विधायक देवेंद्र बबली प्रकरण के बाद वर्चस्व की कोशिशों पर केंद्रित होता जा रहा है किसान आंदोलन
विधायक देवेंद्र बबली व किसानों की आपसी झड़प के टोहाना प्रकरण में जिस तरह से किसान नेताओं के विरोधाभाषी बयान सामने आए उसके बाद से अन्य आंदोलनकारी भी सवाल उठाने लगे। कई आंदोलनकारियों ने यह सवाल उठाया था कि क्या टिकैत और चढूनी ही इस आंदोलन की दिशा तय करेंगे।
बहादुरगढ़, जेएनएन। तीन कृषि कानूनों की खिलाफत से शुरू हुआ आंदोलन अब वर्चस्व की कोशिशों पर केंद्रित होता नजर आ रहा है। विधायक देवेंद्र बबली व किसानों की आपसी झड़प के टोहाना प्रकरण में जिस तरह से किसान नेताओं के विरोधाभाषी बयान सामने आए उसके बाद से अन्य आंदोलनकारी भी सवाल उठाने लगे। कई आंदोलनकारियों ने तो सीधे तौर पर गुरनाम चढूनी और राकेश टिकैत को चुनौती देते हुए यह सवाल उठाया था कि क्या ये दो नेता ही इस आंदोलन की दिशा तय करेंगे।
इससे पहले भी इन दोनों नेताओं के विरोधाभाषी बयान सामने आए थे, जब एक दूसरे की बात पर सवाल उठाया गया था। उसको भी इन दोनों नेताओं की ओर से वर्चस्व की कोशिश माना जा रहा था। अब टोहाना प्रकरण में दोनाें का नजरिया खुलकर सामने आया तो बाकी आंदोलनकारी भी असमंजस में पड़ गए।
आंदोलन से बड़ा कोई नेता नहीं : धनखड़
हरियाणा संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य प्रदीप धनखड़ का कहना है कि आंदोलन से बड़ा काेई भी नेता नहीं है। आंदोलन की सफलता ही हमारा लक्ष्य है। यदि कोई खुद को आंदोलन से ऊपर समझता है तो यह हमें स्वीकार्य नहीं। टोहाना में सामूहिक गिरफ्तारी ने स्पष्ट कर दिया कि आंदोलन से बड़ा गुरनाम चढूनी, राकेश टिकैत या कोई नेता नहीं है। सभी आगामी कार्यक्रम संयुक्त किसान मोर्चा की मीटिंग के बाद ही तय किए जाएंगे। आंदोलन में शामिल सभी युवा नेताओं को संरक्षण दिया जाएगा।
जल्द ही हरियाणा संयुक्त किसान मोर्चा की मीटिंग बहादुरगढ़ में बुलाई जाएगी। इसमें आगामी रणनीति पर कार्ययोजना बनेगी। सभी के विचार लिए जाएंगे। उन्हाेंने अन्य किसानों के साथ बंगाल की तरह उत्तर प्रदेश मिशन शुरू करने का संकल्प लिया। साथ ही प्रदीप धनखड़ ने प्रधानमंत्री से मांग की है कि 987 एकड़ में एक ही कंपनी को सीएलयू देने के मामले की न्यायिक जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि व्यक्ति विशेष को फायदा दिया जाना गलत है।