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68 साल बाद अमेरिका से हरियाणा पहुंच 28 रुपये की जगह 10 हजार रुपये चुकाई उधारी, लेनदार ने लिया दान करने का निर्णय

हरियाणा में प्रथम नौसेना बहादुरी पुरस्कार से सम्‍मानित कामोडोर बीएस उप्पल जब 10वीं कक्षा में थे तो कई बार दिल्ली वाला हलवाई के यहां मिठाई लेकर उधार कर लिया करते थे। नौकरी लगने के बाद वे कभी हिसार नहीं लौट सके मगर अब 85 की उम्र में पहुंचे

By Manoj KumarEdited By: Published: Mon, 06 Dec 2021 12:12 PM (IST)Updated: Mon, 06 Dec 2021 12:13 PM (IST)
68 साल बाद अमेरिका से हरियाणा पहुंच 28 रुपये की जगह 10 हजार रुपये चुकाई उधारी, लेनदार ने लिया दान करने का निर्णय
हिसार में दिल्‍ली वाला हलवाई दुकान पर 28 रुपये की जगह 10 हजार रुपये चुकाते हुए 85 वर्षीय बीएस उप्‍पल

जागरण संवाददाता, हिसार। आमतौर पर अगर उधार देने वाला भूल जाए तो बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो खुद से उधार चुकाने पहुंचे। मगर एक शख्‍स ऐसा भी है, जिसे 68 साल पहले की 28 रुपये की उधारी कचोटती रही। जब बात हर वक्‍त दिमाग में घूमने लगी तो नौसेना के रिटायर्ड अधिकारी सात समंदर पार से हरियाणा के हिसार पहुंचा। मगर इतने साल बाद उन्‍होंने 28 रुपये की बजाय दस हजार रुपये चुकाए। जिस हलवाई दादा से मिठाई खाई थी, अब वो तो नहीं मिले मगर उनकी दुकान जरूर मिली, जहां उनके पौते को नौसेना के रिटायर्ड अधिकारी बीएस उप्‍पल ने सारी कहानी बताई।

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भारतीय नौसेना का एक सेवानिवृत्त कामोडोर सात समंदर पार कर 85 वर्ष की उम्र में हिसार पहुंचा। यह किस्‍सा अब हर किसी की जुबान पर है। 28 रुपये की उधार 10वीं की पढ़ाई करते समय उन्होंने हिसार के मोती बाजार स्थित दिल्ली वाला हलवाई के यहां की थी। खास बात है कि यह उधार दिल्ली वाला हलवाई के स्व. शंभू दयाल से लिया गया था मगर अब उधार को उनकी तीसरी पीढ़ी ने लिया है। उधार देने के बाद सेवानिवृत्त कामोडोर बीएस उप्पल ने एक ही बात कही कि यह भार मन को कचोटता था तो अब उधार चुकाकर काफी हल्का महसूस कर रहा हूं।

इतना ही नहीं बल्कि 28 रुपये का उधार ब्याज के साथ 10 हजार रुपये के रूप में दिया। गौरतलब है कि बीएस उप्पल उस पनडुब्बी के कमांडर थे जिसने भारत-पाक युद्ध के दौरान पाकिस्तान के जहाज को डुबो दिया था और अपनी पनडुब्बी तथा नौसैनिकों को सुरक्षित ले आए थे। इस बहादुरी के लिए भारतीय सेना ने उन्हें बहादुरी के नौसेना पुरस्कार से सम्मानित किया था।

धुंधली याद के सहारे दुकान तक पहुंचे बीएस उप्‍पल

हरियाणा में प्रथम नौसेना बहादुरी पुरस्कार से कामोडोर बीएस उप्पल सम्मानित हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि जब तक 10वीं कक्षा में थे तो कई बार जेबखर्च कम मिलता तो दिल्ली वाला हलवाई के यहां मिठाई लेकर उधार कर लिया करते थे। करीब 1953 में दुकान पर 28 रुपये उधार थे कि तभी उनकी नौकरी नौसेना में लग गई। इसके बाद ट्रेनिंग शुरू हो गई तो वह हिसार वापस ही नहीं लौट सके। नौकरी लगने के बाद फौजी सेवा में वह कई देशों में नौकरी के सिलसिले से घूमते रहे। मगर हिसार में लौटना नहीं हो पाया। इसके बाद सेवानिवृत्त हुए और अपने बेटे के साथ अमेरिका बस गए। मगर मन में दो ही बात याद थी कि पहले तो हिसार में दिल्ली वाला हलवाई के 28 रुपये चुकाने हैं और जहां से दसवीं पास की है यानि हरजीराम हिन्दु हाई स्कूल वहां जाना है। इस बार वह स्कूल तो नहीं जा पाए मगर दिल्ली वाला हलवाई को उधार जरूर चुकता कर दिया।

गोशाला में दान करेंगे 10 हजार रुपये

दिल्ली वाला हलवाई दुकान के संचालक विनय बंसल बताते हैं कि जब वह दुकान पर आए तो उन्होंने उधार की बात कही। मगर उन्होंने मेरे दादा स्व शंभू दयाल का जिक्र किया। दादा का स्वर्गवास 16 वर्ष पहले ही हो चुका है। उन्होंने बताया कि उधार की मुझे जानकारी नहीं थी तो मैंने मना कर दिया और ऐसे काेई इतने साल पुराना उधार कभी चुकता करने भी नहीं आया। मैंने कामोडोर उप्पल से कहा कि आप इस धनराशिक को गोशाला में दान कर दें आपका भार उतर जाएगा, मगर वह नहीं माने और ये रुपये देने की बात अड़ गए। लिहाजा उनका सम्मान रखते हुए हमने इस धनराशि को ग्रहण कर लिया। अब मैं धनराशि को खुद गोशाला में दान करूंगा। मगर इस प्रकार उधारी चुकाने का यह मेरे जीवन का पहला मामला है।


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