आंदोलन स्थल पर बन रहे एसी रूम, किसान नेता बोले...जो एसी के बिना नहीं रह सकते वे वापस चले जाए
किसान संगठनों के नेताओं द्वारा एसी न लगाने की अपील की जा रही है। मगर विंडबना यह है कि उनकी इस अपील का भी कोई असर नहीं हो रहा है। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि क्या आंदोलनकारी के लिए उनके अपने नेताओं की बात मायने नहीं रखती
बहादुरगढ़, जेएनएन। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चार माह से टीकरी बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन के बीच अब अनेक तंबू और ट्रालियां एसी रूम में बदलते जा रहे हैं। इससे निगम की लाइनों पर बिजली का लोड तो बढ़ ही रहा है, लेकिन इस तरह की स्थिति खुद किसान संगठनों के नेताओं को भी मंजूर नहीं हो रही। यही वजह है कि कई दिनों से किसान संगठनों के नेताओं द्वारा एसी न लगाने की अपील की जा रही है। मगर विंडबना यह है कि उनकी इस अपील का भी कोई असर नहीं हो रहा है। ऐसे में सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या आंदोलनकारी के लिए उनके अपने नेताओं की बात का काेई मोल नहीं या फिर नेता ही प्रभावी अपील नहीं कर रहे हैं।
यह मसला हर मीटिंग में उठ तो रहा है, लेकिन परिणाम कुछ नहीं निकल रहा। अब तो कई नेता यह भी कहने लगे हैं कि आंदोलन स्थल पर जो किसान एसी के बिना नहीं ठहर सकते वे खुद वापस लौट जाएं और अपने परिवारों के दूसरे सदस्यों को यहां भेजे। पंजाब के किसान नेता बलदेव ने यह अपील की। बता दें कि आंदोलन स्थल पर कई ट्रालियों में एसी लगा है तो बाईपास पर पार्क और दूसरी जगहों पर आंदोलनकारियों ने एेसे तंबू बना लिए हैं जो दूर से ही लग्जरी नजर आते हैं।
उनमें विंडो एसी लगे हैं। दिन भर ये एसी चलते हैं। इससे आंदोलन स्थल पर 10 गुना तक बिजली का खर्च बढ़ गया है। अभी तो गर्मी की शुरूआत है। इसी में यह हाल है तो जब गर्मी पीक पर होगी और उससे पहले आंदोलन खत्म नहीं होता है तो बिजली का संकट और बढ़ सकता है।