांट बताते हैं। यहां हरियाणा का सबसे बड़ा 1200 मिलियन वाट के दो प्लांट हैं। जिसमें जमकर कोयला की खपत होती है। कितनी भी कोशिश करो फिर भी यह प्रदूषण बढ़ने का एक कारण है। यहां पहले से हरियाली कम होती जा रही है ऐसे में प्रदूषण को आगे चलकर संभालना बहुत मुश्किल होगा।

जानिए विभिन्न सेक्टरों पर प्रदूषण का क्या पड़ रहा है असर

स्वास्थ्य पर प्रभाव

स्वास्थ्य पर प्रदूषण के प्रभाव पर गौर करें तो प्रदूषण के कारण साल दर साल अस्थमा, एलर्जी व फैंफड़ों संबंधी रोगी बढ़ते जा रहे हैं। यहां तक कि छोटे-छोटे बच्चों में भी दमा की समस्या सामने आ रही है। सिविल अस्पताल के आंकड़ों के अनुसार एक महीने में 70 से अधिक लोग अस्थमा के सामने आ रहे हैं। वहीं 40 मरीज हर माह फैंफड़ों के रोगों से संबंधित रहते हैं। वहीं जिन महीनों में प्रदूषण बढ़ता है उनमें तो इनकी संख्या दोगुनी हो जाती है। खासकर फसल अवशेष की कटाई के समय स्थिति काफी खराब रहती है।

बढ़ता शहरीकरण बना समस्या

शहरीकरण बढ़ रहा है, सड़कों के जाल बिछाए जा रहे हैं। आरओबी, आरयूबी जैसे प्रोजेक्टों में तेजी आई है। इन प्रोजेक्टों को बनाने में सबसे अधिक नुकसान उन वर्षों पुराने वृक्षों का होता है जो प्रदूषण के कणों को अवशोषित करने का काम करते हैं। एक वृक्ष औसतन 5000 प्रदूषण के कणों को अवशोषित करता है। प्रोजेक्टों में वृक्ष काटने के वह लगाए कहां जाते हैं इसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं की जाती। ऐसे में पौधे पेड़ बने या नहीं इसका असेसमेंट भी नहीं सामने आता। वहीं लोग अपनी छुट्टियां शहर से बाहर ऐसे स्थानों पर मनाना चाहते हैं जहां हरियाली हो।

हरियाली का कम होना चिंता का विषय

प्रदूषण को रोकने में हरियाली बहुत महत्वपूर्ण है। देश की राष्ट्रीय फारेस्ट पालिसी के अनुसार हर जिले के कुल क्षेत्रफल का एक तिहाई हिस्से में वनीय क्षेत्र होने चाहिए। मगर हिसार में लगातार वनीय क्षेत्र कम हो रहा है। फारेस्ट सर्वे आफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार हिसार में 3983 वर्ग किलोमीटर ज्योग्राफिकल एरिया है। अगर इसका एक तिहाई यानि 33 फीसद हिस्सा निकालें तो अभी भी हिसार में 1256 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में वन की उपलब्धता होनी चाहिए। सिर्फ यह नहीं बल्कि हरियाणा ने भी 2006 में पालिसी बनाई जिसके अनुसार हर जिले में 20 फीसद क्षेत्र में हरियाली होनी चाहिए, मगर इस नियम के अनुसार देखें तो अभी भी हिसार में 738 वर्ग किलामीटर वनीय क्षेत्र की दरकार है। इतने बड़े क्षेत्र को वनीय क्षेत्र बनाना वन विभाग से लेकर प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती है। क्योंकि लगातार कम होती जमीन वनीय क्षेत्र को निगलती जा रही है। पौधारोपण अभियान भी महज स्कूलों या कुछ संस्थाओं के हिस्से ही रह गया है। जिसके कारण अब हिसार में 1.45 फीसद क्षेत्र में ही हरियाली शेष रह गई है।

हिसार में वनीय क्षेत्र की स्थिति

ज्योग्राफिकल एरिया- 3983 वर्ग किलोमीटर

बहुत घने वन- 0.00

कम घने वन- 11.86 फीसद

खुले वन- 45.78 फीसद

कुल वनीय क्षेत्र - 57.64

कुल हरियाली- 1.45 फीसद

शहर में हरियाली

हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय- 35 फीसद

गुरू जंभेश्वर तकनीकि विश्वविद्यालय- 25 फीसद

नगर निगम- 15 फीसद

सेक्टर- 20 फीसद

फैक्ट

एक आदमी एक दिन व एक सांस में तीन लीटर ऑक्सीजन लेता है।

हवा में 22 लीटर ऑक्सीजन व अन्य भाग में अन्य गैसें होती हैं।

एक दिन में मनुष्य 22 हजार बार सांस लेता है इस हिसाब से 17.43 लाख लोग 38.36 अरब सांसें लेते हैं, जिसके लिए 38.36 अरब लीटर ऑक्सीजन की जरूरत है।

रिपोर्ट के अनुसार हिसार के प्रदूषण की यह है स्थिति

वर्ष 2020 का औसतन प्रदूषण 81.1 माइक्रो ग्राम प्रतिघन मीटर

वर्ष 2019 में औसत प्रदूषण 81 माइक्रो ग्राम प्रतिघन मीटर 

वर्ष 2020 में विभिन्न महीनों में हिसार की औसत एयर क्वालिटी

जनवरी 78.6, फरवरी- 75.3, मार्च- 57.4, अप्रैल- 63.9, मई- 67, जून- 69.1, जुलाई- 53.8, अगस्त- 49.8, सितंबर- 76.2, अक्टूबर- 134, नवंबर- 133.2, दिसंबर- 114.7

नोट- प्रदूषण के आंकड़े औसत हैं और आईक्यू वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट- 2020 के अनुसार हैं।

प्रदूषण के यह हैं मापदंड

डब्ल्यूएचओ का लक्ष्य- 0 - 10

अच्छी हवा- 10- 12

हल्की खराब हवा- 12.1- 35.4

संवेदनशील समूहों के लिए नुकसानदायक- 35.5- 55.4

नुकसानदायक हवा- 55.5- 150.4

बहुत खराब हवा- 150.5- 250.4

खतरनाक स्थिति - 250.4 से अधिक

नो- संकेतक माइक्रो ग्राम प्रति घनमीटर में हैं।


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