हिसार में प्रशासन ने अस्पतालों का 30 फीसद ऑक्सीजन कोटा घटाया
प्रशासन ने कोविड अस्पतालों का 30 से 50 फीसद तक ऑक्सीजन कोटा घटा दिया है। ऐसे में अब अस्पताल संचालकों को अपने यहां मरीजों का उपचार करने का भारी संकट नजर आ रहा है।
जागरण संवाददाता, हिसार : ऑक्सीजन को लेकर स्थिति काफी गंभीर होती दिख रही है। प्रशासन ने कोविड अस्पतालों का 30 से 50 फीसद तक ऑक्सीजन कोटा घटा दिया है। ऐसे में अब अस्पताल संचालकों को अपने यहां मरीजों का उपचार करने का भारी संकट नजर आ रहा है।
लघु सचिवालय में मंगलवार को जिला प्रशासन ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पदाधिकारियों व अस्पताल संचालकों के साथ बैठक की। जिसमें कई सुझाव मांगे गए। मगर जैसे ही प्रशासन ने ऑक्सीजन की कटौती की बात कही तो अस्पताल संचालकों ने इस फैसले पर रोष जता दिया। उन्होंने कहा कि इस फैसले के आधार पर तो वह उपचार ही नहीं कर सकते। उन्हें मरीजों को डिस्चार्ज करना पड़ेगा। प्रशासनिक अधिकारियों ने कहा कि एक-दो दिन ऑक्सीजन की समस्या रहेगी, इसके बाद उन्हें आपूर्ति ठीक मिलेगी। ऑक्सीजन लेने का रोस्टर बना दिया गया। वहीं अस्पताल संचालकों ने नए मरीज लेने से साफ मना कर दिया है।
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ऑक्सीजन की किल्लत को इस उदाहरण से समझिए
केस 1
110 मरीजों के लिए 37 सिलेंडर
सेवक सभा अस्पताल में रोजाना 80 से 90 ऑक्सीजन सिलेंडर की खपत हो रही है, मगर अब नए फैसले के हिसाब से एक दिन में 37 सिलेंडर ही मिल सकेंगे। यहां 110 कोरोना संक्रमित उपचार पा रहे है, जिसमें 28 की हालत गंभीर है। ऐसे में परेशान अस्पताल संचालकों ने सीएम मनोहर लाल से लेकर जिला प्रशासन तक को शिकायत कर ऑक्सीजन का कोटा बढ़ाने की मांग की है। केस 2
सर्वोदय में खर्च होते थे 90 सिलेंडर अब कोटा घटकर हुए 48
सर्वोदय अस्पताल प्रशासन की मानें तो उनके यहां अभी 90 सिलेंडर की खपत हो रही है। अब कोटा घटाकर 48 कर दिया है। ऐसे में अब मौजूदा समय में जो मरीज भर्ती कर लिए गए हैं, उनके लिए आधी ऑक्सीजन तो सिलेंडर से और आधी ऑक्सीजन कोटा की पूर्ति के लिए उन्होंने अपने यहां मौजूदा प्लांट को सही कराने का फैसला लिया है। वहीं नए मरीज भर्ती करने से यह भी मना कर रहे हैं। केस 3
सबने हाथ खड़े कर दिए
तोशाम रोड के समीप एक गांव की मरीज महिला का ऑक्सीजन स्तर लगातार गिर रहा था। स्वजनों ने ऑक्सीजन के लिए कई स्थानों पर फोन किया, मगर सबने हाथ खड़े कर दिए। कंट्रोल रूम पर भी फोन किया। वहां से वॉर रूम का नंबर दिया गया, लेकिन कोई मदद नहीं मिली। जवाब मिला कि किसी अस्पताल में भर्ती कराइये, तभी ऑक्सीजन मिलेगी। अब अस्पताल में बेड खोजना शुरू किया तो यहां भी निराशा ही हाथ लगी। रात्रि के समय एक बड़ी सिफारिश पर हांसी में अस्पताल तो मिला, मगर ऑक्सीजन की किल्लत यहां भी सामने आई। कोटा घटाना ठीक नहीं
आइएमए प्रधान डा. जेपीएस नलवा बताते हैं कि कोविड मामलों को लेकर ऑक्सीजन की किल्लत सभी अस्पतालों के सामने विकराल है। हम सभी ने ऑक्सीजन कोटा घटाने पर अपना रोष जताया है। इस हिसाब से कई अस्पताल तो अब नए मरीज ले ही नहीं रहे। प्रशासन यह तो कह रहा है कि एक-दो दिन में समस्या का समाधान हो जाएगा, मगर ऑक्सीजन का कोटा कम करना ठीक नहीं। अस्पताल प्रशासन परेशान हैं। कैसे मैनेज करेंगे। इसके साथ ही रोस्टर से ऑक्सीजन मिलेगी। घंटों के हिसाब से अस्पतालों को समय दिया गया है। इसमें भी समस्या है। जैसे किसी अस्पताल का कोटा 30 सिलेंडरों का है और उसके पास 20 ही हैं तो रोस्टर के हिसाब से निर्धारित समय में उसे या तो 30 खाली सिलेंडरों का इंतजाम करना होगा, नहीं तो जितने खाली हैं उतने सिलेंडरों में ही ऑक्सीजन मिलेगी। वह अपने कोटे की शेष ऑक्सीजन नहीं ले सकता। रोस्टर तथा समय सारणी के अनुसार मिलेगी ऑक्सीजन
उपायुक्त डा. प्रियंका सोनी ने जिले में कोरोना के उपचार के लिए अधिसूचित अस्पताल संचालकों को निर्देश दिए हैं कि वे ऑक्सीजन का प्रबंधन बेहतर तरीके से करें। इस संबंध में ऑक्सीजन आपूर्ति को लेकर रोस्टर तथा समय सारणी बनाई गई है। इस रोस्टर के अनुरूप सभी अस्पताल संचालक ऑक्सीजन की आपूर्ति लेंगे। प्रशासन द्वारा ऑक्सीजन मांग व आपूर्ति के संबंध में सभी प्रबंध सुनिश्चित करने के लिए एक एचसीएस तथा एचपीएस अधिकारी की रात्रि के समय डयूटी लगाई गई है। वरिष्ठ औषधि नियंत्रक तथा जिला राजस्व अधिकारी को इस संबंध में नोडल अधिकारी लगाया गया है।
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निजी अस्पतालों को यह दिए निर्देश
कोविड-19 महामारी के प्रबंधों की समीक्षा को लेकर मंगलवार को डीसी ने निजी अस्पताल संचालकों को कहा कि अस्पताल के संचालक स्वयं दवाओं, ऑक्सीजन तथा बेड प्रबंधन जैसी जिम्मेदारी संभालेंगे। यह जिम्मेदारी वह अपने यहां किसी अटेंडेंट को नहीं देंगे। सभी अस्पतालों में कम से कम तीन फिजिशियन हों, जो शिफ्ट के अनुसार अपनी ड्यूटी करें।
आदेशों की हर हाल में हो पालना
बैठक में उपायुक्त ने कहा कि सभी अस्पताल संचालकों को सरकार तथा प्रशासन द्वारा जारी दिशा निर्देशों की हर हाल में अनुपालना सुनिश्चित करनी होगी। उन्होंने कहा कि अपेक्षाकृत कम संसाधनों की कमी वाले अस्पतालों को कोविड केयर सेंटर के रूप में तब्दील किया जाएगा। रेमेडेसिविर जैसी दवाओं या बेड की उपलब्धता को लेकर पारदर्शिता बरती जाए। किसी भी तरह की गलत प्रैक्टिस किए जाने का मामला सामने आया तो प्रशासन द्वारा कड़ी कार्रवाई की जाएगी।