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नई शिक्षा नीति पर एचएयू में वेबिनार, कई विश्वविद्यालयों के शिक्षाविदों ने रखे विचार

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में नई शिक्षा नीति पर एक दिवसीय वेबिनार आयोजित हुआ। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर टंकेश्वर कुमार रहे तो अध्यक्षता एचएयू के कुलपति प्रो. समर सिंह ने की।

By JagranEdited By: Published: Fri, 26 Feb 2021 05:15 AM (IST)Updated: Fri, 26 Feb 2021 05:15 AM (IST)
नई शिक्षा नीति पर एचएयू में वेबिनार, कई विश्वविद्यालयों के शिक्षाविदों ने रखे विचार
नई शिक्षा नीति पर एचएयू में वेबिनार, कई विश्वविद्यालयों के शिक्षाविदों ने रखे विचार

जागरण संवाददाता, हिसार: चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में नई शिक्षा नीति पर एक दिवसीय वेबिनार आयोजित हुआ। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर टंकेश्वर कुमार रहे तो अध्यक्षता एचएयू के कुलपति प्रो. समर सिंह ने की। मुख्य अतिथि ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 विद्यार्थियों को वैश्विक नागरिक बनाने के लिए अहम भूमिका निभाएगी। इसके लिए शिक्षकों का इस नीति के क्रियान्वन में अहम रोल होगा। भारत सही मायनों में विश्वगुरु तभी होगा जब विश्व के प्रत्येक कोने से विद्यार्थी यहां शिक्षा ग्रहण करने के लिए आकर्षित होंगे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शिक्षा को व्यवसाय में बदलने के गुण हैं और यह इस दिशा में महत्वपूर्ण होगी। वेबिनार भारतीय शिक्षण मंडल एवं नीति आयोग द्वारा एचएयू के सहयोग से आयोजित किया गया। विश्वविद्यालय के कुलसचिव डा. बीआर कंबोज ने सभी अतिथियों का वेबिनार के शुभारंभ किया।

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देश का भविष्य शिक्षकों के कंधों पर

वेबिनार में एचएयू कुलपति प्रोफेसर समर सिंह ने कहा कि देश का भविष्य शिक्षकों के कंधों पर है। जब शिक्षक तन-मन-धन से कार्य करेंगे और राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के लिए तैयार होंगे तो देश को विश्वगुरु की उपाधि दोबारा से मिलने से कोई नहीं रोक सकता। राष्ट्रीय शिक्षा नीति अद्वितीय व सर्वसमावेशी

वेबिनार के मुख्य वक्ता, भारतीय शिक्षण मंडल के अध्यक्ष एवं चौधरी बंसीलाल विश्वविद्यालय भिवानी के कुलसचिव जितेंद्र भारद्वाज ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति अद्वितीय और सर्वसमावेशी है क्योंकि इसमें देश के सभी वर्गों के सुझाव शामिल किए गए हैं। इस शिक्षा नीति से वसुधैव कुटूम्बकम की अवधारणा स्थापित होगी और देश ही नहीं मानवता का विकास होगा और भारतीय संस्कृति की पुन: स्थापना होगी। शिक्षकों को सम्मान व धन दोनों मिलेंगे। उन्होंने शिक्षकों से आह्वान किया कि वे इस नीति के क्रियान्वन के लिए इस तरह से प्रयास करें कि विद्यार्थियों को शिक्षा बोझ न लगे और उनकी स्वयं की इसके प्रति रूचि जागृत हो। जीजेयू में प्लेसमेंट निदेशक डा. प्रताप मलिक ने वेबिनार के समापन अवसर पर बतौर विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर विस्तृत रूप से अपने विचार रखे। बेविनार में जुड़े 200 शिक्षाविद्

इसके अलावा चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय के कुलसचिव डा. राकेश वधवा ने भी शिक्षा नीति को लेकर सुझाव प्रस्तुत किए। वेबिनार के संयोजक डा. रवि गुप्ता व डा. राजीव कुमार पटेरिया थे जबकि संयोजक सचिव डा. संजय कुमार व सह-संयोजक सचिव डा. अमरजीत कालरा रहे। वेबिनार संयोजक ने वेबिनार के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए इसके लिए आयोजित किए जाने वाले विभिन्न सत्रों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस वेबिनार में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर विस्तारपूर्वक चर्चा की गई और करीब 200 से अधिक शिक्षाविदों ने विभिन्न विषयों पर अपने सुझाव रखे। इसके अलावा विश्वविद्यालय के अधिष्ठाताओं, निदेशकों व विभागाध्यक्षों द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर विभिन्न सत्र भी आयोजित किए गए।


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