0.3 डिग्री सेल्सियस तापमान में 585 विद्यार्थी जमीन पर बैठ कर रहे पढ़ाई
पवन सिरोवा हिसार दोपहर के 12 बजे। राजकीय उच्च विद्यालय शिव नगर में कक्षाएं लगी हुई थीं।
पवन सिरोवा, हिसार : दोपहर के 12 बजे। राजकीय उच्च विद्यालय शिव नगर में कक्षाएं लगी हुई थीं। स्कूल प्रांगण में बच्चों की चहल-पहल थी। स्कूल के गेट के पास नौवीं कक्षा लगी थी। कक्षा में टीचर नहीं था, बच्चे ठंड से ठिठुर रहे थे। बैठने के लिए उनके पास बेंच नहीं बल्कि दरी व टाट-पट्टी ही थी। कमरे में ट्यूब तो जल रही थी लेकिन रोशनी कम थी। यह स्थिति देख कक्षा में मौजूद विद्यार्थी पवन, मानसी, सूरज और प्रीति से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि उनके स्कूल में बेंच नहीं हैं। वे दरी पर बैठकर पढ़ते हैं। शहर का न्यूनतम तापमान 0.3 डिग्री है। ऐसे में स्कूल की यह व्यवस्था सिस्टम पर सवालिया निशान खड़ा करती है।
स्कूल प्रांगण में एक नलका लगा था। जिस पर बच्चे पानी पी रहे थे। कक्षा में पहुंचे बच्चे से पूछा कि यहां सप्लाई का पानी नहीं है? बच्चे झट से बोले, नहीं हम तो नलके का ही पानी पीते हैं। उसमें मिट्टी आती है और कड़वा भी है। बच्चों से बातचीत के दौरान वहां पार्षद मनोहर लाल भी पहुंच गए। उन्होंने एक शिक्षक से पूछा कि स्कूल इंचार्ज कहां हैं। उन्होंने बताया कि मीटिग में गए हुए हैं। आने वाले हैं। तब तक बच्चों व शिक्षकों से बातचीत करनी जारी रखी। नौवीं कक्षा के बच्चों से पूछा कि आप कंप्यूटर तो चलाते होंगे। उसी दौरान गोविद व शोभा सहित साथ खड़े बच्चों ने कहा कि आठवीं कक्षा में कंप्यूटर चलाकर देखा था, नौवीं में तो आजतक नहीं चलाया। बच्चों की बातें हैरान करने वाली थी, क्योंकि स्कूल में कंप्यूटर टीचर तैनात थी। इसी दौरान वहां स्कूल इंचार्ज सतीश जैन भी आ गए। उन्होंने कहा कि स्कूल में कई दिक्कतें हैं, जो बच्चे झेल रहे हैं। हम इस बारे में अफसरों को अवगत करवा चुके हैं और समाधान के लिए पत्राचार जारी है।
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पार्षद के सामने स्कूल इंचार्ज व शिक्षकों ने बताई समस्याएं
पार्षद मनोहर लाल के सामने स्कूल इंचार्ज सतीश जैन ने बताया कि वह दिसंबर 2017 में यहां आया था। स्कूल का पुराना स्टाफ बदल चुका है। यहां पर बच्चों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। पीने का पानी भी कड़वा है। पार्षद ने पूछा कि आप और टीचर भी यहीं पानी पीते हैं क्या तो इंचार्ज बोले, नहीं। हम तो आस-पड़ोस से पानी की बोतल भर लाते हैं। स्कूल में 585 विद्यार्थी हैं। दो शिफ्ट में कक्षा लगती है। सुबह आठ बजे से साढ़े 12 बजे तक छठी से दसवीं कक्षा और दोपहर एक बजे से सवा 5 बजे तक पहली से पांचवीं कक्षा लगती है। स्कूल में 27 शिक्षक, एक चपरासी और दो स्वीपर हैं। कंप्यूटर शिक्षिका है जो आरटीआइ व अन्य कागजी कार्य भी करती हैं। साथ ही कक्षा में पढ़ाती भी हैं, इस कारण लैब में अधिक समय नहीं दे पातीं। स्कूल में खेल मैदान नहीं है। बेंच के बारे में पिछले दो साल में उन्होंने दो बार अफसरों को लिखा। कई बार मीटिगों में भी बताया। वे तो बच्चों को पढ़ा सकते हैं, व्यवस्थाएं करने का काम तो विभाग का है। पहले स्कूल का रिजल्ट 13 फीसद था, अब उन्होंने 74 फीसद पहुंचा दिया है।
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इसके बाद कमरे से बाहर आए तो स्कूल गेट के एक तरफ पानी की टंकी बनी थी, दूसरी तरफ शौचालय। पानी की टंकी के साथ लगी टूंटी देखकर इंचार्ज से पूछा कि सप्लाई पानी क्यों नहीं आता। तो वे बोले कि कनेक्शन नहीं है। इस पर पार्षद तुरंत बोले, अभी तो कनेक्शन करवाया था। इंचार्ज बोले कि पानी सुबह 5 से 7 बजे और सायं को 6 से साढ़े 7 बजे आता है। उस समय स्कूल बंद होता है तो पानी भरे कौन? इसलिए पानी की व्यवस्था भी नहीं है। ऐसे में गेट के पास बने शौचालय के नजदीक गए तो देखा कि शौचालय का गेट ही नहीं था। देखकर हैरानी हुई क्योंकि वह शौचालय बेटियों के लिए बनाया हुआ था। स्कूल अव्यवस्थाओं की भरमार थी और ऐसे कष्ट भरे माहौल में 585 बच्चे शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं।
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34 साल में कमरों की संख्या तो बढ़ी लेकिन हालात वही
तीन दशक पहले इसी स्कूल से शिक्षा ग्रहण करने वाले वार्ड-7 के पार्षद मनोहर लाल बोले कि 34 साल पहले मैंने इसी स्कूल से आठवीं पास की थी। तब और अब में कुछ नहीं बदला। हां, एक बदलाव जरूर है? पहले एक हॉल और दो कमरों का स्कूल था। अब कमरों की संख्या दस हो गई है। उस वक्त भी बच्चे जमीन पर टाट-पट्टी पर बैठते थे और कई बच्चे कट्टे का थैला बनाकर लाते थे। पहले बच्चों का खानपान अच्छा था, सर्दी झेल लेते थे। अब इतनी ठंड में बच्चे कैसे पढ़ पाते होंगे, आप समझ सकते हो। मैं तो हैरान हूं इनकी इस दुर्दशा को देखकर अफसर कुछ कर ही नहीं रहे है। लगता है इंसानियत भी नहीं है।
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स्कूल में 585 विद्यार्थियों की स्थिति
विद्यार्थी, 1-5 कक्षा विद्यार्थी, 6-8 कक्षा विद्यार्थी, कुल संख्या
लड़कियां - 61 266 327
लड़के - 65 193 258
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जाने बेटियों की सुरक्षा के प्रति स्कूल व प्रशासन कितना संजीदा
स्कूल में बेटियों के लिए शौचालय बना हुआ है। उसका गेट तक नहीं है। वह भी पिछले कई महीनों से नहीं है। ऐसे में जिस स्कूल में लड़के भी पढ़ते र्ह और लड़कियों के शौचालय पर गेट न हो तो ऐसे स्कूल में उनकी सुरक्षा के कितने पुख्ता प्रबंध होंगे, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। जबकि इस स्कूल में 327 बेटियां पढ़ती हैं। उधर सर्दी में फर्श पर बैठकर पढ़ने के कारण कोई बच्चा बीमार हो जाए तो उसके बारे में इंचार्ज बोले बच्चे के बीमार होने पर उसे डाक्टर से गोली दिलाकर उसके घरवालों को फोन कर देते हैं और बच्चे को छुट्टी देकर घर भेज देते हैं।
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मुख्यालय को अवगत करवाने के बाद भी स्कूल की स्थिति सुधारने के लिए शिक्षकों के प्रयास नाकाफी
- स्कूल में रोशनी की कमी के चलते फोटो के साथ स्कूल इंचार्ज बीईओ के माध्यम से निदेशालय को भी अवगत करवा चुके है। सितंबर 2019 को फोटो भेजी। बावजूद इसके आज तक निदेशालय ने न तो बेंच उपलब्ध करवाए, न ही रोशनी के लिए सौलर पैनल लगाने का कार्य किया।
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स्कूल में खेल मैदान नहीं बेटियां देश में चमका रही नाम
स्कूल में खेल मैदान नहीं है। लेकिन स्कूल की बेटियां खेल के मैदान पर अपनी प्रतिभा का लौहा मनवाकर स्कूल का नाम देश में चमका रही हैं। वर्तमान में स्कूल की नौवीं कक्षा की छात्रा पूनम ने नवंबर 2019 में मार्शल आर्ट में चौथी नोर्थ इंडिया मार्शल आर्ट चैंपियनशिप में गोल्ड जीता। गोल्ड जीत के साथ ही पूनम जनवरी में चाइना में होने वाले एशियन गेम्स के ट्रायल के लिए चेन्नई में आयोजित कैंप में खेल प्रतिभा दिखा रही है।