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स्वास्थ्य विभाग का कारनामा, छह माह पहले मर चुके डाक्टर को किया सस्पेंड

स्‍वास्‍थ्‍य विभाग का एक अजब गजब कारनामा कर डाला। एडिशनल चीफ सेक्रे‍टरी ने छह माह पहले मर चुके डॉक्‍टर को सस्‍पेंड कर दिया। 22 अप्रैल 2020 को सिविल अस्पताल में कार्यरत डा. प्रेम की हो चुकी है मौत।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Sat, 26 Sep 2020 05:00 PM (IST)Updated: Sat, 26 Sep 2020 05:01 PM (IST)
स्वास्थ्य विभाग का कारनामा, छह माह पहले मर चुके डाक्टर को किया सस्पेंड
स्‍वास्‍थ्‍य विभाग ने छह माह पहले दिवंगत डॉक्‍टर को सस्‍पेंड कर दिया।

हिसार, जेएनएन। स्वास्थ्य विभाग का एक बड़ा कारनामा सामने आया है। मामला हिसार के सिविल अस्पताल में कार्यरत रहे दिवंगत डा. प्रेम का है। हेल्थ विभाग के एसीएस (डिशनल चीफ सेक्रेटरी)ने 22 अप्रैल 2020 में मर चुके मेडिकल ऑफिसर डा. प्रेम को सिविल अस्पताल से सस्पेंड करने के ऑर्डर जारी कर दिए। वहीं सस्पेंड पीरियड के दौरान दिवंगत डाक्टर को नूंह में निर्वाह भत्ते पर ज्वाइन करने के आदेश भी दे दिए। यही नहीं आदेशों में उन्हें बिना मेडिकल जांच शराब पीकर कोर्ट में आने का दोषी भी बता दिया। जबकि डा. प्रेम की मौत के बाद डेथ रिपोर्ट हेल्थ विभाग के मुख्यालय को भेजी जा चुकी है।

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हेल्थ विभाग से जारी आदेशों में दिवंगत डा. प्रेम को हरियाणा वर्सेज विनोद एट मनोज मामले में सेशन कोर्ट ने 19 अक्टूूबर 2019, 13 नंवबर 2019 और 2 दिसंबर 2019 को कोर्ट में उपस्थित होने के आदेश दिए थे। लेकिन वे इन तारीखों पर कोर्ट में नहीं पहुंचे। वहीं 4 जनवरी 2019 को उनके कोर्ट में पहुंचने पर उन्हें शराब पीने का दोषी माना है। जबकि उनकी मेडिकल जांच भी नहीं हुई।

मामले में पहले तीन डाक्टरों को सस्पेंड करने के ऑर्डर किए थे जारी

उपरोक्त मामले में इससे पहले सिविल अस्पताल के तीन डाक्टरों को सस्पेंड करने के ऑर्डर जारी किए गए थे। उन आदेशों में विभाग की ओर से लिखा गया था कि डा. प्रेम सेशन कोर्ट में गए थे, वहां जज को डा. प्रेम के शराब पीने का शक हुआ। इसके बाद कोर्ट की ओर से हेल्थ विभाग को डा. प्रेम की मेडिकल रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए गए। इसके बाद हेल्थ विभाग ने सिविल अस्पताल को डा. प्रेम की मेडिकल रिपोर्ट देने के लिए कहा था। जिसके बाद सिविल अस्पताल प्रशासन ने तीन डाक्टरों का बोर्ड बनाया था।

बोर्ड में सिविल अस्पताल में कार्यरत सर्जन डा. राजीव डाबला, सीनियर मेडिकल ऑफिसर डा. नीरज खटक, साइकेट्रिस्ट डा. पूनम दहिया को शामिल किया था। लेकिन इन डाक्टरों ने रिपोर्ट के दौरान डा. प्रेम द्वारा ब्लड सैंपल न देने की बात कही गई और कहा कि बिना ब्लड जांच के यह नहीं बताया जा सकता है कि डा. प्रेेम ने शराब पी है या नहीं।

कोर्ट ने इस पर तीनों डाक्टरों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए हेल्थ विभाग को लिखा था, जिसके बाद हाल ही में एसीएस ने बोर्ड के तीनों डाक्टरों को सस्पेंड करने के ऑर्डर जारी किए थे। लेकिन हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विस एसोसिएशन की ओर से हेल्थ विभाग को तीन दिन में फैसला वापस लेने और हड़ताल करने का अल्टीमेटम दिया गया था। साथ ही मामले की शिकायत उच्च अधिकारियों सहित हेल्थ मिनिस्टर को भेजी थी। जिसके बाद उपरोक्त तीनों डाक्टरों के सस्पेंशन ऑर्डर कैंसिल हो गए थे। बोर्ड में शामिल डा. राजीव डाबला ने हेल्थ विभाग के उच्चाधिकारियों के सामने मामले में प्रेजेंटशन भी दी थी।

यह आदेश बिलकुल गलत है। वे डाक्टर जो अब इस दुनिया में नहीं हैं, उन्हें अब दोषी मानते हुए सस्पेंड किया जा रहा है। जबकि हेल्थ विभाग को डेथ रिपोर्ट भेजी हुई है।

डा. कामिद मोंगा, प्रधान, हरियाणा मेडिकल सर्विस एसोसिएशन, हिसार।


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