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बेड की कमी के कारण आइसोलेशन वार्ड के बाहर स्ट्रेचर और गाड़ी में तड़पती रहीं दो वृद्धा, दो घंटे बाद मिला बेड

सुभाष चंद्र हिसार जिले के 30 कोविड अस्पतालों में 10 दिन पहले बाहरी जिलों के 700 मरीज दाखि

By JagranEdited By: Published: Thu, 06 May 2021 06:23 AM (IST)Updated: Thu, 06 May 2021 06:23 AM (IST)
बेड की कमी के कारण आइसोलेशन वार्ड के बाहर स्ट्रेचर और गाड़ी में तड़पती रहीं दो वृद्धा, दो घंटे बाद मिला बेड
बेड की कमी के कारण आइसोलेशन वार्ड के बाहर स्ट्रेचर और गाड़ी में तड़पती रहीं दो वृद्धा, दो घंटे बाद मिला बेड

सुभाष चंद्र, हिसार : जिले के 30 कोविड अस्पतालों में 10 दिन पहले बाहरी जिलों के 700 मरीज दाखिल थे, जिनकी संख्या घटकर 300 रह गई है। अब अधिकतर बाहरी जिलों के संक्रमित अन्य जिलों के अस्पतालों में दाखिल होने लगे है। कारण अब जिलावासी प्राथमिकता पर है। इसके बावजूद एक्टिव मामले अधिक होने के कारण जिलावासियों को अभी भी बेड की कमी के कारण परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं। बेड की कमी का खामियाजा कोरोना संक्रमित गंभीर मरीजों को उठाना पड़ रहा है। सिविल अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड के बाहर एक सेवानिवृत सेनाकर्मी की पत्नी 91 वर्षीय वृद्धा बेड उपलब्ध ना होने पर आइसोलेशन के बाहर कड़कड़ाती धूप में गाड़ी में तड़पती रही। इससे पहले उसे चार निजी अस्पतालों में ले जाया गया, लेकिन कहीं बेड उपलब्ध नहीं हो पाया। आजाद नगर निवासी पंचायती राज विभाग में जेई अशोक कुमार ने बताया कि उसके दादा एक्स सर्विस मैन है हाल ही में वे सं‌र्क्रमित हुए तो उन्हें सिविल अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में दाखिल करवाया था। वहीं बुधवार को उनकी दादी का भी लाइफलाइन अस्पताल से रैपिड टेस्ट करवाया था। इसमें वह कोरोना पॉजिटिव मिली थी। उन्हें बीते चार-पांच दिन से बुखार था। जेई अशोक कुमार ने बताया कि बेड के लिए लाइफलाइन अस्पताल, सुखदा अस्पताल, रविद्रा व सपरा अस्पताल में भी गए, लेकिन वहां सभी बेड फुल थे। अंत में उन्हें सिविल अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां उनके दादा दाखिल थे। अशोक ने बताया कि उनके दादा को बुधवार दोपहर 11 बजे के करीब ऑक्सीजन लेवल ठीक होने पर डिस्चार्ज कर दिया गया। इसी दौरान उन्हें उनके दादा वाले बेड पर दाखिल करने के लिए कहा, लेकिन करीब दो घंटे तक बेड उपलब्ध नहीं हो पाया। इस दौरान दादी का ऑक्सीजन लेवल भी 85 से कम था और उन्हें सांस लेने में भी समस्या हो रही थी। सिविल अस्पताल में बेड उपलब्ध नहीं हो पाया। ऐसे में उन्होंने कई लोगों से बात करके गुहार लगाई। जिसके बाद करीब तीन घंटे बाद उनकी दादी को सिविल अस्पताल में बेड उपलब्ध हो पाया। अशोक ने बताया कि सिविल अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में तैनात डा. रिपन ने उन्हें बैड उपलब्ध करवाया। लेकिन इस बीच उसकी दादी तीन घंटे गाड़ी में तड़पती रही।

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धूप में स्ट्रेचर पर तड़पती रही 65 वर्षीय वृद्धा

बेड की कमी से कोरोना संक्रमित और संभावित मरीजों को किस कदर परेशानी उठानी पड़ रही है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है। सिविल अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में भी 10 संक्रमित दाखिल है। इमरजेंसी में आए लोगों का रैपिड टेस्ट किया जाता है। वे संक्रमित मिलते है तो उन्हें आइसोलेशन वार्ड में भेजा जाता है। आइसोलेशन वार्ड से बेड खाली ना होने की बात कहकर वापस भेज दिया जाता है। कुछ ऐसा ही नजारा बुधवार दोपहर को देखने में आया। बड़सी निवासी राकेश नाम का युवक अपनी 65 वर्षीय दादी को छाती में बलगम और सांस की समस्या होने के कारण इमरजेंसी में लेकर पहुंचा था, लेकिन वहां पर बेड फुल थे तो राकेश दादी को स्ट्रेचर पर लेकर आइसोलेशन वार्ड के सामने आया। वहां पता किया तो वहां भी बेड मिला। ऐसे में उसकी दादी करीब दो घंटे तक आइसोलेशन सेंटर के बाहर स्ट्रेचर पर तड़पती रही। अंत में उन्हें किसी मरीज की मौत होने पर आइसोलेशन वार्ड में दाखिल किया गया।

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जिले के 30 अस्पतालों में 1134 बेड, लेकिन पांच की सदस्यता खत्म

जिले के सरकारी और निजी अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए करीब 1134 बेड निर्धारित किए गए हैं। प्रदेश सरकार के पोर्टल पर भी यही जानकारी दी। जिले में कोरोना के एक्टिव केस 7668 है। इनमें से होम आइसोलेशन में 6500 के करीब मरीज रह रहे है। वहीं अन्य को शहर के 30 सरकारी व निजी अस्पतालों और कोविड केयर सेंटर में दाखिल किया गया है। विभाग की तरफ से कोविड केयर सेंटर में बनाए गए कुल मिलाकर 1134 बैड है। हाल ही में राधा स्वामी सत्संग भवन में 100 बेड का कोविड केयर सेंटर बनाया गया है। वहीं जिदल स्कूल में भी 500 बेड का अस्पताल तैयार किया जा रहा है।


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