ऑनलाइन स्टडी करने में विद्यार्थियों को 72 फीसद इंटरनेट की खराब कनेक्टविटी की समस्या
सुभाष चंद्र हिसार कोरोना से बचाव के लिए सरकार ने लॉकडाउन किया था जिसके बीच ऑनलाइन
सुभाष चंद्र, हिसार: कोरोना से बचाव के लिए सरकार ने लॉकडाउन किया था, जिसके बीच ऑनलाइन स्टडी पर जोर दिया जा रहा है। लेकिन ऑनलाइन स्टडी में विद्यार्थियों को कई तरह की समस्याओं का सामना भी करना पड़ा है। सबसे अधिक समस्या ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यार्थियों को है। ग्रामीण अंचल के विद्यार्थियों को 80 फीसद इंटरनेट की खराब कनेक्टविटी की समस्या रहती है। वहीं ओवरऑल भी खराब कनेक्टविटी की समस्या सबसे बड़ी है। इनके अलावा घरेलू काम और फोन पर आने वाली सुचनाएं भी ऑनलाइन पढ़ाई को प्रभावित कर रही हैं। यह बाते सामने आई गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय की एमबीए प्रथम वर्ष की छात्रा तनिषा हूरिया व प्रो. संजीव द्वारा किए गए ऑनलाइन सर्वे में। प्रो. संजीव के मार्गदर्शन में तनिषा ने हरियाणा, दिल्ली के 150 विद्यार्थियों पर यह सर्वे किया। जिसमें निकल कर आया कि 72 फीसद खराब कनेक्टविटी सबसे बड़ी समस्या है, वहीं 48.8 फीसद घरेलू काम और 45.7 फीसद बार-बार फोन पर आने वाली सूचनाएं ऑनलाइन पढ़ाई को प्रभावित कर रही है। इसके अलावा ग्रामीण एरिया में कई विद्यार्थियों के पास फोन ही नहीं है, जिनके पास फोन है वो ऐसे नहीं है कि ऑनलाइन क्लास लगा सकें।
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इन जिलों के विद्यार्थियों पर किया सर्वे
तनिषा ने बताया कि उसने ऑनलाइन स्टडी में आ रही समस्याओं को लेकर दिल्ली, गुरुग्राम, फरीदाबाद, हिसार, महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, टोहाना व इनके नजदीक लगते गांवों के विद्यार्थियों से ऑनलाइन 40 प्रश्नों की प्रश्नावाली भरवाई। तनिषा ने बताया कि सर्वे में सामने आया कि विद्यार्थियों को डाटा पैक के अनुसार एक दिन में 1.5 जीबी का डाटा मिलता है लेकिन वह एक या दो क्लास में ही खत्म हो जाता है। कई बार वीडियो ना चलने, बीच में रूकने, घर में स्पेस न मिल पाने की समस्या आती है। घर में असमर्थित वातावरण 51 फीसद) भी इस सूची में शामिल है। 20 फीसद ग्रामीण बच्चों के पास एंड्रायड मोबाइल भी नहीं है।
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छात्रों को ऑनलाइन स्टडी में ये समस्याएं आर्इं सामने
- सोशल मीडिया 38 फीसद उन सामान्य कारणों में से है, जिनके कारण छात्रों को ऑनलाइन क्लास लगाने में परेशानी महसूस हुई।
- 39 फीसद छात्रों को शुरुआत में ऑनलाइन कक्षा तक पहुंचने के लिए टेक्नोलॉजी की जानकारी नहीं है।
- 46 फीसद छात्र ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर दिए गए होमवर्क को गंभीरता से ही नहीं लेते।
- विद्यार्थियों के पास पर्याप्त संसाधन नहीं है, इसलिए ऑनलाइन स्टडी को गंभीरता से नहीं ले रहे।
- छात्रों ने ऑनलाइन शिक्षण को बोरिग महसूस किया। क्योंकि बातचीत अधिकतर एकतरफा होती है।
- ऑनलाइन कक्षाएं समय सारणी पर आधारित नहीं है और कभी-कभी कक्षा के बारे में छात्रों को पहले जानकारी नहीं होती थी।
- ऑनलाइन कक्षा में शिक्षक से पूछे जाने वाले प्रश्नों की अपेक्षा 58.7 फीसद ज्यादा छात्रों ने प्रश्नों का उतर इंटरनेट पर खोजा।
- छात्र आमतौर पर ऑनलाइन कक्षा में शामिल होने के लिए शामिल होते हैं, लेकिन खराब कनेक्टिविटी के कारण वीडियो और आवाज बीच में चली जाती, जिससे हताशा का स्तर बढ़ गया और छात्रों ने कई बार बीच में लाइव सत्र छोड़ दिया।
- करीब 48 फीसद को लगता ही नहीं कि वे ऑनलाइन क्लास का हिस्सा है, इसी कारण शिक्षकों के साथ संबंधों में गिरावट आई है।
- 31.2 फीसद छात्रों ने महसूस किया कि ऑनलाइन कक्षा के अपने अनुभव के आधार पर परीक्षा नहीं देना चाहते। जबकि 30.5 फीसद को लगता है कि वे परीक्षा दे सकते हैं।
- 20 फीसद छात्रों को लगता है कि उन्होंने लॉकडाउन के बाद संस्थान और शिक्षकों के साथ पूर्ण संपर्क खो दिया है और केवल 0.7 फीसद का मानना है कि वे अपने शिक्षकों के साथ दैनिक आधार पर संपर्क करने में सक्षम हैं। 39.1 फीसद विद्यार्थियों ने ऑनलाइन कक्षाओं के कारण मानसिक तनाव महसूस किया।
- 62.1 फीसद बच्चो ने ऑनलाइन शिक्षा के कारण शारीरिक तनाव महसूस किया।
- वहीं 14.2 फीसद में गुस्से, 26 फीसद में पेशेंस खोने व 40.8 फीसद में सिरदर्द की समस्या भी आई है।