किसानों के नए ऐलान से फूली प्रशासन और सरकार की सांसें, राकेश टिकैत बना रहे रणनीति
बीती 26 जनवरी को उपद्रव हुआ था और लाल किले पर निशान साहिब का झंडा फहरा दिया गया था। तीन कृषि कानूनों के विरोध मे चल रहे आंदोलन के बीच गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर मार्च निकाला गया था और बाद में हालात बिगड़ गए।
आनलाइन डेस्क, हिसार। गणतंत्र दिवस नजदीक और किसानों के ऐलान से प्रशासन और सरकार की सांसे फूली हुई है। एक कार्यक्रम के दौरान भिवानी में कितलाना टोल पर किसान नेता राकेश टिकैत ने ऐलान किया था कि हर 26 जनवरी को वो दिल्ली में ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे, इसमें सभी राज्यों के किसान शामिल होंगे। अब इसी बात को लेकर प्रशासन में चिंता बनी हुई है। वहीं इसी मसले को लेकर आज पुलिस, प्रशासन और किसानों में बातचीत भी हो रही है। इससे पहले गुरुवार को हुई एक बैठक में किसानों और प्रशासन के बीच रूट को लेकर सहमति नहीं बन सकी थी। पुलिस ने किसानों को केएमपी कुंडली, मानेसर, पलवल हाईवे से मार्च निकालने का सुझाव दिया था, मगर इस पर किसान सहमत नजर नहीं आए थे। अब इस मामले में क्या फैसला लिया जाता है। यह देखने वाली बात होगी।
वर्तमान में कोरोना भी चरम पर है। दूसरी ओर व्यवस्था भी बिगड़ सकती है। इन्हीं चीजों का हवाला दिया जा रहा है। मगर संयुक्त किसान मोर्चा के रुख पर अब सबकी नजर बनी है। प्रशासन को ज्यादा चिंता इसलिए भी है कि क्योंकि बीती 26 जनवरी को जिस तरह से उपद्रव हुआ था और लाल किले पर निशान साहिब का झंडा फहरा दिया गया था। तीन कृषि कानूनों के विरोध मे चल रहे आंदोलन के बीच गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर मार्च निकाला गया था और बाद में हालात बिगड़ गए। दिल्ली में बहुत सारी जगहों पर ट्रैक्टर घुस गए। लाल किले पर सैंकड़ों की संख्या में किसान पहुंच गए थे। इसमें पुलिस और सरकार की ओर से कुछ उपद्रवी भी शामिल बताए गए।
लाल किले में आंदोलनकारियों ने निशान साहिब का झंडा फहरा दिया था। इस दौरान वीडियो भी बनाए गए थे जो विश्वभर में वायरल हो गए। इसके बाद देश में हालात तनावपूर्ण बन गए थे और इंटरनेशनल मीडिया पर भी इस प्रकरण काे प्रसारित किया गया था। इसके अगले ही दिन दिल्ली के बार्डरों पर से किसानों को उठाने का अभियान चला दिया था। मगर किसान नेता राकेश टिकैत इस तरह से भावुक हुए कि हरियाणा और पंजाब के गांवों से आंदोलनकारियों ने वहीं पर डेरा डाल लिया। एक साल से भी ज्यादा समय तक आंदोलन चला और इसके बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने इन कानूनों को वापस ले लिया। एमएसपी गांरटी कानून को लेकर अभी कमेटी के माध्यम से फैसला लिए जाने को लेकर भी काम चला रहा है।
उत्तर प्रदेश के चुनाव के बीच मार्च के कई कयास
आंदोलनकारियों द्वारा ट्रैक्टर मार्च निकालने को लेकर कई कयास लगाए जा रहे हैं। कानून वापस भी ले लिए गए हैं मगर दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर मार्च निकालने को उत्तर प्रदेश में हो रहे विधानसभा चुनाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है। क्योंकि दिल्ली में निकाले जाने वाले ट्रैक्टर मार्च का प्रभाव हो सकता है उत्तर प्रदेश के चुनाव को किसी हद तक प्रभावित कर सके। वहीं किसान नेता गुरनाम चढूनी भी पंजाब के चुनाव में काफी सक्रिय नजर आ रहे हैं।