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हर विद्यार्थी में एक कौशल अवश्य विकसित किया जाना चाहिए : प्रो. टंकेश्वर

प्रो. टंकेश्वर कुमार ने कहा कि हर विद्यार्थी में कम से कम एक कौशल अवश्य विकसित किया जाना चाहिए ताकि वह इसका प्रयोग कर रोजगार प्राप्त कर सके। अब समय की मांग है कि विद्यार्थी उद्यमी बनने की ओर आगे बढ़े।

By JagranEdited By: Published: Fri, 20 Nov 2020 07:03 AM (IST)Updated: Fri, 20 Nov 2020 07:03 AM (IST)
हर विद्यार्थी में एक कौशल अवश्य विकसित किया जाना चाहिए : प्रो. टंकेश्वर
हर विद्यार्थी में एक कौशल अवश्य विकसित किया जाना चाहिए : प्रो. टंकेश्वर

जागरण संवाददाता, हिसार : हम नई शिक्षा नीति को लागू करने के लिए तैयार हैं। नई नीति देश के विकास तथा कौशल को वैश्विक स्तर पर स्थापित करने में अत्यंत उपयोगी होगी। यह बातें गुरु जंभेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने कही।

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वह वीरवार को विश्वविद्यालय की आइक्यूएसी सैल के तरफ से 'नई शिक्षा नीति-2020' के क्रियान्वयन तथा भविष्य की योजनाओं' विषय पर आयोजित एक वेबिनार को बतौर अध्यक्ष संबोधित कर रहे थे।

प्रो. टंकेश्वर कुमार ने कहा कि हर विद्यार्थी में कम से कम एक कौशल अवश्य विकसित किया जाना चाहिए ताकि वह इसका प्रयोग कर रोजगार प्राप्त कर सके। अब समय की मांग है कि विद्यार्थी उद्यमी बनने की ओर आगे बढ़े। विश्वविद्यालय को मल्टी-डिसीप्लनरी होने की ओर बढ़ना होगा। अब हमें अगले 20 वर्षो के लिए एक्शन प्लान तैयार करना है। हमें च्वाइस बेस्ड सिस्टम को और अधिक प्रभावशाली बनाना होगा।

कुलसचिव डा. अवनीश वर्मा ने कहा कि वर्तमान युग बदलाव का युग है। नई शिक्षा नीति देश में सकारात्मक बदलाव का आधार बनेगी। उन्होंने नई शिक्षा नीति को लचीली बताया तथा कहा कि यह शिक्षा नीति विद्यार्थियों की प्रतिभा के साथ न्याय करेगी तथा विद्यार्थियों को समय और पसंद के आधार पर अपनी पसंद के विषय तथा कोर्स चुनने की आजादी देगी। इस शिक्षा नीति के केंद्र में विद्यार्थी हैं।

इकोनोमिक्स विभाग के अध्यक्ष एवं फैकल्टी ऑफ ह्यूमेनिटी एंड सोशल साइंस के अधिष्ठाता प्रो. एनके. बिश्नोई ने कहा कि नई शिक्षा नीति देश को विकासशील देश से विकसित देश के रूप में स्थापित करने में सहायता करेगी। नई शिक्षा नीति विश्वविद्यालयों को देश के विकास में अग्रणी भूमिका में लाएगी। उन्होंने नई शिक्षा नीति को अत्यंत बेहतर बताया।

हरियाणा स्कूल ऑफ बिजनेस के निदेशक प्रो. कर्मपाल नरवाल ने कहा कि विश्वविद्यालय को उच्च स्तरीय शोध पर फोकस करना चाहिए। साथ ही कम से कम 10 प्रतिशत शोध को पेटेंट में बदला जाना चाहिए। उन्होंने इस नीति को राष्ट्रीय एकता तथा वैश्विक स्तर के लिए भी उपयोगी बताया।

इंटरनल क्वालिटी एश्योरेंस सैल के निदेशक प्रो. आशीष अग्रवाल ने स्वागत व धन्यवाद प्रस्ताव किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय की शैक्षणिक मामलों की अधिष्ठाता, संकायों के अधिष्ठाता, निदेशक व शिक्षक उपस्थित रहे।


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